पठित कविताओं को आधार बनाकर देव के सौंदर्य-निरूपण पर टिप्पणी कीजिए।
देव प्रेम, सौंदर्य और श्रृंगार के कवि हैं। उन्होंने अपने अधिकतर साहित्य की रचना सौंदर्य और श्रृंगार के आधार पर ही की है। उनकी कविता में सौंदर्य और श्रृंगार का पुराना रूप ही दिखाई देता है। उन्होंने इस क्षेत्र में नई कल्पनाएँ नहीं की थीं। उन्होंने परंपरागत उपमानों का ही प्रयोग किया था।
उन्होंने श्री कृष्ण की सुंदरता सामंती प्रवृत्ति के आधार पर की है।
पायीन नूपुर मंजु बजैं, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।
सांवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।
राधा अद्भुत सौंदर्य की स्वामिनी है। उसके सौंदर्य के सामने सारे नर-नारी तो पानी भरते हैं। चाँद भी उसकी सुंदरता का बिंब मात्र है:
आरसी से अंबर में आभा सी उजारी लगै
प्यारी राधिका को प्रतिबिंब सो लगत चंद।
चांदनी के रंग वाली वह तो स्फटिक के महल में छिपी-सी रहती है।