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कुँवर नारायण

Question
CBSEENHN12026123

प्रताप नारायण मिश्र का निबंध ‘बात’ और नागार्जुन की कविता ‘बातें’ ढूँढकर पढ़ें।

Solution

विद्यार्थी पुस्तकें लेकर इन पाठों को पढ़ें।
‘नागार्जुन’ की कविता - बातें।

बातें-

हँसी में धुली हुई

सौजन्य चंदन में बसी हुई

बातें-

चितवन में घुली हुई

व्यंग्य बंधन में कसी हुई

बातें-

उसाँस में झुलसी

रोष की आँच में तली हुई

बातें-

चुहल से हुलसी

नेह साँचे में ढली हुई।

बातें-

विष की फुहार सी

बातें-

Some More Questions From कुँवर नारायण Chapter

‘बाहर भीतर, इस घर उस घर’ के द्वारा कवि क्या स्पष्ट करना चाहता है?

कवि के अनुसार कविता की उड़ान कौन नहीं जानता?

कवि की उड़ान और चिड़िया की उड़ान में क्या अंतर है?

प्रस्तुत पक्तियों का सप्रसंग व्याख्या करें?

कविता एक खिलना है फूलों के बहाने

कविता का खिलना भला फूल क्या जाने!

बाहर भीतर

इस घर, उस घर

बिना मुरझाए महकने के माने

फूल क्या जाने?

कविता एक खेल है बच्चों के बहाने

बाहर भीतर

यह घर, वह घर

सब घर एक कर देने के माने

बच्चा ही जाने!

कविता का फूलों के बहाने खिलना कैसे है?

कविता और फूलों में क्या अंतर है?

कविता बच्चों के खेल के समान कैसे है?

इस काव्यांश में कविता की क्या-क्या विशेषताएँ उभर कर सामने आती हैं?

प्रस्तुत पक्तियों का सप्रसंग व्याख्या करें?

बात सीधी थी पर एक बार

भाषा के चक्कर में

 

जरा टेढ़ी फँस गई।

 

उसे पाने की कोशिश में

 

भाषा को उलटा पलटा

 

तोड़ा मरोड़ा

 

घुमाया फिराया

 

कि बात या तो बने

 

या फिर भाषा से बाहर आए-

 

लेकिन इससे भाषा के साथ साथ

 

बात और भी पेचीदा होती चली गई।

 

कवि ने अपनी बात के बारे में क्या कहा है?