हमारे अतीत भाग 2 Chapter 9 महिलाएँ, जाति एवं सुधार
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    NCERT Solution For Class 8 सामाजिक विज्ञान हमारे अतीत भाग 2

    महिलाएँ, जाति एवं सुधार Here is the CBSE सामाजिक विज्ञान Chapter 9 for Class 8 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 8 सामाजिक विज्ञान महिलाएँ, जाति एवं सुधार Chapter 9 NCERT Solutions for Class 8 सामाजिक विज्ञान महिलाएँ, जाति एवं सुधार Chapter 9 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 8 सामाजिक विज्ञान.

    Question 1
    CBSEHHISSH8008205

    निम्नलिखित लोगों ने किन सामाजिक विचारों का समर्थन और प्रसार किया:

    राममोहन रॉय

    दयानन्द सरस्वती

    वीरेशलिंगम  पंतुलु

    ज्योतिराव फुले

    पंडिता रमाबाई

    पेरियार

    मुमताज़ अली

    ईश्वरचंद्र विद्यासागर

    Solution
    राममोहन रॉय: राजा राममोहन रॉय ने ब्रह्मा समाज की स्थापना की। उनके प्रयासों के फलस्वरूप ही 1829 में 'सती प्रथा' पर रोक लगा दी गई थी।
    दयानन्द सरस्वती: स्वामी दयानन्द सरस्वती ने 1875 में 'आर्य समाज' की स्थापना की तथा विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया।  
     
    वीरेशलिंगम  पंतुलु: वीरेशलिंगम  पंतुलु ने एक एसोसिएशन की स्थापना की तथा विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया।   
    ज्योतिराव फुले: ज्योतिराव फुले ने लड़कियों की शिक्षा का समर्थन किया। उन्होंने जाति व्यवस्था समेत सभी प्रकार की असमानताओं का विरोध किया।
    पंडिता रमाबाई: पंडिता रमाबाई ने पुरषों के साथ महिलाओं की समानता का समर्थन किया। उन्होंने उच्च जाती की महिलाओं की दयनीय अवस्था का प्रतिकार किया। उन्होंने पुणे में एक 'विधवा गृह' की भी स्थापना की।
    पेरियार: पेरियार ने समानता की वकालत की। उन्होंने 'आत्म-सम्मान आंदोलन' की नींव रखी तथा सत्ता पर ब्राह्मणों के वर्चस्व को ललकारा।  
    मुमताज़ अली: मुमताज़ अली ने महिला शिक्षा का समर्थन किया।
    ईश्वरचंद्र विद्यासागर: ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने विधवा पुनर्विवाह तथा लड़कियों की शिक्षा का समर्थ किया। उन्होंने लड़िकयों  के लिए स्कूल भी खोले।


    Question 3
    CBSEHHISSH8008207

    प्राचीन ग्रंथो के ज्ञान से सुधारकों को नए कानून बनवाने में किस तरह मदद मिली?

    Solution

    राजा राममोहन रॉय जैसे सुधारक जो संस्कृत, फ़ारसी तथा अन्य कई भारतीय एवं यूरोपीय भाषाओं के अच्छे ज्ञाता थे। उन्होंने अपने लेखन के ज़रिए यह सिद्ध करने का प्रयास किया कि प्राचीन ग्रंथो में विधवाओं को जलाने की अनुमति कही नहीं दी गयी है।

    प्राचीन ग्रंथों के उनके ज्ञान ने उन्हें बहुत अधिक आत्मविश्वास और नैतिक समर्थन दिया जो उन्होंने नए कानूनों को बढ़ावा देने में उपयोग किया। जब लोगों ने उन सुधारों के खिलाफ आवाज उठाई तो वे डर नहीं पाए।

    Question 4
    CBSEHHISSH8008208

    लड़कियों को स्कूल ने भेजने के पीछे लोगों के पास कौन-कौन से कारण होते थे?

    Solution

    लड़कियों को स्कूल ने भेजने के पीछे कारण थे:
    (i) लोगो को भय था कि स्कूल वाले लड़कियों को घर से निकाल ले जाएँगे और उन्हें घरेलू कामकाज नहीं करने देंगे।
    (ii) स्कूल जाने के लिए लड़कियों को सार्वजनिक स्थानों से गुजर कर जाना पड़ता था। बहुत सारे लोगों को लगता था कि इससे लड़कियाँ बिगड़ जाएँगी।
    (iii) उनकी मान्यता थी कि लड़कियों को सार्वजनिक स्थानों से दूर रहना चाहिए। इससे उनके आचरण पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

    Question 5
    CBSEHHISSH8008209

    ईसाई प्रचारकों की बहुत सारे लोग क्यों आलोचना करते थे? क्या कुछ लोगों ने उनका समर्थन भी किया होगा? यदि हाँ तो किस कारण?

    Solution

    ईसाई प्रचारकों की लोगो ने काफी आलोचना की और उन पर देश के कई भागो में हमला भी किया गया क्योंकि उन पर जनजातीय समूहों तथा निम्न जाती के लोगों का ज़बरन धर्म परिवर्तित करने का संदेह था।
    हाँ, कुछ लोगों ने ईसाई प्रचारकों का समर्थन भी किया होगा क्योंकि ये प्रचारक जनजातीय लोगों तथा निम्न जाती के लोगों के लिए स्कूलों की स्थापना कर रहे थे जिससे उनके बच्चों के लिए शिक्षा के उचित अवसर प्राप्त हो सकते थे।

    Question 6
    CBSEHHISSH8008210

    अंग्रेज़ों के काल में ऐसे लोगों के लिए कौन से नए अवसर पैदा हुए जो 'निम्न' मानी जाने वाली जातियों से संबंधित थे?  

    Solution

    शहरों के विस्तार के कारण मज़दूरी की काफ़ी माँग पैदा हुई।

    शहरों में नालियाँ बनाई जानी थीं, सड़कें बिछनी थीं, इमारतों का निर्माण होना था और शहरों को साफ किया जाना था। इसके लिए कुलियों, खुदाई करने वालों, बोझा ढोने वालों, ईंट बनाने वालों, नालियाँ साफ़ करने वालों, सफाईकर्मियों, पालकी ढोने वालों, रिक्शा खींचने वालों की ज़रूरत थी। इन कामो को सँभालने के लिए गाँवों और छोटे कस्बो के गरीब शहरों की तरफ जाने लगे जहाँ मज़दूरी की माँग पैदा हो रही थी। शहर जाने वालों में से बहुत सारे 'निम्न' जातियों के लोग भी थे।

    कुछ लोग असम, मॉरिशस, त्रिनिदाद और इंडोनेशिया आदि स्थानों पर बागानों में काम करने भी चले गए। परन्तु गरीबों, निचली जातियों के लोगों को यह गाँवों में स्वर्ण ज़मींदारों द्वारा उनके जीवन पर दमनकारी कब्ज़े और दैनिक अपमान से छूट निकलने का एक मौका था।

    Question 7
    CBSEHHISSH8008211

    ज्योतिराव और अन्य सुधारकों ने समाज में जातीय असमानतयों की आलोचनाओं को किस तरह सही ठहराया?    

    Solution

    ज्योतिराव फुले ने ब्राह्मणों के इस दावे पर खुलकर हमला बोला कि आर्य होने के कारण वे औरों से श्रेष्ठ हैं।
    (1) फुले का तर्क था कि आर्य विदेशी थे, जो उपमहाद्वीप के बाहर से आए थे और उन्होंने इस मिट्टी के असली वारसियों - आर्यों के आने से पहले यहाँ रह रहे मूल निवासियों - को हराकर उन्हें गुलाम बना लिया था।

    (2) जब आर्यों ने अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया तो वे पराजित जनता को नीच, निम्न जाती वाला मानने लगे।

    (3) फुले के अनुसार 'ऊँची' जातियों का उनकी ज़मीन और सत्ता पर कोई अधिकार नहीं हैं: यह धरती यहाँ के देशी लोगों की, कथित निम्न जाती के लोगों की है।

    Question 8
    CBSEHHISSH8008212

    फुले ने अपनी पुस्तक गुलामगीरी को गुलामों की आज़ादी के लिए चल रहे अमेरिकी आंदोलन को समर्पित क्यों किया?

    Solution

    1873 में फुले ने गुलामगीरी (गुलामी) नामक एक किताब लिखी। इससे लगभग दस साल पहले अमेरिकी गृह युद्ध हो चुका था जिसके फलस्वरूप अमेरिका में दास प्रथा खत्म कर दी गई थी। फुले  ने अपनी पुस्तक उन सभी अमेरीकियों को समर्पित की जिन्होंने गुलामों को मुक्ति दिलाने के लिए संघर्ष किया था।           

    Question 9
    CBSEHHISSH8008213

    'मंदिर प्रवेश आंदोलन' के ज़रिए अम्बेडकर क्या हासिल करना चाहते थे?   

    Solution

    सन् 1927 में  अम्बेडकर जी ने मंदिर प्रवेश आंदोलन शुरू किया जिसमें महार जाती के लोगों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। 1927 से 1935 के बीच अम्बेडकर ने मंदिरो में प्रवेश के लिए ऐसे तीन आंदोलन चलाए। वह पूरे देश को दिखाना चाहते थे कि समाज में जातीय पूर्वाग्रहों की जकड़ कितनी मजबूत है।      

    Question 10
    CBSEHHISSH8008214

    ज्योतिराव फुले और रामास्वामी नायकर राष्ट्रीय आंदोलन की आलोचना क्यों करते थे? क्या उनकी आलोचना से राष्ट्रीय संघर्ष में किसी तरह की मदद मिली? 

    Solution

    वे उच्च जाती के लोगों की अगुवाई में चलाए जा रहे राष्ट्रीय आंदोलन की इसलिए आलोचना करते थे क्योंकि उनका मानना था कि अंतत: यह आंदोलन उच्च जाती के लोगों के उद्देश्यों की ही पूर्ति करेगा। आंदोलन की समाप्ति के पश्‍चात् ये लोग फिर से 'छुआछूत' की बात करेंगे। एक बार फिर से ये लोग कहेंगे - ' मैं यहाँ और तुम वहाँ '। पेरियार ने छुआछूत की एक घटना के कारण कांग्रेस पार्टी को छोड़ दिया।
      हाँ उनकी आलोचना ने राष्ट्रीय संघर्ष में एकता पैदा की। इन निम्न जाति के नेताओं के सशक्त भाषण, लेखन तथा आंदोलनों ने उच्च जाति के राष्ट्रवादी नेताओं को आत्मलोचना तथा इस मुद्दे पर फिर से विचार करने के लिए प्रेरित किया।

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