ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम किन-किन रूपों में अभिव्यक्त हुआ है?
ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम अनेक रूपों में अभिव्यक्त हुआ है-
कवि को ब्रजभूमि से गहरा प्रेम है। एक ओर जहाँ कवि को ब्रजभूमि से गहरा लगाव होने के कारण वे अगले जन्म में ग्वाले के रूप में वहाँ की गायों को चराते हुए अपना जीवन बिताना चाहते हैं। तो दूसरी ओर ब्रजभूमि में रहने के लिए उन्हें पशु, पक्षी और पत्थर बनना भी स्वीकार्य है। पशु का जन्म मिले तो वे वासुदेव की गायों के बीच घूमकर ब्रज का आनंद प्राप्त करना चाहते हैं, पक्षी बने तो कदम्ब के पेड़ पर बैठकर कृष्ण की बाल लीलाओं का आनंद उठाना चाहते हैं, और यदि पत्थर भी बने तो गोवर्धन पर्वत का क्योंकि उसे कृष्ण ने अपनी उँगली पर उठाया था। इस प्रकार हर एक रूप में वे ब्रजभूमि में ही रहना चाहते हैं।



