Question
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
मन की मन ही माँझ रही।
कहिए जाइ कौन पै ऊधौ, नाहीं परत कही।
अवधि अधार आस आवन की, तन मन बिथा सही।
अब इन जोग सँदेसनी सुनि-सुनि, बिरहिनि बिरह दही।
चाहति हुतीं गुहारि जितहिं तैं, उत तैं धार बही।
‘सूरदास’ अब धीर धरहिं क्यौं, मरजादा न लही।
पद से छाँट कर पाँच तद्भव और उनके तत्सम रूप लिखिए।
Solution
तद्भव - तत्सम
अधार - आधार
आस - आशा
बिथा - व्यथा
बिरह - विरह
जोग - योग
मरजादा - मर्यादा