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रूपान्तरित शारीरिक शिक्षा क्या है ?
रूपान्तरित शारीरिक शिक्षा दिव्यांग बच्चों को व्यक्तिगत रूप से सुरक्षित, संतुष्टिदायक तथा शारीरिक क्रियाओं से सम्बन्धित सफल अनुभव प्रदान करती है।
एकीकृत या समग्र शारीरिक शिक्षा क्या है ?
एकीकृत या समग्र शारीरिक शिक्षा की धारणा बहुत व्यापक है। यह केवल शारीरिक गतिविधियों व खेलकूद तक ही सीमित नही है अपितु यह एक पूर्ण विषय बन चुका है।
समावेशन को परिभाषित करें।
शिक्षा में समावेशन एक पहल (Approach) है जो उन विद्यार्थियों को शिक्षित करती है जिनकी खास शैक्षिक आवश्यकताएँ होती हैं।
समावेशी शिक्षा से हमारा तात्पर्य ऐसी शिक्षा प्रणाली से है जिसमें सभी शिक्षार्थियों को बिना किसी भेदभाव के सीखने के समान अवसर मिले, परन्तु आज भी यह समावेशी शिक्षा उस मुकाम पर नहीं पहुंची है, जहाँ इसे पहुँचना चाहिए।
समावेशन की अवधारणा से आपका क्या अभिप्राप्य है?
समावेशी शिक्षा की परिकल्पना इस संकल्पना पर आधारित है कि सभी बच्चों को विद्यालयी शिक्षा में समावेशन व उसकी प्रक्रियाओं की व्यापक समझ की इस प्रकार आवश्यकता है कि उन्हें क्षेत्रीय, सांस्कृतिक, सामाजिक परिवेश और विस्तृत सामाजिक,आर्थिक एवं राजनीतिक प्रक्रियाओं में ही संदर्भित करके समझा जाए।
समावेशन की दो ज़रूरते बताइए।
हम स्कूलों में समावेशन को कैसे लागू कर सकते हैं? या विद्यालयी शिक्षा और उसके परिसर में समावेशी शिक्षा के दो तरीके बताइए।
एकीकृत व समग्र शारीरिक शिक्षा के सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
स्पेशल ओलम्पिक भारत पर टिप्पणी लिखिए।
इस संस्थान का गठन सन् 2001 में शारीरिक तथा मानसिक रूप से दिव्यता लोगों की खेलों में भागीदारी बढ़ाने के लिए किया गया। इसका उद्देश्य ऐसे विद्यार्थियों में नेतृत्व के सामाजिक गुणों तथा स्वास्थ्य को विकसित करना है।
यह संगठन राज्य स्तर, राष्ट्रीय स्तर पर खेलों का आयोजन करती है। अच्छे खिलाड़ियों का चुनाव करके अन्तर्राष्ट्रीय खेलों के लिए उन्हें प्रशिक्षण देती है।
भारत में सन् 2002 के पश्चात लगभग 23,750 प्रतिभागियों ने राष्ट्रीय खेलों में भाग लिया है।
सन् 1987-2013 तक कुल 671 स्पेशल ओलम्पिक भारत एथलीटो (Athletes) ने सात ग्रीष्मकालीन व पाँच शीतकालीन विश्व खेलों में भाग लिया। इन्होंने 246 स्वर्ण पदक, 265 रजतपदक तथा 27 कास्य पदक जीतकर देश का गौरव बढ़ाया है।
आज देश में लगभग 1 मिलियन एथलीट इस संस्था के सदस्य है तथा लगभग 84,950 प्रशिक्षक खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देते हैं।
यह संस्था खेलों के माध्यम से खिलाड़ियों का सर्वागीण विकास करती है।
रूपान्तरित शारीरिक शिक्षा के प्रभावी बनाने के लिए किन सिद्धान्तों नियमों का पालन करना आवश्यक है। विवरण कीजिए।
शिक्षा के समावेशीकरण पर टिप्पणी लिखों।
समावेशी शिक्षा एक शिक्षा प्रणाली है।
शिक्षा का समावेशीकरण यह बताता है कि विशेष शैक्षणिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक सामान्य छात्र और एक अशक्त या विकलांग छात्र को समान शिक्षा प्राप्त करने के अवसर मिलने चाहिए। इसमें एक सामान्य छात्र एक अशक्त या विकलांग छात्र के साथ विद्यालय में अधिकतर समय बिताता है। पहले समावेशी शिक्षा की परिकल्पना सिर्फ़ विशेष छात्रों के लिए की गई थी लेकिन आधुनिक काल में हर शिक्षक को इस सिद्धांत को विस्तृत दृष्टिकोण में अपनी कक्षा में व्यवहार में लाना चाहिए।
समावेशी शिक्षा या एकीकरण के सिद्धांत की जड़ें कनाडा और अमेरिका से जुड़ी हैं। समावेशी शिक्षा विशेष विद्यालय या कक्षा को नहीं स्वीकार करता। अशक्त बच्चों को सामान्य बच्चों से अलग करना अब मान्य नहीं है। विकलांग बच्चों को भी सामान्य बच्चों की तरह ही शौक्षिक गतिविधियों में भाग लेने का अधिकार है।
समावेश के क्रियान्वय के कुछ तरीकों का वर्णन करों।
विद्यालयी शिक्षा और उसके परिसर में समावेशी शिक्षा के कुछ तरीके निम्न हो सकते हैं:
अत: समावेशी शिक्षा देने के तरीको में यह भी होना चाहिए कि विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों और उनके अभिभावकों हेतु आदि से अंत तक सुप्रशिक्षित, योग्य एवं अनुभवी व्यक्तियों द्वारा मार्गदर्शन एवं परामर्श प्रदान करने की व्यवस्था होनी चाहिए।
विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के विकास में परामर्शदाता का क्या योगदान है?
विशेष शैक्षणिक आवश्यकताओं वाले बच्चों के लिए व्यावसाहिक चिकित्सक का क्या योगदान है।
भौतिक चिकित्सक (Physiotherapist) के योगदान द्वारा कैसे विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चे लाभान्वित होते है ? विवरण दीजिए।
वाक् चिकित्सक किस प्रकार विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की सहायता करते है। वर्णन कीजिए।
वाक् चिकित्सक(Speech Therapitst) एक वाक् चिकित्सक बच्चों में कई प्रकार के विकासात्मक विलम्ब जैसे-स्वलीनता (Autism), श्रवण बाधित, और डाउन-सिन्ड्रोम के कारण होने वाले वाक् सम्बन्धी दोषो को दूर करने में सहायता करता है।
एक 'शारीरिक शिक्षा' शिक्षक की भूमिका विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए क्या है?
शारीरिक शिक्षा के शिक्षक को विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए अधिनियम 2016 के अनुसार, उन्हें शारीरिक क्रियाओं को कराने के लिए अपने पाठ्यक्रम में बदलाव किया जाना चाहिए तथा उन्हें सामान्य बच्चों की भाँति गतिविधियों को कराना चाहिए। किसी विशेष आवश्यकता के लिए विशेष उपकरणों की व्यवस्था की जानी चाहिए।
बाल सम्बन्धी खेल:
विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के लिए ऐसे खेल विशेष ढंग से तैयार किए जाते है जिससे कि गामक क्रियाओं में वृद्धि हो, गति, शक्ति, एव तालमेल सम्बधी क्रियाओं में वृद्धि हो सके। शोध कर्ताओं ने पाया है कि, बाल, फेंकना , पकड़ना, घूर्णन करना आदि क्रियाओं से पेशियों की शक्ति में वृद्धि होती है।
एक शारीरिक शिक्षक बच्चे के अभिभावकों एवं चिकित्सक की मदद से विशेष बच्चे की अक्षमता के आधार पर क्रियाएँ तैयार करता है, एवं चिकित्सक की सलाह से उन्हे क्रिन्यावित करता है।
विशेष शिक्षण शिक्षक के योगदान पर प्रकाश डालिए।
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पैरालिम्पिक खेलों के प्रारंभ, उद्भव के बारे में संक्षेप में लिखें।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लाखों को काफी भीषण पीड़ा से गुजरना पड़ा। काफी लोग युद्ध की भीषणता को याद कर काँप उठते थे। इस युद्ध का दर्द समझते हुए सर लुडविंग गल्टमैन ने सन् 1948 में लंदन के विभिन्न अस्पतालों में शारीरिक रूप से विकलांग हुए लोगों की प्रतियोगिता का आयोजन किया जो काफी सफल रहा तथा काफी सराहा गया।
इसी से प्रेरित होकर 1960 के रोम ओलम्पिक के दौरान लूडींग गटमा (Luding Gutma) ने करीब 400 विकलांग खिलाड़ियों को एकत्रित किया और खेलों का आयोजन किया और इन खेलों को पैरालिम्पिकस का नाम दिया गया। अंतराष्ट्रीय पैरालिम्पिक संस्था जो कि समर और विंटर ओलम्पिक खेलों का आयोजन करती है। इसका मुख्यालय बान जर्मनी में है। अंतराष्ट्रीय पैरालिम्पिक का Symbol तीन रंगों लाल, नीला और हरा शामिल है तथा इसका Moto spirit in motion है।
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