अंतरिक्ष के पार की दुनिया से क्या सचमुच कोई बस आती है जिससे खतरों के बाद भी बचे हुए लोगों की खबर मिलती है? आपकी राय में यह झूठ है या सच? यदि झूठ है तो कविता में ऐसा क्यों लिखा गया? अनुमान लगाइए यदि सच लगता है तो किसी अंतरिक्ष संबंधी विज्ञान कथा के आधार पर कल्पना कीजिए वह बस कैसी होगी, वे बचे हुए लोग खतरों से क्यों घिर गए होंगे? इस संदर्भ को लेकर कोई कथा बना सकें तो बनाइए।
वैज्ञानिक रूप से बस ऐसा साधन नहीं है जो अंतरिक्ष के पार जा सकें। यह मात्र कवयित्री की कल्पना है क्योंकि कवि सदा कल्पना लोक में विचरण करते हैं। इसे सच या झूठ का नाम न देकर काल्पनिक अनुभव कहा जाना चाहिए। कविता में झूठ नहीं एक कल्पना की गई है। लेकिन कल्पना को शब्दों का आवरण इस प्रकार से पहनाया गया है कि यह सच प्रतीत होने लगता है। आशावादिता के अनुसार एक काल्पनिक तथ्य सामने आता है कि हमारे विकास और उत्थान के लिए अंतरिक्ष से संदेश लेकर कोई वाहन धरती पर आता है।
यहाँ तो कवयित्री ने अंतरिक्ष संबंधी विज्ञान कथा का आधार यह माना है कि बस कैसी होगी? वे बचे हुए लोग खतरों से क्यों घिर गए होंगे। इस संदर्भ पर कथा लिखने हेतु निम्न संकेत बिंदुओं का सहारा लिया जा सकता है-
1. बस का सुंदर रूप 15 से 20 लोगों के बैठने का स्थान।
2. बस में ऑक्सीजन व खाने-पीने के सामान का पूरा प्रबंध।
3. बस पहिए से नहीं ऊर्जा से चलने वाली।
4. अपनै लक्ष्य मै, पूर्णतया सफल।
5. अचानक मौसम का खराब होना।
6. लोगों का बेहोश होना।
7. मुश्किल से राह मिलना।
8. बच लोगों का वापिस आना।
9. लोगों का विभिन्न जानकारियां एकत्रित करना।
10. उनकी खुशी का ठिकाना न होना।
11. ऑक्सीजन की कमी हो जाना।
12. डॉक्टर का भरसक प्रयत्न।
13. कुछ लोगों की मृत्यु।
14. परिवारजनों की आँखें खुशी से नम हो जाना।