‘बात सीधी थी पर’ का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
इस कविता में कविता के कथ्य और माध्यम (भाषा) के द्वंद्व को उभारा गया है। इसमें भाषा की सहजता की बात की गई है। हर बात के लिए कुछ खास शब्द निश्चित होते हैं जैसे हर पेंच के लिए एक निश्चित खाँचा होता है। बात की सहजता को बनाए रखना आवश्यक है। अत: अनावश्यक शब्द-जाल में नहीं उलझना चाहिए।