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जयशंकर प्रसाद - आत्मकथ्य

Question
CBSEENHN10001622

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
किंतु कहीं ऐसा न हो कि तुम ही खाली करने वाले-
अपने को समझो, मेरा रस ले अपनी भरने वाले।
यह विडंबना! अरी सरलते तेरी हँसी उड़ाऊँ मैं।
भूलें अपनी या प्रवंचना औरों की दिखलाऊँ मैं।
उज्वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की।
अरे खिल-खिला कर हँसते होने वाली उन बातों की।

कवि ने किस बोली का प्रयोग किया है?





 

Solution
खड़ी बोली।

Some More Questions From जयशंकर प्रसाद - आत्मकथ्य Chapter

स्मृति को ‘पाथेय’ बनाने से कवि का क्या आशय है?

भाव स्पष्ट कीजिये:
(क) मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न देख कर जाग गया।
आलिंगन में आते-आते मुसक्या कर जो भाग गया।

(ख) जिसके अरुण-कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।
अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।

‘उज्जल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की’ - कथन के माध्यम से कवि क्या कहना कहता है?

‘आत्मकथ्य’ कविता की काव्यभाषा की विशेषताएँ उदाहरण सहित लिखिए।

कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था उसे कविता में किस भावों में अभिव्यक्त किया है?

इस कविता के माध्यम से प्रसाद जी के व्यक्तित्व की जे झलक मिलती है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।

आप किन व्यक्तियों की आत्मकथा पढ़ना चाहेंगे और क्यों?

कोई भी अपनी आत्मकथा लिख सकता है। उसके लिए विशिष्ट या बड़ा होना जरूरी नहीं। हरियाणा राज्य के गुड़गांव में घरेलू सहायिका के रूप में काम करने वाली बेबी हालदार की आत्मकथा बहुतों के द्वारा सराही गई। आत्मकथात्मक शैली में अपने बारे में कुछ लिखिए।

श्री जयशंकर प्रसाद ने ‘आत्मकथ्य’ नामक कविता की रचना क्यों की थी?

कवि अपने जीवन के किस प्रसंग को जग जाहिर नहीं करना चाहता था और क्यों?