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सूरदास - पद

Question
CBSEENHN10001459

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
         मन की मन ही माँझ रही।
कहिए जाइ कौन पै ऊधौ, नाहीं परत कही।
अवधि अधार आस आवन की, तन मन बिथा सही।
अब इन जोग सँदेसनी सुनि-सुनि, बिरहिनि बिरह दही।
चाहति हुतीं गुहारि जितहिं तैं, उत तैं धार बही।
‘सूरदास’ अब धीर धरहिं क्यौं, मरजादा न लही।

पद से छाँट कर पाँच तद्‌भव और उनके तत्सम रूप लिखिए।

Solution

तद्‌भव  -  तत्सम
अधार  -  आधार
आस  -   आशा
बिथा  -   व्यथा
बिरह  -   विरह
जोग  -    योग
मरजादा - मर्यादा

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