नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
दिन-भर की भूखी भेड़ें दाने का सूप देखकर जो सबकी सब झपटीं तो भागकर जाना कठिन हो गया। लश्टम-पश्टम तख्तों पर चढ़ गई। पर भेड़-चाल मशहूर है। उनकी नज़र तो बस दाने के सूप पर जमी हुई थी। पलंगों को फलाँगती, बरतन लुढ़काती साथ-साथ चढ़ गई।
तख्त पर बानी दीदी का दुपट्टा फैला हुआ था जिस पर गोखरी, चंपा और सलमा-सितारे रखकर बड़ी दीदी मुगलानी बुआ को कुछ बता रही थीं। भेड़ें बहुत निःसंकोच सबको रौंदती, मेंगनों का छिड़काव करती र्हुई दौड़ गई।
जब तूफ़ान गुजर चुका तो ऐसा लगा जैसे जर्मनी की सेना टैंकों और बमबारों सहित उधर से छापा मारकर गुजर गई हो। जहाँ-जहाँ से सूप गुजरा, भेड़ें शिकारी कुत्तों की तरह गंध सूँघती हुई हमला करती गईं।
भेड़-चाल से आप क्या समझते हो?
- तेज गति में भागना
- एक को देखकर सभी का वैसे ही करना
- धीरे-धीरे चलना
- लक्ष्य्राप्त किए बिना न रुकना।
B.
एक को देखकर सभी का वैसे ही करनाD.
लक्ष्य्राप्त किए बिना न रुकना।