‘कविता के बहाने’ कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
यह शंका व्यक्त की जा रही है कि यांत्रिकता के दबाव से कविता का अस्तित्व नहीं रह पाएगा। यह कविता की अपार संभावनाओं को टटोलने का अवसर देती है। यह एक ऐसी यात्रा है जो चिड़िया, फूल से लेकर बच्चों तक है। चिड़िया की उड़ान की सीमा है, फूल के खिलने के साथ उसकी परिणति निश्चित है लेकिन बच्चे के सपने असीम हैं। कविता भी शब्दों का खेल है। बच्चों के खेल के समान इसकी भी कोई सीमा या निश्चित स्थान नहीं है।