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सूरदास - पद

Question
CBSEENHN10001434

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
       ऊधौ, तुम हौ अति बड़भागी।
अपरस रहत सनेह तगा तैं, नाहिन मन अनुरागी।
पुरइनि पात रहत जल भीतर, ता रस देह न दागी।
ज्यौं जल माहँ तेल की गागरि, बूँद न ताकौं लागी।
प्रीति-नदी मैं पाउँ न बोरयौ, दृष्टि न रूप परागी।
‘सूरदास’ अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यौं पागी।

‘पुरइनि पात’ के माध्यम से कवि ने क्या कहा है?

Solution
‘पुरइनि पात’ के माध्यम से कवि ने उन लोगों पर कटाक्ष किया है जो संसार में रहकर भी प्रेम-मार्ग पर चल नहीं पाते। श्री कृष्ण के निकट रह कर भी उनके प्रति विरक्त बने रहते हैं।

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