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सूरदास - पद

Question
CBSEENHN10001448

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
         मन की मन ही माँझ रही।
कहिए जाइ कौन पै ऊधौ, नाहीं परत कही।
अवधि अधार आस आवन की, तन मन बिथा सही।
अब इन जोग सँदेसनी सुनि-सुनि, बिरहिनि बिरह दही।
चाहति हुतीं गुहारि जितहिं तैं, उत तैं धार बही।
‘सूरदास’ अब धीर धरहिं क्यौं, मरजादा न लही।

गोपियां किसे अपनी मर्यादा समझती थीं?



Solution
गोपियां श्रीकृष्ण और अपने प्रति उनके प्रेम को अपनी मर्यादा समझती थीं।

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गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए?

गोपियों को कृष्ण में ऐसे कौन-से परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन वापस पा लेने की बात कहती हैं?

गोपियों ने अपने वाक्‌चातुर्य के आधार पर ज्ञानी उद्धव को परास्त कर दिया, उनके वाक्‌चातुर्य की विशेषताएँ लिखिए?

संकलित पदों को ध्यान में रखते हुए सूर के भ्रमरगीत की मुख्य विशेषताएँ बताइए?

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सूरदास के ‘भ्रमरगीत’ का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।

भ्रमरगीतों में प्रयुक्त सूरदास की भाषा पर टिप्पणी कीजिए।