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सूरदास - पद

Question
CBSEENHN10001429

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
       ऊधौ, तुम हौ अति बड़भागी।
अपरस रहत सनेह तगा तैं, नाहिन मन अनुरागी।
पुरइनि पात रहत जल भीतर, ता रस देह न दागी।
ज्यौं जल माहँ तेल की गागरि, बूँद न ताकौं लागी।
प्रीति-नदी मैं पाउँ न बोरयौ, दृष्टि न रूप परागी।
‘सूरदास’ अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यौं पागी।

उद्धव के व्यहवार की तुलना किस-किस से की गई है?

Solution

उद्धव के व्यवहार की तुलना पानी पर तैरते कमल के पत्ते और जल में पड़ी तेल भरी गगरी से की गई है। दोनों पर जल का कोई प्रभाव नहीं पड़ता उद्धव सब प्रकार से अनासक्त था।

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गोपियों को कृष्ण में ऐसे कौन-से परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन वापस पा लेने की बात कहती हैं?

गोपियों ने अपने वाक्‌चातुर्य के आधार पर ज्ञानी उद्धव को परास्त कर दिया, उनके वाक्‌चातुर्य की विशेषताएँ लिखिए?

संकलित पदों को ध्यान में रखते हुए सूर के भ्रमरगीत की मुख्य विशेषताएँ बताइए?

गोपियों ने उद्धव के सामने तरह-तरह के तर्क दिए हैं, आप अपनी कल्पना से और तर्क दीजिए।

उद्धव ज्ञानी थे, नीति की बातें जानते थे; गोपियों के पास ऐसी कौन-सी शक्ति थी जो उनके वाक्‌चातुर्य में मुखरित हो उठी?

गोपियों ने यह क्यों कहा कि हरि अब राजनीति पढ़ आए हैं? क्या आपको गोपियों के इस कथन का विस्तार समकालीन राजनीति में नज़र आता है, स्पष्ट कीजिए।

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सूरदास के ‘भ्रमरगीत’ का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।

भ्रमरगीतों में प्रयुक्त सूरदास की भाषा पर टिप्पणी कीजिए।

भ्रमरगीतों के आधार पर गोपियों की विशेषताएँ लिखिए।