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सूरदास - पद

Question
CBSEENHN10001417

पाठ में दिए गए भ्रमरगीतों के आधार पर शृंगार रस की उपस्थिति को स्पष्ट कीजिए।

Solution

सूरदास के भ्रमरगीतों में आरंभ से अंत तक वियोग शृंगार का साम्राज्य रहा है। संयोग शृंगार का कोई भी उपयुक्त प्रसंग इनमें उपलब्ध नहीं होता। वे श्रीकृष्ण को याद करती थीं; आँसू बहाती थीं और वियोग की पीड़ा में जलती रहती थीं। उद्धव के योग-साधना के संदेशों ने उसके वियोग के कष्टों को और अधिक बढ़ा दिया है-
अब इन जोग सँदेसनी सुनि-सुनि, बिरहिनि बिरह दही।
चाहति हुतीं गुहारि जितहिं तैं, उत तैं धार बही।।

गोपियों को वियोग की पीड़ा से उतना अधिक कष्ट नहीं था जितना उद्धव के द्वारा दिए जाने वाले योग के संदेश से था क्योंकि इससे उनका विरह-भाव और अधिक बढ़ गया था।

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