शारीरिक शिक्षा Chapter 4 शारीरिक रूप से असक्षम व्यक्तियों के लिए शारीरिक शिक्षा एवं खेल
  • Sponsor Area

    NCERT Solution For Class 11 शारीरिक शिक्षा शारीरिक शिक्षा

    शारीरिक रूप से असक्षम व्यक्तियों के लिए शारीरिक शिक्षा एवं खेल Here is the CBSE शारीरिक शिक्षा Chapter 4 for Class 11 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 11 शारीरिक शिक्षा शारीरिक रूप से असक्षम व्यक्तियों के लिए शारीरिक शिक्षा एवं खेल Chapter 4 NCERT Solutions for Class 11 शारीरिक शिक्षा शारीरिक रूप से असक्षम व्यक्तियों के लिए शारीरिक शिक्षा एवं खेल Chapter 4 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 11 शारीरिक शिक्षा.

    Question 1
    CBSEHHIPEH11016055

    रूपान्तरित शारीरिक शिक्षा क्या है ?

    Solution

    रूपान्तरित शारीरिक शिक्षा दिव्यांग बच्चों को व्यक्तिगत रूप से सुरक्षित, संतुष्टिदायक तथा शारीरिक क्रियाओं से सम्बन्धित सफल अनुभव प्रदान करती है।

    Question 2
    CBSEHHIPEH11016056

    एकीकृत या समग्र शारीरिक शिक्षा क्या है ?

    Solution

    एकीकृत या समग्र शारीरिक शिक्षा की धारणा बहुत व्यापक है। यह केवल शारीरिक गतिविधियों व खेलकूद तक ही सीमित नही है अपितु यह एक पूर्ण विषय बन चुका है।

    Question 3
    CBSEHHIPEH11016057

    समावेशन को परिभाषित करें।

    Solution

    शिक्षा में समावेशन एक पहल (Approach) है जो उन विद्यार्थियों को शिक्षित करती है जिनकी खास शैक्षिक आवश्यकताएँ होती हैं।
    समावेशी शिक्षा से हमारा तात्पर्य ऐसी शिक्षा प्रणाली से है जिसमें सभी शिक्षार्थियों को बिना किसी भेदभाव के सीखने के समान अवसर मिले, परन्तु आज भी यह समावेशी शिक्षा उस मुकाम पर नहीं पहुंची है, जहाँ इसे पहुँचना चाहिए।

    Question 4
    CBSEHHIPEH11016058

    समावेशन की अवधारणा से आपका क्या अभिप्राप्य है?

    Solution

    समावेशी शिक्षा की परिकल्पना इस संकल्पना पर आधारित है कि सभी बच्चों को विद्यालयी शिक्षा में समावेशन व उसकी प्रक्रियाओं की व्यापक समझ की इस प्रकार आवश्यकता है कि उन्हें क्षेत्रीय, सांस्कृतिक, सामाजिक परिवेश और विस्तृत सामाजिक,आर्थिक एवं राजनीतिक प्रक्रियाओं में ही संदर्भित करके समझा जाए।

    Question 5
    CBSEHHIPEH11016059

    समावेशन की दो ज़रूरते बताइए।

    Solution
    1. समावेशन बच्चों को उनके शिक्षा के क्षेत्र में और उनके स्थानीय स्कूलों की गतिविधियों में उनके माता-पिता को शामिल करनेकी वकालत करती हैं।
    2. समावेशन से समाज के सभी बच्चे शिक्षा की मुख्य धारा से जुड़ जाते है।
    Question 6
    CBSEHHIPEH11016060

    हम स्कूलों में समावेशन को कैसे लागू कर सकते हैं? या विद्यालयी शिक्षा और उसके परिसर में समावेशी शिक्षा के दो तरीके बताइए।

    Solution
    1. दाखिले की नीति में परिवर्तन करके: इसके अंतर्गत हम अंधे बच्चों का स्कूल में दाखिला करके समावेशन कर सकते हैं।
    2. स्कूल के वातावरण में सुधार: समावेशन के उचित माहौल के लिए हम स्कूल का वातावरण अच्छा बना सकते हैं क्योंकि स्कूल का वातावरण किसी भी प्रकार की शिक्षा में बड़ा ही योगदान रखता है।
    Question 7
    CBSEHHIPEH11016061

    एकीकृत व समग्र शारीरिक शिक्षा के सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।

    Solution
    1. यह शारीरिक शिक्षा के विभिन्न उपविषयों के पारस्परिक सम्बन्धों पर आधारित होनी चाहिए।
    2. यह सभी व्यक्तियों की आवश्यकतानुसार होनी चाहिए।
    3. इसे वर्तमान व भावी समाज की आवश्यकताओं से निपटने में सक्षम होना चाहिए।
    4. इसे शारीरिक शिक्षा की व्यापक एवं गहरी जानकारी उपलब्ध कराने में सक्षम होना चाहिए।
    5. इसे पुष्टि, सुयोग्यता को विकसित करने योग्य होना चाहिए।
    6. इसे व्यक्तियों के सामाजिक व भावनात्मक विकास को सिखने योग्य होना चाहिए।
    Question 8
    CBSEHHIPEH11016062

    स्पेशल ओलम्पिक भारत पर टिप्पणी लिखिए।

    Solution

    इस संस्थान का गठन सन् 2001 में शारीरिक तथा मानसिक रूप से दिव्यता लोगों की खेलों में भागीदारी बढ़ाने के लिए किया गया। इसका उद्देश्य ऐसे विद्यार्थियों में नेतृत्व के सामाजिक गुणों तथा स्वास्थ्य को विकसित करना है।
    यह संगठन राज्य स्तर, राष्ट्रीय स्तर पर खेलों का आयोजन करती है। अच्छे खिलाड़ियों का चुनाव करके अन्तर्राष्ट्रीय खेलों के लिए उन्हें प्रशिक्षण देती है।
    भारत में सन् 2002 के पश्चात लगभग 23,750 प्रतिभागियों ने राष्ट्रीय खेलों में भाग लिया है।
    सन् 1987-2013 तक कुल 671 स्पेशल ओलम्पिक भारत एथलीटो (Athletes) ने सात ग्रीष्मकालीन व पाँच शीतकालीन विश्व खेलों में भाग लिया। इन्होंने 246 स्वर्ण पदक, 265 रजतपदक तथा 27 कास्य पदक जीतकर देश का गौरव बढ़ाया है।
    आज देश में लगभग 1 मिलियन एथलीट इस संस्था के सदस्य है तथा लगभग 84,950 प्रशिक्षक खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देते हैं।
    यह संस्था खेलों के माध्यम से खिलाड़ियों का सर्वागीण विकास करती है।

    Question 9
    CBSEHHIPEH11016063

    रूपान्तरित शारीरिक शिक्षा के प्रभावी बनाने के लिए किन सिद्धान्तों नियमों का पालन करना आवश्यक है। विवरण कीजिए।

    Solution
    1. चिकित्सा परीक्षण: रूपान्तरित शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए चिकित्सा परीक्षण अत्यंत आवश्यक हैं। इसके बिना यह नहीं पता चलेगा कि विद्यार्थी किस प्रकार की असमर्थता का सामना कर रहा है। अत: विद्यार्थियों का पूर्ण चिकित्सा प्रशिक्षण किया जाना चाहिए।
    2. कार्यक्रम विद्यार्थियों की रूचि के अनुसार हो: कार्यक्रम विद्यार्थियों की रूचियों, योग्यताओं व पूर्ण अनुभवों पर आधारित होने चाहिए। अध्यापिको को भी इनकी जानकारी होनी चाहिए तभी वह एक सफल कार्यक्रम बना सकते है।
    3. उपकरण आवश्यकतानुसार होने चाहिए: विद्यार्थियों की उनकी असमर्थता के अनुसार ही विभिन्न प्रकार के उपकरण प्रदान करने चाहिए। जैसे-दृष्टि संबन्धी क्षतियों वाले विद्यार्थियों को ऐसी गेदें दे जिनमें घंटियाँ बंधी हों ताकि जब बाल फर्श पर लुढ़के तो आवाज़ उत्पन्न करे और विद्यार्थी आवाज को सुनकर बॉल की दिशा व दूरी समझ सके।
    4. विशेष पर्यावरण प्रदान करना चाहिए: बच्चों की गति क्षमताएँ सीमित होने पर खेल क्षेत्र के बीच भी सीमित करना चाहिए। भाषा-असक्षम बच्चों को खेल के बीच में आराम भी देना चाहिए क्योंकि वे उच्चारण में अधिक समय लेते हैं। उनका क्षेत्र भी सीमित होना चाहिए।
    5. विद्यार्थियों की आवश्यकतानुसार नियमों का संशोधन किया जाना चाहिए: विद्यार्थियों की आवश्यतानुसार नियमों में बदलाव कर लेना चाहिए। किसी कौशल को सीखने के लिए अतिरिक्त समय, प्रयास, अतिरिक्त मैदान तथा एक अंक के स्थान पर दो अंक दिया जा सकता हैं। इस प्रकार उन्हें भी सर्वागीण विकास के अवसर दिए जा सकते हैं।
    Question 10
    CBSEHHIPEH11016064

    शिक्षा के समावेशीकरण पर टिप्पणी लिखों।

    Solution

    समावेशी शिक्षा एक शिक्षा प्रणाली है।
    शिक्षा का समावेशीकरण यह बताता है कि विशेष शैक्षणिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक सामान्य छात्र और एक अशक्त या विकलांग छात्र को समान शिक्षा प्राप्त करने के अवसर मिलने चाहिए। इसमें एक सामान्य छात्र एक अशक्त या विकलांग छात्र के साथ विद्यालय में अधिकतर समय बिताता है। पहले समावेशी शिक्षा की परिकल्पना सिर्फ़ विशेष छात्रों के लिए की गई थी लेकिन आधुनिक काल में हर शिक्षक को इस सिद्धांत को विस्तृत दृष्टिकोण में अपनी कक्षा में व्यवहार में लाना चाहिए।
    समावेशी शिक्षा या एकीकरण के सिद्धांत की जड़ें कनाडा और अमेरिका से जुड़ी हैं। समावेशी शिक्षा विशेष विद्यालय या कक्षा को नहीं स्वीकार करता। अशक्त बच्चों को सामान्य बच्चों से अलग करना अब मान्य नहीं है। विकलांग बच्चों को भी सामान्य बच्चों की तरह ही शौक्षिक गतिविधियों में भाग लेने का अधिकार है।

    Question 11
    CBSEHHIPEH11016065

    समावेश के क्रियान्वय के कुछ तरीकों का वर्णन करों।

    Solution

    विद्यालयी शिक्षा और उसके परिसर में समावेशी शिक्षा के कुछ तरीके निम्न हो सकते हैं:

    1. स्कूल के वातावरण में सुधार: स्कूल का वातावरण किसी भी प्रकार की शिक्षा में बड़ा ही योगदान रखता है। यह कई चीजों की शिक्षा बच्चों को बिना सिखाए भी देता है। अत: समावेशी शिक्षा हेतु सर्वप्रथम उचित तथा मनमोहक स्कूल भवन का प्रबन्धन जरूरी हैं। इसके अलावा स्कूलों में आवश्यक साज-सामान तथा शैक्षिक सामिग्री का भी समुचित प्रबंध जरूरी है।
    2. दाखिले की नीति में परिवर्तन: जो विद्यार्थी चीजों को स्पष्ट रूप से देख पाने में सक्षम नहीं है, या आशिक रूप से अपाहिज है ऐसे विद्यार्थियों को स्कूल में दाखिला देकर हम समावेशन को बढ़ावा दे सकते हैं जिसके लिए विद्यालय के दाखिला की नीति में परिवर्तन किया जाना चाहिए।
    3. रूचिपूर्ण एवं विभिन्न पाठ्यक्रम का निर्धारण: किसी विद्वान ने सच ही कहा है कि ''बच्चों को शिक्षित करने का सबसे असरदार ढंग है कि उन्हें प्यारी चीजों के बीच खेलने दिया जाए।''अत: सभी विद्यालयी बच्चों में समावेशी शिक्षा की ज्योति जलाने हेतु इस बात की भी नितांत आवश्यकता है कि उन्हें रूचियों के अनुसार संगठित किया जाए और पाठ्यक्रम का निर्माण उनकी अभिवृतियों, मनोवृतियो, आकांक्षाओं तथा क्षमताओं के अनुकूल किया जाए।
    4. प्रावैगिक विधियों का प्रयोग: समावेशी शिक्षा हेतु शिक्षकों को इसकी नवीन विधियों का ज्ञान करवाया जाए तथा उनके प्रयोग पर बल दिया जाए। समावेशी शिक्षा के लिए विद्यालय के शिक्षकों को समय-समय पर विशेष प्रशिक्षण-विद्यालयों में भेजे जाने की नितांत आवश्यकता है।
    5. स्कूलों को सामुदायिक जीवन का केन्द्र बनाया जाए: समावेशी शिक्षा हेतु यह प्रयास भी किया जाना चाहिए कि स्कूली को सामुदायिक जीवन का केन्द्र बनाया जाए ताकि वहाँ छात्र की सामुदायिक जीवन की भावना को बल मिले जिससे वे सफल एवं योग्यतम सामाजिक जीवन यापन कर सके।
      इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु समय-समय पर विद्यालयों में वाद-विवाद, खेल-कूद तथा देशाटन जैसे मनोरंजक कार्यक्रयों का आयोजन किया जाना चाहिए।
    6. विद्यालयी शिक्षा में नई तकनीक का प्रयोग: समावेशी शिक्षा को लागू करने के लिए शिक्षा-प्रद फिल्में, टी. वी. कार्यक्रम, व्याख्यान, वी. सी. आर. और कम्प्यूटर जैसे उपकरणों को प्राथमिकता के आधार पर विद्यालय में उपलब्धता और प्रयोग में लाई जाने की क्रांति की आवश्यकता है।
    7. मार्गदर्शन एवं समुपदेशन की व्यवस्था: भारतीय विद्यालयों में समावेशी शिक्षा के पूर्णतया लागू न होने के कई कारणों में से एक कारण विद्यालय में मार्गदर्शन एवं समुपदेशन की व्यवस्था का न होना भी है। इसके अभाव में विद्यालय में समावेशी वातावरण का निर्माण नहीं हो पाता है।

    अत: समावेशी शिक्षा देने के तरीको में यह भी होना चाहिए कि विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों और उनके अभिभावकों हेतु आदि से अंत तक सुप्रशिक्षित, योग्य एवं अनुभवी व्यक्तियों द्वारा मार्गदर्शन एवं परामर्श प्रदान करने की व्यवस्था होनी चाहिए।

    Question 12
    CBSEHHIPEH11016066

    विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के विकास में परामर्शदाता का क्या योगदान है?

    Solution
    1. परामर्शदाता का कार्य सभी बच्चों की सहायता करना है, जिसमें विशेष आवश्यकता वाले बच्चे भी शामिल है, परामर्शदाता की सहायता एवं सकारात्मक योगदान से इन बच्चों की वृद्धि एवं विकास की दर बढ़ जाती है।
    2. विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों को बचपन से ही व्यक्तिगत शिक्षा कार्यक्रम न केवल उनके शैक्षणिक योग्यता बल्कि भावात्मक स्वास्थ्य और सामाजिक तालमेल में सकारात्मक बदलाव लाती है। इस प्रकार विशेष आवश्यकता वाले बच्चे समाज के लिए उपयोगी सिद्ध होते है।
    3. परामर्श दाता, विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की उनकी विशिष्टता के अनुसार उनके साथ परामर्श सत्र आयोजित करता है।
    4. परामर्श दाता व्यक्तिगत शिक्षा कार्यक्रम (Individualised Education Programme) में बच्चों के अभिभावकों की भागीदारी सुनिश्चित करता है।
    5. विद्यालयों के अन्य शिक्षकों एव कर्मचारियों से परामर्श और सहयोग कर विशेष बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार वातावरण उपलब्ध कराने में परामर्शदाता सहायता करता है।
    6. अन्य विद्यालयों समाज के अन्य पेशों के विशेषज्ञ जैसे, व्यवसायिक, चिकित्सक, मनोचिकित्सक, भौतिक चिकित्सक आदि के सहयोग से विशेष बच्चों की सहायता करना। परामर्शदाता, विद्यालय में जिन बच्चों को विशेष शिक्षा की आवश्यकता होती है, उनकी समय-समय पर पहचान करता है, और उनके लिए विशेष शिक्षा योग्यता का निर्धारण करता है।
    Question 13
    CBSEHHIPEH11016067

    विशेष शैक्षणिक आवश्यकताओं वाले बच्चों के लिए व्यावसाहिक चिकित्सक का क्या योगदान है।

    Solution
    1. स्वयं की देखरेख: व्यावसाहिक चिकित्सक विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों को आत्म-निर्भर बनाने में सहायक सिद्ध होता है। एवं रोजमर्रा (दिनचर्या) के कार्य जैसे-खाना-खाना, कपड़े-पहनना, नहाना आदि क्रियाओं को करने में सहायता करता है।
    2. खेल खेलने में सहायकः व्यावसाहिक चिकित्सक बच्चों को खेल में भाग लेने के लिए उनकी विशेष आवश्यकताओं के अनुसार खिलोनों के आकार (आकृति), गति और रंग में परिवर्तन कर उनके खेलने में उपयोगी बनाता है।
    3. विद्यालय की क्रियाओं में सहायकः एक व्यावसाहिक चिकित्सक बच्चे को निरन्तर विद्यालय जाने के लिए प्रेरित करता है तथा उनकी आवश्यकताओं के अनुसार मेज़, कुर्सी, लिखने की सामग्री आदि में उनकी आवश्यकता के अनुसार बदलाव करने का सुझाव देता है।
    4. रहन-सहन के वातावरण में बदलावः एक व्यावसाहिक चिकित्सक मुख्य रूप से, घर, विद्यालय एवं खेल मैदान की क्रियाओं को करने के लिए वातावरण में आवश्यक सुधार करके विशेष बच्चों के अनुकूल बनाता है।
    5. Fine Motor Skill and Hand Writing: एक व्यावसाहिक चिकित्सक विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के सूक्षम गामक क्रियाओं एवं लेखन में सुधार करने में सहायता करता है।
    6. विशेष पट्टिया बनाना (Splinting): एक व्यावसाहिक चिकित्सक विशेष बच्चों को विभिन्न प्रकार की क्रियाओं को करने के लिए विशेष प्रकार की पट्टियाँ भी बनाने का कार्य करता है।
    Question 14
    CBSEHHIPEH11016068

    भौतिक चिकित्सक (Physiotherapist) के योगदान द्वारा कैसे विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चे लाभान्वित होते है ? विवरण दीजिए।

    Solution
    1. विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को उनकी शारीरिक अक्षमता के कारण होने वाली कठिनाइयों, शारीरिक बनावट के कारण सन्तुलन में बाधा, साधारण गति मे बाधा आदि दोषो के निवारण के लिए भौतिक चिकित्सक उनके लिए व्यक्तिगत व्यायाम (Individual Exercise Programme) कार्यक्रम करता है, जिससे कि उनकी उपरोक्त समस्याओं का निवारण हो सके, उनकी चलने- फिरने की क्षमता बढ़ सके। उनकी शारीरिक क्षमता एवं गति के लिए भौतिक चिकित्सक विभिन्न प्रकार के उपकरणों एवं सहायक सामग्री का भी प्रयोग करते है।
    2. भौतिक चिकित्सा का प्रयोग उन बच्चों की सहायता के लिए भी बहुत उपयोगी होता है जिन्हें तान्त्रिका तन्त्र (Neurological) सम्बन्धी विकार होते है जैसे कि बहुविध उत्तक दृढ़न (Multiple Sclerosis), आघात (Stroke),प्रभस्तिष्क अग घात (Ceribal Palsy) आदि।
    3. भौतिक चिकित्सा का प्रयोग बच्चों के शरीर में आयी चोटों, अथवा गठिया रोग (Arthritis)आदि के कारण हुई विकृतियों को सुधारने में महत्त्वपूर्ण या प्रभावशाली होता है।
    4. बाल चिकित्सा के उपचार: बच्चों में होने वाले पेशीय दुर्विकार (Musculuar Dystrophy) के उपचार के लिए भी भौतिक चिकित्सक का योगदान महत्वपूर्ण है। इसके कारण बच्चों में संतुलन, बल और शारीरिक सामजस्य में व्यापक सुधार किया जा सकता है।
      भौतिक चिकित्सा की तकनीके:
      1. मालिश (Massage and Manipulation)
      2. गति और व्यायाम (Exercise and Movement)
      3. विधुत चिकित्सा (Electro-Therapy)
      4. जल चिकित्सा (Hydrotherapy)
    Question 15
    CBSEHHIPEH11016069

    वाक् चिकित्सक किस प्रकार विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की सहायता करते है। वर्णन कीजिए।

    Solution

    वाक् चिकित्सक(Speech Therapitst) एक वाक् चिकित्सक बच्चों में कई प्रकार के विकासात्मक विलम्ब जैसे-स्वलीनता (Autism), श्रवण बाधित, और डाउन-सिन्ड्रोम के कारण होने वाले वाक् सम्बन्धी दोषो को दूर करने में सहायता करता है।

    1. भाषण की अभिव्यक्ति: (Articulation): भाषण की अभिव्यक्ति जीभ, होठ, जबडा, और तालू (Tongue) के समन्वय की कला है जिससे अलग-अलग प्रकार के शब्दों की ध्वनि निकलती है। वाक्  चिकित्सक बच्चों की भाषण की अभिव्यक्ति में सुधार करने के लिए आवश्यक सुझाव देता है।
    2. प्रभावित भाषा कौशल (Expressive Language Skill): एक वाक् चिकित्सक बच्चों को बोलने के साथ-साथ सांकेतिक भाषा का प्रयोग करने की कला को सिखाता है जिससे कि भावों को आसानी से समझा जा सकता है।
    3. श्रवण कौशल में सुधार (Listening Skill Improvement): वाक् चिकित्सक एक बच्चे की सुनने की क्षमता के विकास में सहायता करता है ताकि वह नवीन शब्दावली को विकसित कर सके, और छोटे-छोटे प्रश्नों के आसानी से उत्तर दे सके, व सहपाठियों के साथ उचित वार्तालाप कर सकें।
    4. वाक् पुटता (Stuttering): हकलाने सम्बंधी दोषों जैसे-रूक-रूक कर बोलना, शब्दों को दोहराना, शब्दों की ध्वनि को बढ़ा देना, और चेहरे की, गले की, कंधो की, त्वचा में खिचाव और तनाव आदि दोषों को दूर करने में सहायता करता है।
    5. आवाज और गूंज (Voice and Resonance): कभी-कभी बच्चों में खासी, जुकाम, और अधिक बोलने अथवा अन्य कारणों से बच्चों की आवाज़ मे एक विशेष प्रकार की गूंज (Resonance) आ जाती है जिसे वाक् चिकित्सक ठीक करने मे सहायता करता है।

    Question 16
    CBSEHHIPEH11016070

    एक 'शारीरिक शिक्षा' शिक्षक की भूमिका विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए क्या है?

    Solution

    शारीरिक शिक्षा के शिक्षक को विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए अधिनियम 2016 के अनुसार, उन्हें शारीरिक क्रियाओं को कराने के लिए अपने पाठ्यक्रम में बदलाव किया जाना चाहिए तथा उन्हें सामान्य बच्चों की भाँति गतिविधियों को कराना चाहिए। किसी विशेष आवश्यकता के लिए विशेष उपकरणों की व्यवस्था की जानी चाहिए। 

    बाल सम्बन्धी खेल:
    विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के लिए ऐसे खेल विशेष ढंग से तैयार किए जाते है जिससे कि गामक क्रियाओं में वृद्धि हो, गति, शक्ति, एव तालमेल सम्बधी क्रियाओं में वृद्धि हो सके। शोध कर्ताओं ने पाया है कि, बाल, फेंकना , पकड़ना, घूर्णन करना आदि क्रियाओं से पेशियों की शक्ति में वृद्धि होती है।

    एक शारीरिक शिक्षक बच्चे के अभिभावकों एवं चिकित्सक की मदद से विशेष बच्चे की अक्षमता के आधार पर क्रियाएँ तैयार करता है, एवं चिकित्सक की सलाह से उन्हे क्रिन्यावित करता है।

    Question 17
    CBSEHHIPEH11016071

    विशेष शिक्षण शिक्षक के योगदान पर प्रकाश डालिए।

    Solution
    1. विद्यार्थियों के कौशल का आंकलन करना जिससे वे अपनी जरूरतों का निर्धारण कर सकें और अपने शिक्षण नियोजन को विकसित कर सकें।
    2. विद्यार्थियों की आवश्यकतानुसार अनुकूलित पाठो का निर्माण करना है।
    3. प्रत्येक विद्यार्थी के लिए अलग से शिक्षा का कार्यक्रम विकसित करना।
    4. एक विद्यार्थी की क्षमता के अनुसार क्रियाओं की योजना बनाना और उनका आयोजन करना तथा उनको बाटँना।
    5. प्रत्येक विद्यार्थी के लिए व्यक्तिगत शैक्षिक कार्यक्रम को क्रियान्वित करना, विद्यार्थियों के प्रदर्शन का आंकलन करना और उनकी उन्नति का रिकार्ड रखना।
    6. व्यक्तिगत शैक्षणिक कार्यक्रम का पूरे साल नवीनीकरण करना जिससे विद्यार्थियों की उन्नति व लक्ष्य को निर्धारित करने में मदद मिल सके।

    Sponsor Area

    Question 18
    CBSEHHIPEH11016072

    पैरालिम्पिक खेलों के प्रारंभ, उद्भव के बारे में संक्षेप में लिखें।

    Solution

    द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लाखों को काफी भीषण पीड़ा से गुजरना पड़ा। काफी लोग युद्ध की भीषणता को याद कर काँप उठते थे। इस युद्ध का दर्द समझते हुए सर लुडविंग गल्टमैन ने सन् 1948 में लंदन के विभिन्न अस्पतालों में शारीरिक रूप से विकलांग हुए लोगों की प्रतियोगिता का आयोजन किया जो काफी सफल रहा तथा काफी सराहा गया।

    इसी से प्रेरित होकर 1960 के रोम ओलम्पिक के दौरान लूडींग गटमा (Luding Gutma) ने करीब 400 विकलांग खिलाड़ियों को एकत्रित किया और खेलों का आयोजन किया और इन खेलों को पैरालिम्पिकस का नाम दिया गया। अंतराष्ट्रीय पैरालिम्पिक संस्था जो कि समर और विंटर ओलम्पिक खेलों का आयोजन करती है। इसका मुख्यालय बान जर्मनी में है।  अंतराष्ट्रीय पैरालिम्पिक का Symbol तीन रंगों लाल, नीला और हरा शामिल है तथा इसका Moto spirit in motion है।

    Mock Test Series

    Sponsor Area

    Sponsor Area

    NCERT Book Store

    NCERT Sample Papers

    Entrance Exams Preparation

    1