महादेवी ने कवि-सम्मेलनों में कविता-पाठ के लिए अपना नाम बुलाए जाने से पहले होने वाली बेचैनी का जिक्र किया है। अपने विद्यालय में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते समय आपने जो बेचैनी अनुभव की होगी, उस पर डायरी का एक पृष्ठ लिखिए।
छात्र स्वयं करने का प्रयास करे जैसे:-
10 oct 2016,
आज हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव मनाया गया। इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में मुझे अपने मित्र के साथ नृत्य प्रस्तुत करना था। हमारा नृत्य तीसरा था। हम कार्यक्रम शुरू होने पहले वस्त्र और आभूषण के साथ सुसज्ज हो गए थे। पर जैसे ही कार्यक्रम शुरू हुआ मेरे दिल कई धड़कने बढ़नी लगी। मैंने पहली बार ऐसे कार्यक्रम में नाम लिखवाया था। और देखते-देखते हमारा नाम पुकारा गया। जैसे ही हम मंच पर गए सबने तालियों से हमें प्रोत्साहन दिया। मुझ में धीरे-धीरे आत्मविश्वास बढ़ता गया और में नृत्य में लीन हो गया। सब को हमारा नृत्य बहुत अच्छा लगा। यह दिन मुझे हमेशा याद रहेंगा।