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सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

Question
CBSEENHN12026292

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर दीजिए:
तिरती है समीर-सागर पर
अस्थिर सुख पर दुख की छाया
जग के दग्ध हृदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया।

1. कवि किसका आह्वान करता है और क्यों?
2. कवि का मानना क्या है?
3. काव्याशं का शिल्पगत सौदंर्य स्पष्ट कीजिए।



Solution

1. ‘बादल राग’ की इन पंक्तियों में कवि निराला ने बादल को क्रांति का प्रतीक माना है। कवि शोषित वर्ग के लिए क्रांति का आह्वान करता है। इस काव्यांश में कवि का जीवन-दर्शन भी अभिव्यक्त हुआ है।
2. कवि का मानना है कि जीवन के सुखों पर भी दुखों की अदृश्य छाया मँडराती रहती है। लोगों के हृदय दुखों से भरे हैं। सुख अस्थिर हैं।
3. ‘समीर-सागर’ में रूपक अलंकार है।’
    बादल क्रांति के प्रतीक हैं।
    प्रतीकात्मकता का समावेश है। 
    भाषा सरल एवं सरस है।
    तत्सम शब्दावली का प्रयोग है।

Some More Questions From सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ Chapter

इस कविता में किसे संबोधित किया गया है?

कवि ने दुख की छाया की तुलना किससे की है और क्यों?

कवि ने बादल का ही आह्वान क्यों किया है?

क्रांति की गर्जना का क्या प्रभाव पड़ता है।

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें
बार-बार गर्जन,

वर्षण है मूसलाधार

हृदय थाम लेता संसार

सुन-सुन घोर वज्र-हुंकार।

अशनि-पात से शायित उन्नत शत-शत-वीर,

क्षत-विक्षत-हत अचल-शरीर,

गगन-स्पर्शी स्पर्धा-धीर।

कवि ने बादलों का आहान क्यों किया है?

बादलों की गर्जना का संसार पर क्या प्रभाव पड़ता है?

कवि ने बादलों की क्या-क्या विशेषताएँ बताई हैं?

‘गगन स्पर्शी, स्पर्धावीर’ का आशय स्पष्ट करो।

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

हँसते हैं छोटे पौधे लधु भार-

शस्य अपार,

हिल-हिल,

खिल-खिल

हाथ हिलाते,

तुझे बुलाते,

तुझे बुलाते,

विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते।.