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सूरदास - पद

Question
CBSEENHN10001433

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
       ऊधौ, तुम हौ अति बड़भागी।
अपरस रहत सनेह तगा तैं, नाहिन मन अनुरागी।
पुरइनि पात रहत जल भीतर, ता रस देह न दागी।
ज्यौं जल माहँ तेल की गागरि, बूँद न ताकौं लागी।
प्रीति-नदी मैं पाउँ न बोरयौ, दृष्टि न रूप परागी।
‘सूरदास’ अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यौं पागी।

गोपियों ने ऊधो को क्या कहा है?

Solution
गोपियों ने उद्धव से कहा था कि वह अभागा है क्योंकि वह श्री कृष्ण के साथ रह कर भी उनके प्रेम से भिन्न रहा। गोपियों से स्पष्ट कहती है कि वे सभी कृष्ण के प्रति प्रेम-भाव से समर्पित है। वह किसी भी अवस्था में श्री कृष्ण के प्रति प्रेम-भाव को नहीं त्याग सकतीं।

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