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सिंधु घाटी सभ्यता
कौटिल्य के अर्थशास्त्र में शासन के सिद्धांत, व्यवहार, चंद्रगुप्त की सेना, रक्षा व किलबंदी के अतिरिक्त व्यापार और वाणिज्य, कानून और न्यायालय, नगर व्यवस्था, सामाजिक रीतिरिवाज, विवाह और तलाक, स्त्रियों कै अधिकार, कर और लगान, कृषि, खानों और कारखानों को चलाना, दस्तकारी, मंडियाँ, बागवानी, उद्योग- धंधे, सिंचाई और जलमार्ग, जहाज़ और जहाज़रानी. निगमें, जन-गणना, मत्स्य-उद्योग, कसाईखाने, पासपोर्ट और जेल सबको शामिल किया गया। इसमें विधवा विवाह को मान्यता दी गई और विशेष परिस्थितियों में तलाक को भी। इस प्रकार कौटिल्य ने समाज का कोई भी ऐसा अंग न छोड़ा जिसे अपने अर्थशास्त्र में स्थान न दिया हो।
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