Question
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
पंद्रह दिन बाद फिर उसी कस्बे से गुज़रे। कस्बे में घुसने से पहले ही ख्याल आया कि कस्बे कि ह्रदयस्थली में सुभाष की प्रतिमा अवश्य ही प्रतिष्ठापित होगी, लेकिन सुभाष की आँखों पर चश्मा नहीं होगा।....... क्योंकि मास्टर बनाना भूल गया।.. और कैप्टन मर गया। सोचा, आज वहाँ रुकेंगे नहीं, पान भी नहीं खाएँगे, मूर्ति की तरफ़ देखेंगे भी नहीं, सीधे निकल जाएँगे। ड्राइवर से कह दिया, चौराहे पर रुकना नहीं, आज बहुत काम है, पान आगे कहीं खा लेंगे।
लेकिन आदत से मजबूर ऑखें चौराहा आते ही मूर्ति की तरफ़ उठ गईं। कुछ ऐसा देखा कि चीखे, रोको! जीप स्पीड में थी, ड्राइवर ने जोर से ब्रेक मारे। रास्ता चलते लोग देखने लगे। जीप रुकते-न-रुकते हालदार साहब जीप से कूदकर तेज-तेज कदमों से मूर्ति की तरफ लपके और उसके ठीक सामने जाकर अटें शान में खड़े हो गए।
हालदार साहब नेता जी की मूर्ति की ओर क्यों नहीं देखना चाहते?
Solution
हालदार साहब नेता जी की मूर्ति की ओर इसलिए नहीं देखना चाहते क्योंकि पीछे जितनी बार भी वे यहाँ आकर मूर्ति देखते हैं, मूर्ति की आँखों पर चश्मा नहीं होता। जब उन्हें पता चला कि मूर्ति को चश्मा लगाने वाले कैप्टन की मौत हो गई है तो उनका मन दु:ख से भर उठता है। वे कैप्टन को स्मरण कर भावविभोर हो उठते हैं। उन्हें कैप्टन की याद न आए तथा नेता जी की मूर्ति बिना चश्मे के अधूरी लगती है-इन सभी कारणों से वे मूर्ति की ओर नहीं देखते हैं।