Vasant Bhag 3 Chapter 1 ध्वनि
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    NCERT Solution For Class 8 Hindi Vasant Bhag 3

    ध्वनि Here is the CBSE Hindi Chapter 1 for Class 8 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 8 Hindi ध्वनि Chapter 1 NCERT Solutions for Class 8 Hindi ध्वनि Chapter 1 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 8 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN8000417

    कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा?

    Solution
    कवि को स्वयं पर दृढ़ विश्वास है कि वह अपनी कर्तव्यपरायणता तथा सक्रियता से विमुख होकर अपनै जीवन का अंत नहीं होने देगा। वह तो अपने यशस्वी कार्यो की आभा को वसंत की भाँति सुगंधित रूप में सब और फैलाना चाहता है।
    Question 2
    CBSEENHN8000418

    फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन-कौन-सा प्रयास करता है?

    Solution
    कवि चाहता है कि वसंत के सुगंधित व आकर्षक फूल अनंतकाल तक खिलते रहें। इस हेतु वह उनका आलस्य व प्रमाद छीनकर उन्हें चिरकाल तक खिले रहने के लिए प्रेरित करता है। वह चाहता है कि वे फूल सदैव अपनी आभा, सौंदर्य व सुषमा की छटा वातावरण में बिखेरते रहें। वह उस अनंत व अदृश्य से सप्राण भेंट करना चाहता है।
    Question 3
    CBSEENHN8000419

    कवि पुष्पों तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए क्या करना चाहता है?

    Solution
    कवि अपने हाथों के सुधा स्पर्श से पुष्पों की नींद व आलस्य मिटाकर उन्हैं चुस्त, प्राणवान, आभामय व पुष्पित करना चाहता है। ऐसा करने का उसका उद्देश्य है कि धरा पर जरा भी आलस्य, प्रमाद, निराशा व मायूसी का निशान तक न रहे। वह हर ओर वसंतकी भाँति हरियाली, सौंदर्य, सुख और आनंद की अनुभूति चाहता है ।
    Question 4
    CBSEENHN8000420

    वसंत को ऋतुराज क्यों कहा जाता है? आपस में चर्चा कीजिए।

    Solution
    ऋतुओं में ग्रीष्म, वर्षा, शरद तथा पतझड़ भी वातावरण को प्रभावित करते हैं लेकिन वसंत ऋतु के आते ही पसीना, ठिठुरना, कीचड़ आदि नकारात्मक तत्त्व नही होते। पुष्प स्वयं खिलते हैं। प्रकृति की नई सुषमा चारों और वातावरण में छा जाती है। आलस्य और निराशा दूर भाग जाते है। स्वास्थ्य, सौंदर्य और स्फुर्ति का वातावरण होता है। पक्षियों का कलरव चारों ओर सुनाई देता हे। बच्चे, बूढ़े सभी के चेहरों पर नया नूर झलकता है। प्रकृति के इसी परिवर्तन के कारण वसंत को ‘ऋतुराज’ या ‘ऋतुओं की रानी’ कहा जाता है।
    Question 5
    CBSEENHN8000421

    वसंत ऋतु में आनेवाले त्योहारों के विषय में जानकारी एकत्र कीजिए और किसी एक त्योहार पर निबंध लिखिए।

    Solution

    वसंत पंचमी सरस्वती पूजा, महाशिवरात्रि व होली जैसे प्रमुख त्योहारों का आगमन इसी ऋतु में होता है।

    होली

    हमारे देश में होली का उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्यौहार को मनाने मैं प्रत्येक भारतीय अपना गौरव समझता है। एक ओर तो आनंद और हर्ष की वर्षा होती है, दूसरी ओर प्रेम व स्नेह की सरिता उमड़ पड़ती है। यह शुभ पर्व प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा के सुंदर अवसर की शोभा बढ़ाने आता है ।

    होली का त्योहार वसंत ऋतु का संदेशवाहक बनकर आता है। मानव मात्र के साथ-साथ प्रकृति भी अपने रंग-ढंग दिखाने में कोई कमी नहीं रखती। चारों ओर प्रकृति कै रूप और सौंदर्य के दृश्य दृष्टिगत होते हैं। पुष्पवाटिका में पपीहे की तान सुनने से मन-मयूर नृत्य कर उठता है। आम के झुरमुट से कोयल की ‘कुहू-कुहू’ सुनकर तो हदय भी झंकृत हो उठता है। ऋतुराज वसंत का स्वागत बड़ी शान से संपन्न होता है। सब लोग घरों से बाहर जाकर रंग-गुलाल खेलते हैं और आनंद मनाते हैं।

    होलिकोत्सव धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस उत्सव का आधार हिरण्यकश्यप नामक दानव राजा और उसके ईश्वरभक्त पुत्र प्रल्हाद की कथा है। कहते हैं कि राक्षस राजा बड़ा अत्याचारी था और स्वयं को भगवान मानकर प्रजा से अपनी पूजा करवाता था; किंतु उसी का पुत्र प्रल्हाद ईश्वर का अनन्य भक्त था। हिरण्यकश्यप चाहता था कि मरा पुत्र भी मेरा नाम जपे किंतु वह इसके विपरीत उस ईश्वर का नाम ही जपता था। उसने अपने पुत्र को मरवा डालने के बहुत से यत्न किए, पर असफलता ही मिली। एक बार हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने इस कुकृत्य में अपने भाई का साथ देने का प्रयास किया। उसे किसी देवता से वरदान में एक ऐसा वस्त्र प्राप्त था जिसे ओढ़कर उस आग नहीं लग सकती थी। एक दिन होलिका प्रल्हाद को गोदी में लेकर चिता में बैठ गई। किंतु भगवान की इच्छा कुछ और ही थी, किसी प्रकार वह कपड़ा उड़कर प्रल्हाद पर जा पड़ा। फलत: होलिका तो भस्म हो गई और प्रल्हाद बच गया। बुराई करने वाले की उसका फल मिल गया था। इसी शिक्षा को दोहराने के लिए यह उत्सव मनाया जाता है।

    इस दिन खूब रंग खेला जाता है। आपस में नर-नारी, युवा-वृद्ध गुलाल से एक-दूसरे के मुख को लाल करके हँसी-ठट्ठा करते हैं। ग्रामीण लोग नाच-गाकर इस उल्लास- भरे त्योहार को मनाते हैं । कृष्ण-गोपियों की रास-लीला भी होती है। धुलेंडी के बाद संध्या समय नए-नए कपड़े पहनकर लोग अपने मित्रगणों से मिलते हैं. एक-दूसरे को मिठाई आदि खिलाते हैं और अपने स्नेह-संबंधों की पुनर्जीवित करते हैं।

    होली के शुभ अवसर पर जैन धर्म के लोग भी आठ दिन तक सिद्धचक्र की पूजा करते हैं, यह ‘अष्टाहिका’ पर्व कहलाता है। ऐसे कामों से इस पर्व की पवित्रता का परिचय मिलता है। कुछ लोग इस शुभ पर्व को भी अपने कुकर्मो से गंदा बना देते हैं। कुछ लोग इस दिन रंग के स्थान पर कीचड़ आदि गंदी वस्तुओं को एक-दूसरे पर फेंकते हैं अथवा पक्के रंगों या तारकोल से एक-दूसरे को पोतते हैं जिसके फलस्वरूप झगड़े भी हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ लोग इस दिन भाँग, मदिरा आदि नशे की वस्तुओं का भी प्रयोग करते हैं जिनके परिणाम कभी भी अच्छे नहीं हो सकते। ऐसे शुभ पर्व को इन बातों से अपवित्र करना मानव धर्म नहीं है।

    होलिकोत्सव तो हर प्राणी को स्नेह का पाठ सिखाता है। इस दिन शत्रु भी अपनी शत्रुता भूलकर मित्र बन जाते हैं। इस कारण सब उत्सवों में यदि इसे ‘उत्सवों की रानी’ कहा जाए तो अत्युक्ति न होगी।

     
    Question 6
    CBSEENHN8000422

    “ऋतु परिवर्तन का जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है”- इस कथन की पुष्टि आप किन-किन बातों से कर सकते हैं? लिखिए।

    Solution

    यह सत्य है कि लोगों के जीवन पर प्रत्येक ऋतु का गहरा प्रभाव पड़ता है जिसे हम इस प्रकार स्पष्ट कर सकते है-

    ग्रीष्म-इस ऋतु में झुलसा देने वाली गर्मी पड़ती है, जिससे प्राणी व्याकुल हो जाते हैं और प्रकृति भी मुरझा जाती है। लोगों को ठंडे पेय व खाने के पदार्थ लुभाते हैं। अमीर लोग कूलर व ए.सी. का प्रयोग करते हैं जबकि गरीब लोग पेड़ की ठंडी छाया में ही गरमी की तपन मिटाने का प्रयास करते हैं । सभी को सूती कपड़े पहनना अच्छा लगता है।

    शीत-शीत ऋतु में बर्फीली हवाओं के कारण लोगों को, विशेषकर निर्धन वर्ग को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस ऋतु में लोग गर्म चीजें खाना व गर्म कपड़े पहनना पसंद करते हैं। धूप सबको भाती है।

    वर्षा- वर्षा ऋतु में काम-काज ठप्प हो जाते हैं। अमीर-गरीब सभी को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कई बार अधिक वर्षा हो जाने से बाढ़ भी आ जाती है जिससे सभी को हानि उठानी पड़ती है। बच्चे इस ऋतु का आनंद उठाते हैं। जबकि वसंत ऋतु में अस्वस्थ व्यक्ति भी स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करते हैं। प्रकृति निर्मल आँचल झड़कर अपना हर्ष प्रकट करती है। चारों ओर हरियाली व सुगंधित फूलों से आनंदमय वातावरण होता है। मानव जाति के साथ-साथ पशु-पक्षी भी प्रसन्नचित्त हो जाते हैं।

    Question 8
    CBSEENHN8000424

    स्वप्न भरे कोमल-कोमल हाथों को अलसाई कलियों पर फेरते हुए कवि कलियों को प्रभात कं आने का संदेश देता है, उन्हें जगाना चाहता है और खुशी-खुशी अपने जीवन के अमृत से उन्हें सींचकर हरा- भरा करना चाहता है। फूलों-पौधों के लिए आप क्या-क्या करना चाहेंगे?

    Solution
    फूलों-पौधों की हम इस तरह से देखभाल करेंगे कि वे सदा खिले रहें। समयानुसार उनके पानी-खाद आदि का ध्यान रखेंगे। बिना वजह फूलों को तोड़ेंगे नहीं ताकि डालियों पर वे सदैव सुंदरता बिखेरते रहें।
    Question 9
    CBSEENHN8000425

    कवि अपनी कविता में एक कल्पनाशील कार्य की बात बता रहा है। अनुमान कीजिए और लिखिए कि उसके बताए कार्यो का अन्य किन-किन संदर्भो से संबंध जुड़ सकता है? जैसे नन्हे-मुन्ने वालक कौ माँ जगा रही हो ...।

    Solution
    माली पौधारोपण कर रहा हो, वैद्य का औषधि हेतु जड़ी-बूटी ढूँढना, वैज्ञानिक का कोई अनुसंधान करना, किसी बुजुर्ग द्वारा सड़क पार करना।
    Question 10
    CBSEENHN8000426

     ‘हरे-हरे’, ‘पुष्प-पुष्प’ में एक शब्द की एक ही अर्थ में पुनरावृत्ति हुई है। कविता के ‘हरे-हरे ये पात’ वाक्यांश में ‘हरे-हरे’ शब्द युग्म पत्तों के लिए विशेषण के रूप में प्रयुक्त हुए हैं। यहाँ ‘पात’ शब्द बहुवचन में प्रयुक्त है। ऐसा प्रयोग भी होता है जब कर्ता या विशेष्य एक वचन में हो और कर्म या क्रिया या विशेषण बहुवचन में; जैसे-वह लंबी-चौड़ी बातें करने लगा। कविता में एक ही शब्द का एक से अधिक अर्थों में भी प्रयोग होता है- “तीन बेर खाती ते वे तीन बेर खाती है।” जो तीन बार खाती थी वह तीन बेर खाने लगी है। एक शब्द ‘बेर’ का दो अर्थो में प्रयोग करने से वाक्य में चमत्कार आ गया। इसे यमक अलंकार कहा जाता है। कभी-कभी उच्चारण की समानता से शब्दों की पुनरावृत्ति का आभास होता है जबकि दोनों दो प्रकार के शब्द होते हैं; जैसे-मन का मनका।

    ऐसे वाक्यों को एकत्र कीजिए जिनमें एक ही शब्द की पुनरावृत्ति हो। ऐसे प्रयोगों को ध्यान से देखिए और निन्नलिखित पुनरावृत शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए- बातों-बातों में रह- रहकर, लाल- लाल, सुबह- सुबह. रातों- रात, घड़ी- घड़ी।

     

    Solution

    यमक अलंकार अर्थात् एक शब्द के दो अर्थ देकर वाक्य में चमत्कार उत्पन्न करने का उदाहरण निम्न दोहे मे देखिए-

    नैनन काजल औ काजल मिली।
    है गई स्याम स्याम की पाती।।

    इसमें काजल शब्द का प्रयोग दो बार हुआ है एक नैनन काजल का अर्थ है ‘आँसू’ व दूसरे काजल का अर्थ है आँखों में डालने वाला ‘काजल’ (सुरमा)। स्याम शब्द भी दो बार है। एक स्याम का अर्थ है ‘काली’ व दूसरे स्याम का अर्थ है ‘कृष्ण’ उद्धव जब कृष्ण का पत्र लेकर गोपियों के पास जाते हैं तो गोपियों की औखों से आँसू बह निकलते हैं, जिनके साथ उनका काजल भी पत्र पर गिरने लगता है तो कृष्ण के भेजे पत्र के शब्द भी धूलने लगते हैं और पत्र काला हो जाता है।

    पुनरावृत्ति शब्दों के वाक्य निम्न रूप से हैं-

    1. बातों-बातों में-बातों-बातों में मोहन ने मुझ सुना ही दिया कि उसने मुझे दस हजार रुपए उधार दिए थे।

    2. रह-रहकर- आज मुझे रह-रहकर सड़क पर भीख मांगने वाले बूढे की याद आ रही है।

    3. लाल- लाल-लाल-लाल सेब देखकर मेरे मुँह में पानी भर आया।

    4. सुबह-सुबह-सुबह-सुबह बगीचे में टहलने का आनंद ही मनभावन होता है।

    5. रातों-रात-रातों-रात ही उसका पूरा मकान खाली हो गया।

    6. घड़ी-घड़ी-जादूगर घड़ी-घड़ी अपने कपड़े बदल रहा था।

     
    Question 12
    CBSEENHN8000428

    वसंत पर अनेक सुंदर कविताएं हैं। कुछ कविताओं का संकलन तैयार कीजिए।

    Solution
    जब वसंत आकर मुसकाय।; पीलापन व्यवहार हुआ।
    खेतों में फसलें चहकी हैं: यह वसंत त्योहार हुआ।।
    पंचायत मेरे गाँव की; मौन तोड़ती है अपना
    और यही चर्चा चौपाल पर; ये फसलें हैं धन अपना,
    आज नया दरबार लगा है; सब मौलिक अधिकार हुआ।
    जब वसंत आकर मुसकाया: पीलापन व्यवहार हुआ।।
    सरसों के फूले खेतों पर, खुशी मनाकर हम हँस लें
    कुन्दन सी बनकर लहकी है; देखो खेतों की फसलें,
    बापू की लाठी को थामे, रमुआ मग्न विचार हुआ।
    जब वसंत आकर मुसकाया, पीलापन व्यवहार हुआ।। कवि-मनोहरलाल ‘रत्नम’
    Question 13
    CBSEENHN8000429

    शब्दकोश में ‘वसंत’ शब्द का अर्थ देखिए। शब्दकोश में शब्दों के अर्थो के अतिरिक्त बहुत-सी अलग तरह की जानकारियाँ भी मिल सकती हैं। उन्हें अपनी कॉपी में लिखिए।

    Solution

    ‘वसंत’ शब्द का शब्दकोश, अर्थ व अन्य जानकारी-
    वसंत- (क) संज्ञा व पुल्लिंग शब्द
    (ख) चैत और बैशाख के महीनों की ऋतु
    (ग) एक राग।
    वसंत के अन्य नाम-मधुऋतु, मधुमास, ऋतुओं की रानी, ऋतुराज, मधूलिका आदि।

    Question 14
    CBSEENHN8000430

    कविता का शीर्षक ‘ध्वनि’ इस शब्द से आप क्या समझते हैं?

    Solution
    ध्वनि शब्द का अभिप्राय है ‘आवाज’ इस कविता में ध्वनि शब्द अंतर्मन की पुकार हेतु प्रयोग किया गया है।
    Question 15
    CBSEENHN8000431

    कवि ने प्रकति के साथ किस प्रकार अपने जीवन का तादाम्प जोड़ा है?

    Solution
    प्रकृति में वसंत के आगमन से ही बदलाव आ जाता है। चारों ओर वसंत की आभा, सुषमा, सौंदर्य व आहाद की अनुभूति होती है। उसे ऐसा लगता है कि ऐसे में सभी फूल व कलियों को खुलकर खिलना होगा इसलिए वह अपने हाथों के कोमल स्पर्श से सभी का आलस्य व प्रमाद दूर भगाना चाहता है और अनंतकाल तक खिलते रहने के लिए प्रेरित करता है। दूसरी ओर कवि के हृदय मैं भी अपने जीवन काल मैं कुछ कर दिखाने की इच्छा है। वह महसूस करता है कि उसके जीवन में भी वसंत का सुंदर आगमन हुआ है अर्थात् नई-नई चाह व नए उत्साह का संचार हुआ है । वह अभी उस अनंत से मिलन नहीं करना चाहता बल्कि अपने उद्देश्यपूर्ण कार्यों से वसंत की भाँति चारों ओर यश. कीर्ति और आनंद फैलाना चाहता है।
    Question 16
    CBSEENHN8000432

     क्या कविता का शीर्षक ‘ध्वनि’ सार्थक है?

    Solution
    कविता का शीर्षक ‘ध्वनि’ पूर्णतया सार्थक है क्योंकि यह ध्वनि कवि के अंतर्मन की अनुगूँज है जो अनंत में व्याप्त हो रही है। कवि को वसंत के आगमन पर पत्ते-पत्ते में; कण-कण में प्रकृति की सुंदरता, आभा और सुषमा दिखाई पड़ती है। वह इसे जीवंत रूप में देखना चाहता है और अपने कोमल स्पर्श से कलियों व फूलों के आलस्य व निद्रा को मिटाकर अनंत काल तक खिलने हेतु प्रेरित करता है। वैसे ही कवि की भी यह आभास होता है कि वह भी अपने जीवन में वसंत की भाँति अपने कार्य करे. जिनकी कीर्ति व यश संपूर्ण ससार में फैल जाए। वह अभी अपने जीवन का अंत नहीं चाहता, वह तो सप्राण उस अनंत अर्थात् ईश्वर से मिलना चाहता है।
    Question 17
    CBSEENHN8000433

    इस कविता से हमें क्या संदेश मिलता है?

    Solution
    इस कविता से हमें यह संदेश मिलता है कि जिस प्रकार वसंत ऋतु के आगमन से सारी सृष्टि खिलकर मनमोहक बन जाती है उसी प्रकार हमें भी अपने श्रेष्ठ कार्यो से समाज, राष्ट्र व विश्व की आभामय बनाना चाहिए। एस कार्य करने चाहिए कि सभी हमारा यशगान करें।

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    Question 23
    CBSEENHN8000439
    Question 25
    CBSEENHN8000441
    Question 27
    CBSEENHN8000443

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    Question 44
    CBSEHHISCH8006511
    Question 47
    CBSEHHISCH8006514

    एक दोलक 4 सेकंड में 40 बार दोलन करता है। इसका आवर्तकाल तथा आवृत्ति ज्ञात कीजिए।

    Solution

    आवर्तनकाल-
    40 दोलन पूरा करने में लगा समय = 4 सेकंड
    1 दोलन पूरा करने में लगा समय = 4 over 40 space equals space 1 over 10 = 0.1 सेकंड
    आवृत्ति-
    4 सेकंड में होने वाली दोलनों की संख्या = 40
    1 सेकंड में होने वाले दोलनों की संख्या = 40 over 4 = 10 दोलन

    Question 48
    CBSEHHISCH8006515

    एक मच्छर अपने पंखों को 500 कंपन प्रति सेकंड की औसत दर से कंपित करके ध्वनि उत्त्पन्न करता है। कंपन का आवर्तकाल कितना है?

    Solution

    500 कंपन करने में समय लगता है = 1 सेकंड
    1 कंपन करने में समय लगता है = 1 over 500 सेकंड = 0.002 सेकंड

    Question 49
    CBSEHHISCH8006516

    ढोलक

    Solution

    तनित झिल्ली

    Question 50
    CBSEHHISCH8006517

    सितार

    Solution

    तार

    Question 51
    CBSEHHISCH8006518

    बाँसुरी

    Solution

    वायु स्तंभ

    Question 52
    CBSEHHISCH8006519

    शोर तथा संगीत में क्या अंतर है? क्या कभी संगीत शोर बन सकता है?

    Solution

    जिस ध्वनि को सुनने में हम बाधित होते हैं या वह अवांछित ध्वनि जिसे हम सुन्ना नहीं चाहते शोर होता है। जबकि जो ध्वनि सुनने से हमे आनंद की प्राप्ति होती है या सुस्वर ध्वनि को संगीत कहते हैं।
    यदि संगीत को आवश्यकता से अधिक आवाज में सुना जाए या संगीत की प्रबलता अधिक हो तो वह शोर बन जाती है।

    Question 53
    CBSEHHISCH8006520

    अपने वातावरण में शोर प्रदूषण के स्त्रोतों की सूचि बनाइए।

    Solution

    शोर प्रदूषण के स्त्रोत निम्नलिखित हैं-
    (i) वाहनों की ध्वनियाँ
    (ii) विस्फोटक (पटाखों का फटना)
    (iii) मशीनें
    (iv) लाउडस्पीकर
    (v) वातानुकूलन
    (vi) कूलर
    (vii) ऊँची आवाज में चलाए गए रेडियो
    (viii) टीवी
    (ix) कारखाने

    Question 54
    CBSEHHISCH8006521

    वर्णन कीजिए कि शोर प्रदूषण मानव के लिए किस प्रकार से हानिकारक है?

    Solution

    शोर प्रदूषण मानव के लिए निम्न प्रकार से हानिकारक है-
    (i) इससे अनेक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ उतपन्न हो सकती हैं। जैसे अनिद्रा, तनाव, चिन्ता, उच्च रक्तचाप आदि।
    (ii) मनुष्य की सुनने की क्षमता अस्थायी या स्थाई रूप से कम हो सकती है।

    Question 55
    CBSEHHISCH8006522

    आपके माता-पिता एक मकान खरीदना चाहते हैं। उन्हें एक मकान सड़क के किनारे पर तथा दूसरा सड़क से तीन गली छोड़ कर देने का प्रस्ताव किया गया है। आप अपने माता-पिता को कौन-सा मकान खरीदने का सुझाव देंगे? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।

    Solution

    यदि हमारे माता-पिता के पास दो तरह के मकानों में से चुनाव करना है तो हम अपने माता-पिता को सड़क से तीन गली छोड़कर बना मकान खरीदने को कहेंगे। क्योंकि अगर घर सड़क के किनारे होगा तो वहाँ पर वाहनों का अधिक शोर होगा जो स्वाथ्य और कानों के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है। अधिक ध्वनि प्रदूषण कि वजय से सुनने कि क्षमा भी कम हो सकती है। लेकिन अगर सड़क से तीन गली छोड़कर घर लिया जाएगा तो वहाँ पर शोर प्रदूषण कम होगा। इसलिए हम सड़क से तीन गली छोड़कर घर लेने के लिए कहेंगे।

    Question 56
    CBSEHHISCH8006523

    मानव वाक्यंत्र का चित्र बनाइए तथा इसके कार्य की अपने शब्दों में व्याख्या कीजिए।

    Solution

    मानव में ध्वनि वाक्यंत्र या कंठ द्वारा उतपन्न होती है।
    वाक्यंत्र श्वासनली के ऊपरी सिरे पर होता है। वाक्यंत्र के आर-पार दो वाक् तंतु इस प्रकार तनित होते हैं कि उनके बीच में वायु के निकलने के लिए एक संकीर्ण झिर्री बनी होती है। जब फेफड़े वायु को बल पूर्वक झिर्री से बाहर निकालते हैं तो वाक्-तंतु कंपित होते हैं, जिससे ध्वनि उतपन्न होती है। वाक्-तंतुओं से जुडी माँसपेशियाँ तंतुओं को तना हुआ या ढीला कर सकती हैं। जब वाक्-तंतु तने हुए या पतले होते है तब वाक् ध्वनि का प्रकार उस वाक् ध्वनि से भिन्न होता है जब वे ढीले और मोटे होते हैं।

    Question 57
    CBSEHHISCH8006524

    आकाश में तड़ित तथा मेघगर्जन की घटना एक समय पर तथा हमसे समान दूरी पर घटित होती है। हमें तड़ित पहले दिखाई देती है तथा मेघगर्जन बाद में सुनाई देता है। क्या आप इसकी व्याख्या कर सकते हैं?

    Solution

    आकाश में तड़ित तथा मेघगर्जन की घटना एक समय पर तथा हमसे एक समान दूरी पर घटित होती है। फिर भी हमें पहले तड़ित दिखाई देती है और बाद में मेघगर्जन सुनाई देती हैं क्योंकि प्रकाश की चाल (3x108 m/s) ध्वनि की चाल से बहुत अधिक होती है। इसलिए वह पहले दिखाई देती है और बाद में उसकी आवाज सुनाई देती है।

    Question 58
    CBSEHHISCH8006619

    क्या आप घंटी की ध्वनि को जल के अंदर भी सुन पाते हैं? क्या इससे पता चलता है कि ध्वनि का संचरण द्रवों में हो सकता है?

    Solution

    हाँ। घंटी की ध्वनि को जल के अंदर भी सुना जा सकता है। ध्वनि को संचरण के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता होती है। ये माध्यम वायु, द्रव, ठोस आदि हो सकते हैं।

    Question 59
    CBSEHHISCH8006620

    जब हम बोलते हैं तो क्या हमारे शरीर का कोई भाग कंपित होता है?

    Solution

    हाँ, जब हम बोलते हैं तो वाक् तंतु कंपित होते हैं।

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