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सूरदास - पद

Question
CBSEENHN10001457

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
         मन की मन ही माँझ रही।
कहिए जाइ कौन पै ऊधौ, नाहीं परत कही।
अवधि अधार आस आवन की, तन मन बिथा सही।
अब इन जोग सँदेसनी सुनि-सुनि, बिरहिनि बिरह दही।
चाहति हुतीं गुहारि जितहिं तैं, उत तैं धार बही।
‘सूरदास’ अब धीर धरहिं क्यौं, मरजादा न लही।

किस शब्द शक्ति ने गोपियों के स्वर के गहनता-गंभीरता प्रदान की है?


Solution
लाक्षणिकता के प्रयोग ने गोपियों के स्वर को गहनता-गंभीरता प्रदान की है।

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