-->

गजानन माधव मुक्तिबोध

Question
CBSEENHN12026216

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
तुम्हें भूल जाने की
दक्षिण ध्रुवी अंधकार-अमावस्या
शरीर पर, चेहरे पर, अंतर में पा लूँ मैं
झेलूँ मैं, उसी में नहा लूँ मैं
इसलिए कि तुमसे ही परिवेष्टित आच्छादित
रहने का रमणीय यह उजेला अब
सहा नहीं जाता है।

1. अमावस्या के लिए प्रयुक्त विशेषणों से काव्यार्थ में क्या विशेषता आई है?
2. ‘मैं तुम्हें भूल जाना चाहता हूँ’-इस सामान्य कथन को व्यक्त करने के लिए कवि ने क्या युक्ति अपनाई है?
3.  काव्यांश के शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।


Solution

1. अमावस्या के लिए ‘दक्षिण ध्रुवी अंधकार’ विशेषणों का प्रयोग किया गया है। दक्षिणी ध्रुव में गहरा अंध कार समाया रहता है। अमावस्या के लिए इन विशेषणों का प्रयोग काव्यार्थ में अंधकार विस्मृति को गहरा देता है। इन विशेषणों के प्रयोग से अंधकार में घनत्व आ गया है। घना अंधेरा और अधिक घुप्प हो गया है।
2. ‘मैं तुम्हें भूल जाना चाहता हूं’-इस सामान्य कथन को व्यक्त करने के लिए कवि प्रिया की परछाई से भी दूर चला जाना चाहता है र क्योंकि अब उसके रूप सौंदर्य का उजाला उससे सहन नहीं हो पा रहा है।
3. शिल्प-सौंदर्य:
● संबोधन शैली और आत्मानुभूति के कारण काव्यांश प्रभावी बन पड़ा है।
● ‘दक्षिणी ध्रुवी अंधकार-अमावस्या’ में रूपक है।
● ‘परिवेष्टित आच्छादित’ में ‘इत’ की स्वर मैत्री है। अंत्यानुप्रास भी है।
● तत्सम शब्दावली का प्रयोग हुआ है।



Some More Questions From गजानन माधव मुक्तिबोध Chapter

प्रस्तुत पक्तियों की सप्रंसग व्याख्या करें

गरबीली गरीबी यह, ये गंभीर अनुभव सब

यह विचार-वैभव सब

दृढ़ता यह, भीतर की सरिता यह अभिनय सब

मौलिक है, मौलिक है,

इसलिए कि पल-पल में

जो कुछ भी जागृत है, अपलक है-

संवेदन तुम्हारा है!!

कवि किस-किसको मौलिक मानता है और क्यों?

इन पर किसकी संवेदना का प्रभाव है?

इस कविता पर किस बाद का प्रभाव झलकता है?

प्रस्तुत पक्तियों की सप्रंसग व्याख्या करें

जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है

जितना भी उँडेलता हूँ, भर-भर फिर आता है

दिल में क्या झरना है?

मीठे पानी का सोता है

भीतर वह, ऊपर तुम

मुस्काता चाँद ज्यों धरती पर रात-भर

मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है।

कवि अपने दिल की तुलना किससे करता है और क्यों?

ऊपर कौन है?

कवि किससे प्रभावित है?

प्रस्तुत पक्तियों की सप्रंसग व्याख्या करें

सचमुच मुझे दंड दो कि

भूलूँ मैं

प्ले मैं

तुम्हें भूल जाने की

दक्षिण ध्रुवि अंधकार अमावस्या

शरीर पर, चेहरे पर, अंतर में पालूँ मैं

झेलूँ मैं, उसी में नहा लूँ मैं

इसलिए कि तुमसे ही परिवेष्टित आच्छादित

रहने का रमणीय यह उजेला अब

सहा नहीं जाता है।

नहीं सहा जाता है।

कवि अपने लिए किस प्रकार का दंड चाहता है?