Question
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये
डार द्रुम पलना बिछौना नव पल्लव के,
सुमन झिंगूला सोहै तन छबि भारी दै।
पवन झूलावै, केकी-कीर बरतावैं, ‘देव’,
कोकिल हलावै-हुलसावै कर तारी दै।।
पूरित पराग सों उतारो करै राई नोन,
कंजकली नायिका लतान सिर सारी दै।
मदन महीप जू को बालक बसंत ताहि,
प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दै।।
कवित्त में निहित भावार्थ स्पष्ट कीजिए।
Solution
देव द्वारा रचित कवित्त में प्रकृति के मानवीकरण रूप को सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया है। बसंत का बालक के रूप में जन्म हुआ है जिस की सेवा-सुश्रुषा में सारी प्रकृति जी-जान से जुट गई है। पत्तों के बिछौने पर हवा उसे झुलाती है और फूलों ने उसे वस्त्र प्रदान किए हैं। मोर और तोते उससे बातें करते हैं तो कोयल तालियाँ बजा-बजा कर प्रसन्न होती है। कमल की कली उसे लगी नज़र को दूर करने के लिए टोटका करती है और गुलाब के फूल चटक-चटक कर उसे सुबह जगाने का कार्य करते हैं। कामदेव के बालक की सेवा में सारी प्रकृति पूरी तरह से लगी हुई हैं।