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कुँवर नारायण

Question
CBSEENHN12026117

बात (कथ्य) के लिए नीचे दी गई विशेषताओं का उचित बिंबों/मुहावरों से मिलान करें -

A. बात की चूड़ी मर जाना (i) कथ्य और भाषा का सही सामंजस्य बनना
B. बात की पेंच खोलना (ii) बात का पकड़ में न आना
C. बात का शररती बच्चे की तरह खेलना (iii) बात का प्रभावहीन हो जाना
D. पेंच को कील की तरह ठोंक देना (iv) बात में कसावट का न होना
E. बात का बन जाना (v) बात को सहज और स्पष्ट करना

Solution

A.

बात की चूड़ी मर जाना

(i)

बात का प्रभावहीन हो जाना

B.

बात की पेंच खोलना

(ii)

बात को सहज और स्पष्ट करना

C.

बात का शररती बच्चे की तरह खेलना

(iii)

बात का पकड़ में न आना

D.

पेंच को कील की तरह ठोंक देना

(iv)

बात में कसावट का न होना

E.

बात का बन जाना

(v)

कथ्य और भाषा का सही सामंजस्य बनना

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बात सीधी थी पर एक बार

भाषा के चक्कर में

 

जरा टेढ़ी फँस गई।

 

उसे पाने की कोशिश में

 

भाषा को उलटा पलटा

 

तोड़ा मरोड़ा

 

घुमाया फिराया

 

कि बात या तो बने

 

या फिर भाषा से बाहर आए-

 

लेकिन इससे भाषा के साथ साथ

 

बात और भी पेचीदा होती चली गई।

 

कवि ने अपनी बात के बारे में क्या कहा है?

कवि ने अपनी बात के लक्ष्य को पाने के लिए क्या-क्या किया?

कवि अपने लक्ष्य को क्यों नही पा सका?

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प्रस्तुत पक्तियों का सप्रसंग व्याख्या करें?

सारी मुश्किल को धैर्य से समझे बिना

मैं पेंच को खोलने के बजाए

उसे बेतरह कसता चला जा रहा था

क्यों कि इस करतब पर मुझे

साफ सुनाई दे रही थी

तमाशबीनों की शाबाशी और वाह वाह!

आखिरकार वही हुआ जिसका मुझे डर था

जो़र ज़बरदस्ती से

बात की चूड़ी मर गई

और वह भाषा में बेकार घूमने लगी!