बात पेचीदा क्यों होती चली गई?
बात पेचीदा इसलिए होती चली गई क्योंकि वह शब्द-जाल में फँसकर सहजता खो बैठी। जब हम क्लिष्ट शब्दों का प्रयोग करने लगते हैं तब बात सहज-सरल नहीं रह जाती।
बात पेचीदा क्यों होती चली गई?
बात पेचीदा इसलिए होती चली गई क्योंकि वह शब्द-जाल में फँसकर सहजता खो बैठी। जब हम क्लिष्ट शब्दों का प्रयोग करने लगते हैं तब बात सहज-सरल नहीं रह जाती।
कुँवर नारायण के जीवन का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनका साहित्यिक परिचय दीजिए।
कविता एक उड़ान है चिड़िया के बहाने
कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने
बाहर भीतर
इस घर, उस घर
कविता के पंख लगा उड़ने के माने
चिड़िया क्या जाने?
‘कविता की उड़ान’ से क्या आशय है?
‘बाहर भीतर, इस घर उस घर’ के द्वारा कवि क्या स्पष्ट करना चाहता है?
कवि के अनुसार कविता की उड़ान कौन नहीं जानता?
कवि की उड़ान और चिड़िया की उड़ान में क्या अंतर है?
प्रस्तुत पक्तियों का सप्रसंग व्याख्या करें?
कविता एक खिलना है फूलों के बहानेकविता का खिलना भला फूल क्या जाने!
बाहर भीतर
इस घर, उस घर
बिना मुरझाए महकने के माने
फूल क्या जाने?
कविता एक खेल है बच्चों के बहाने
बाहर भीतर
यह घर, वह घर
सब घर एक कर देने के माने
बच्चा ही जाने!
कविता का फूलों के बहाने खिलना कैसे है?
कविता और फूलों में क्या अंतर है?
कविता बच्चों के खेल के समान कैसे है?
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