Question
बचपन में लेखक पक्का ब्राह्मण बनने के लिए क्या करता था?
Solution
बचपन में लेखक को स्वयं पर बहुत गर्व था क्योंकि वह एक ब्राहमण था। बाहूमण ही बहूम को जानता है। लेखक भी पक्का ब्राहमण बनने के लिए बहूम को जानना चाहता था। इसलिए वह संध्या करता, गायत्री का जाप करता, धूप-हवन करता तथा चंदन का तिलक लगाता था। लेखक उन सभी क्रियाओं में बढ़-चढ़ कर भाग लेता जिससे उसका ब्राह्मणत्व सिद्ध हो। उसने अपने ब्राह्मणत्व में गाँव के कई ऐसे लोगों के पैर छूने भी छोड़ दिए थे जो बाहूमण नहीं थे।