व्याख्या कीजिए
जोर जबरदस्ती से
बात की चूड़ी मर गई
और वह भाषा में बेकार घूमने लगी।
कुँवर नारायण की कविता ‘‘बात सीधी थी पर’ से अवतरित इन पंक्तियों मे बात के सहज बने रहने में ही उसकी सार्थकता दर्शाई है। जब हम किसी बात को असहज बना देते हैं तब वह उलझकर रह जाती है। जिम प्रकार हम किसी पेंच के कसने में जोर-जबरदस्ती करते हैं तो उसकी चूड़ी मर जाती है और फिर वह ठीक प्रकार से कसा नहीं जाता, ढीला रह जाता हे। यही स्थिति बात की है। जब किसी बात के साथ जोर-जबरदस्ती को जाती है तब बात की धार मारी जाती है। वह अपेक्षित प्रभाव उत्पन्न नहीं कर पाती। ऐसा तब होता है जब हम उसे व्यक्त करने क लिए भाषा के उपयुक्त शब्दों का प्रयोग नहीं करते। सही शब्द-प्रयोग ही बात को प्रभावी बनाता है। बलपूर्वक की गई बात महत्त्वहीन हो जाती है। इसका कोई नतीजा नहीं निकलता।