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बाल महाभारत

Question
CBSEENHN7000281

नीचे लिखे वाक्यों को पढ़ो। सोचकर लिखो कि जिन शब्दों के नीचे रेखा खींची गई है, उनके अर्थ क्या हो सकते हैं?

(क) गंगा के चले जाने से शांतनु का मन विरक्त हो गया।

(ख) द्रोणाचार्य ने द्रुपद से कहा-“जब तुम राजा बन गए, तो ऐश्वर्य के मद में आकर तुम मुझे भूल गए।”

(ग) दुर्योधन ने धृतराष्ट्र से कहा-“पिता जी, पुरवासी तरह-तरह की बातें करते हैं।”

(घ) स्वयंवर मंडप में एक वृहदाकार धनुष रखा हुआ है।

(ङ) चौसर का खेल कोई हमने तो ईजाद किया नहीं।

Solution

(क)विरक्त − ऊब जाना

(ख) मद − नशा, अहंकार

(ग)पुरवासी − नगरवासी

(घ) वृहदाकार − बड़े आकार का

(ङ)ईजाद − खोज (आविष्कार)

Some More Questions From बाल महाभारत Chapter

महाभारत के समय में राजा के बड़े पुत्र को अगला राजा बनाने की परपंरा थी। इस परंपरा को ध्यान में रखते हुए बताओ कि तुम्हारे अनुसार किसे राजा बनाया जाना चाहिए था-युधिष्ठिर या दुर्योधन को? अपने उत्तर का कारण बताओ।

महाभारत के युद्ध को जीतने के लिए कौरवों और पांडवों ने अनेक प्रयास किए। तुम्हें दोनों के प्रयासों में जो उपयुक्त लगे हों, उनके कुछ उदाहरण दो।

तुम्हारे विचार से महाभारत के युद्ध को कौन रूकवा सकता था? कैसे?

इस पुस्तक में से कोई पाँच मुहावरे चुनकर उनका वाक्यों में प्रयोग करो।

महाभारत में एक ही व्यक्ति के एक से अधिक नाम दिए गए हैं। बताओ, नीचे लिखे हुए नाम किसके हैं?

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इस पुस्तक में भरतवंश की वंशावली दी गई है। तुम भी अपने परिवार की ऐसी ही एक वंशावली तैयार करो। इस कार्य के लिए तुम अपने बड़े लोगों से मदद ले सकते हो।

तुम्हारे अनुसार महाभारत कथा में किस पात्र के साथ सबसे अधिक अन्याय हुआ और क्यों?

महाभारत के युद्ध में किसकी जीत हुई?

तुम्हारे विचार से महाभारत की कथा में सबसे अधिक वीर कौन था/थी? अपने उत्तर का कारण भी बताओ।

महाभारत के कुछ पात्रों द्वारा कही गई बातें नीचे दी गई हैं। इन बातों को पढ़कर उन पात्रों के बारे में तुम्हारे मन में क्या विचार आते हैं-

(क) शांतनु ने केवटराज से कहा- “जो माँगोगे दूँगा, यदि वह मेरे लिए अनुचित न हो।”

(ख) दुर्योधन ने कहा- “अगर बराबरी की बात है, तो मैं आज ही कर्ण को अंगदेश का राजा बनाता हूँ।”

(ग) धृतराष्ट्र ने दुर्योधन से कहा-“बेटा, मैं तूम्हारी भलाई के लिए कहता हूँ कि पाँडवों से वैर न करो। वैर दुख और मृत्यु का कारण होता है।”

(घ) द्रोपदी ने सारथी प्रातिकामी से कहा-“रथवान! जाकर उन हारने वाले जुए के खिलाड़ी से पूछो कि पहले वह अपने को हारे थे या मुझे?”