कवि के पास जो कुछ अच्छा-बुरा है वह विशिष्ट और मौलिक कैसे और क्यों है?
कवि के पास स्वाभिमान युक्त गरीबी है जिस पर उसे गर्व है। जीवन को भोगने में प्राप्त गहन अनुभव, वैचारिक प्रक्रिया अर्थात् चिंतन सैद्धांतिक दृढ़ता, हृदय में बहने वाली भावों रूपी नदी काव्य में उसके द्वारा अपनाई गई नवीनता आदि सब अच्छे हैं अथवा बुरे हैं पर हैं विशिष्ट और मौलिक। इस मौलिकता के कारण ही कवि ने प्रत्येक पल को जिया है। किसी भी विषय पर विचार करने की उसकी अपनी शैली है, हृदय में उठने वाली अनुभूतियों के प्रति भी उसका अपना दृष्टिकोण है। अत: उसके पास जो कुछ भी अच्छा-बुरा है, वह उसका विशिष्ट और मौलिक है। उसमें नकल या बनावटीपन नहीं है।