पूरी कविता में प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। आपको प्रकृति का कौन-सा मानवीय रूप पसंद आया है? क्यों?
हँसते हैं छोटे पौधे लघुभार-
शस्य अपार
हिल-हिल
खिल-खिल
हाथ हिलाते
तुझे बुलाते
इस काव्यांश मे छोटे-छोटे पौधों का शोषित वर्ग के रूप मे मानवीकरण किया गया है। वे क्रांति के उगने की संभावना से हँसते हैं अर्थात् खुश हैं। वे हाथ हिला-हिलाकर क्रांति का आह्वान करते जान पड़ते हैं। यह कल्पना अत्यंत मनोरम है।