Question
नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
”तू समझती नहीं।” गवरा हँसकर बोला. “कपड़े पहन-पहनकर जाड़ा-गरमी-बरसात सहने की उनकी सकत भी जाती रही है। ... और इस कपड़े में बड़ा लफड़ा भी है। कपड़ा पहनते ही पहननेवाले की औकात पता चल जाती हैं ... आदमी-आदमी की हैसियत में भेद पैदा हो जाता है।”
यह संवाद कौन किससे कह रहा है?
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गवरा गवरइया से
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गवरइया गवरे से
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लेखक गवरे से
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लेखक गवरइया से
Solution
A.
गवरा गवरइया से