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एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!

Question
CBSEENHN10002740

दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक - सांस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी अति विशिष्ट है। इस कथन को ध्यान में रखते हुए दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।

Solution

दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक, सांस्कृतिक के दायरे से बाहर है क्योंकि वह गौनहारिन है और गौनहारिन को सामाजिक प्रतिष्ठा का पात्र नहीं माना जाता है उसकी विशिष्ट प्रतिभाएँ इस प्रकार है -
1) प्रबुद्ध गायिका: दुलारी एक प्रभावशाली गायिका है उसकी आवाज़ में मधुरता व लय का सुन्दर संयोजन है। पद्य में तो सवाल-जवाब करने में उसे कुशलता प्राप्त थी। उसके आगे अच्छा गायक भी नहीं टिक पाता था।
2) दुलारी अबला नहीं: वह नारी होते हुए पुरुषों के पौरुष को ललकारने की क्षमता रखती है। वह पुरुषों की तरह ही दनादन दंड लगाती है, कसरत करती है।
3) देश के प्रति श्रद्धा: बेशक दुलारी प्रत्यक्ष रूप से स्वतन्त्रता संग्राम में ना कूदी हो पर वह अपने देश के प्रति समर्पित स्त्री थी। तभी उसने फेंकू द्वारा दी, रेशमी साड़ियों के बंडल को, विदेशी वस्त्रों को एकत्र करके जलाने हेतु जुलूस में आए लोगों को दे दिया।
4) समर्पित प्रेमिका: दुलारी एक समर्पित प्रेमिका थी। वह टुन्नू से मन ही मन प्रेम करती थी। परन्तु उसके जीते-जी उसने अपने प्रेम को कभी व्यक्त नहीं किया। उसकी मृत्यु ने उसके ह्रदय में दबे प्रेम को आँसूओं के रूप में प्रवाहित कर दिया।
5) सहृदया नारी: वह सहृदया भी है। टुन्नू की मृत्यु पर उसकी आँखों से आँसुओं की मेघमाला उमड़ पड़ती है। इस तरह वह भावुक सहृदया नारी है।
6) निडर स्त्री:  दुलारी एक निडर स्त्री थी। वह किसी से नहीं डरती थी। अकेली स्त्री होने के कारण उसने स्वयं की रक्षा हेतु अपने को निडर बनाया हुआ था। इसी निडरता से उसने फेकूं की दी हुई साड़ी जुलूस में फेंक दी। टुन्नू की मृत्यु के पश्चात उसने अंग्रेज विरोधी समारोह में भाग लिया तथा गायन पेश किया।
7) स्वाभिमानी स्त्री: दुलारी एक स्वाभिमानी स्त्री थी। वह अपने सम्मान के लिए समझौता करने के लिए कतई तैयार नहीं थी। इसलिए उसे उसकी गायकी में कोई भी हरा नहीं सकता था।

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हमारी आज़ादी की लड़ाई में समाज के उपेक्षित माने जाने वाले वर्ग का योगदान भी कम नहीं रहा है। इस कहानी में ऐसे लोगों के योगदान को लेखक ने किस प्रकार उभारा है?

कठोर ह्रदयी समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर क्यों विचलित हो उठी?

कठोर ह्रदयी समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर क्यों विचलित हो उठी?

दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक - सांस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी अति विशिष्ट है। इस कथन को ध्यान में रखते हुए दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।

दुलारी का टुन्नू से पहली बार परिचय कहाँ और किस रूप में हुआ?

दुलारी का टुन्नू को यह कहना कहाँ तक उचित था - 'तैं सरबउला बोल ज़िन्नगी में कब देखले लोट?...! 'दुलारी से इस आक्षेप में आज के युवा वर्ग के लिए क्या संदेश छिपा है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।

भारत के स्वीधनता आंदोलन में दुलारी और टुन्नू ने अपना योगदान किस प्रकार दिया?

दुलारी और टुन्नू के प्रेम के पीछे उनका कलाकार मन और उनकी कला थी? यह प्रेम दुलारी को देश प्रेम तक कैसे पहुँचाता है?

जलाए जाने वाले विदेशी वस्त्रों के ढेर में अधिकाशं वस्त्र फटे-पुराने थे परंतु दुलारी द्वारा विदेशी मिलों में बनी कोरी साड़ियों का फेंका जाना उसकी किस मानसिकता को दर्शाता है?

'मन पर किसी का बस नहीं; वह रूप या उमर का कायल नहीं होता।' टुन्नू के इस कथन में उसका दुलारी के प्रति किशोर जनित प्रेम व्यक्त हुआ है परंतु उसके विवेक ने उसके प्रेम को किस दिशा की ओर मोड़ा?