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गोस्वामी तुलसीदास

Question
CBSEENHN12026350

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या  करें 
हरषि राम भेंटेउ हनुमाना। अति कृतग्य प्रभु परम सुजाना।।

तुरत बैद तब कीन्हि उपाई। उठि बैठे लछिमन हरषाई।।

हृदयं लाइ प्रभु भेंटेउ भ्राता। हरषे सकल भालु कपि ब्राता।।

कपि मुनि बैद तहाँ पहुँचाना जेहि बिधि तबहिं ताहि लइ आवा।।

Solution

प्रसंग: प्रस्तुत काव्याशं तुलसीदास द्वारा रचित महाकाव्य ‘रामचरितमानस’ के ‘लंकाकांड़’ से अवतरित है। मेघनाद की शक्ति लक्ष्मण की छाती में लगी और वे मूर्च्छित हो गए। उनकी यह दशा देखकर श्रीराम व्याकुल होकर विलाप करने लगे। तभी हनुमान वैद्य सुषेण द्वारा बताई औषधि का पहाड़ लेकर आ गए। इस समाचार ने राम को धैर्य बँधा दिया।

व्याख्या: श्रीराम ने हर्षित होकर हनुमान को गले से लगा लिया। परम सुजान (चतुर) प्रभु अत्यंत कृतज्ञ हुए। तब वैद्य सुषेण ने तुरन उपाय किया। जिससे लक्ष्मण जी हर्षित होकर उठ बैठे।

प्रभु राम ने भाई लक्ष्मण को हृदय से लगा लिया। भालू और वानरों के समूह सब हर्षित हो गए। फिर हनुमान जी ने सुषेण वैद्य को उसी प्रकार वहाँ पहुँचा दिया, जिस प्रकार से और जहाँ से वह उन्हें लाए थे।

विशेष: 1. श्रीराम का कृतज्ञ होना उनके व्यक्तित्व की महानता को दर्शाता है।

2. यहाँ राम के हर्षानुभूति का अंकन हुआ है।

3. ‘प्रभु परम’ में अनुप्रास अलंकार है।

4. भाषा: अवधी।

5. छंद: चौपाई।

Some More Questions From गोस्वामी तुलसीदास Chapter

तुलसीदास के जीवन का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनकी साहित्यिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

किसबी, किसान-कुल, बनिक, भिखारी, भाट,

चाकर, चपल नट, चोर, चार, चेटकी।

पेटको पढ़त, गुन गढ़त, चढ़त गिरि,

अटत गहन-गन अहन अखेटकी।।

ऊँचे-नीचे करम, धरम-अधरम करि,

पेट ही को पचत, बेचत बेटा-बेटकी।

‘जतुलसी’ बुझाई एक राम घनस्याम ही तें,

आगि बड़वागितें बड़ी है अगि पेटकी।।

कवि तुलसी ने इस पद में किस समस्या को उठाया है?

इस पब में किन-किन लोगों का उल्लेख है? उन्हें क्या प्राप्त नहीं होता?

इन लोगों की क्या दशा है? वे क्या कहते हैं?

पेट की प्याला को शांत करने के लिए लोग कैसे-कैसे काम करने को विवश हो आते हैं?

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

खेती न किसान को, भिखारी न भीख, बलि,

बनिक को बनिज, न चाकर को चाकरी।

जीविका बिहीन लोग सीद्यमान सोच बस,

कहैं एक एकन सौं कहाँ जाइ, का करी?

बेदहूँ पुरान कही, लोकहूँ बिलोकिअत,

साँकरे सबै पै, राम! रावरे कृपा करी।

दारिद-दसानन बयाई दुनी दीनबंधु!

दुरित-बहन देखि तुलसी हहा करी।।

प्रस्तुत कवित्त के आधार पर तत्कालीन आर्थिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालिए।

जीविका विहीन लोग किस सोच में पड़े रहते हैं?

तुलसीदास ने दरिद्रता की तुलना किससे की है और क्यों?