स्पर्श भाग २ Chapter 6 मधुर – मधुर मेरे दीपक जल
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    NCERT Solution For Class 10 Hindi स्पर्श भाग २

    मधुर – मधुर मेरे दीपक जल Here is the CBSE Hindi Chapter 6 for Class 10 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 10 Hindi मधुर – मधुर मेरे दीपक जल Chapter 6 NCERT Solutions for Class 10 Hindi मधुर – मधुर मेरे दीपक जल Chapter 6 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 10 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN10002405

    प्रस्तुत कविता में 'दीपक' और 'प्रियतम' किसके प्रतीक हैं?

    Solution

    कवि ने चित्रात्मक शैली का प्रयोग करते हुए पावस ऋतु का सजीव चित्र अंकित किया है। ऐसे स्थलों को छाँटकर लिखिए।

    Question 2
    CBSEENHN10002406

    निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    दीपक से किस बात का आग्रह किया जा रहा है और क्यों?

    Solution
    महादेवी वर्मा ने दीपक से हर अच्छी-बुरी परिस्थिति में वह निरंतर जलते रहने का आग्रह किया है। वह आग्रह इसलिए करती हैं क्योंकि वे अपने जीवन में ईश्वर का स्थान सबसे बड़ा मानती हैं। ईश्वर को पाना ही उनका लक्ष्य है। ईश्वर को पाने के लिए ज्ञानस्नेह और आस्था रूपी दीपक का लगातार जलते रहना अति आवश्यक है।
    Question 3
    CBSEENHN10002407

    निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    विश्व-शलभ दीपक के साथ क्यों जल जाना चाहता है?

    Solution
    विश्व-शलभ दीपक के साथ जलकर अपने अस्तित्व को विलीन करके प्रकाशमय होना चाहता है। जिस प्रकार पतंगा दीये के प्रति प्रेम के कारण उसकी लौ में जलकर अपना जीवन समाप्त कर देता है, इसी प्रकार संसार के लोग भी अपने अहंकार, मोह, लोभ, तथा विषय-विकारों को समाप्त करके आस्था रुपी दीये की लौ के समक्ष अपना समर्पण करना चाहते हैं ताकि प्रभु को पा सके। 
    Question 4
    CBSEENHN10002408

    निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    आपकी दृष्टि में 'मधुर मधुर मेरे दीपक जल' कविता का सौंदर्य इनमें से किस पर निर्भर है-
    (क) शब्दों की आवृत्ति पर।
    (ख) सफल बिंब अंकन पर।

    Solution

    इस कविता की सुंदरता दोनों पर निर्भर है। पुनरुक्ति रुप में शब्द का प्रयोग है - मधुर-मधुर, युग-युग, सिहर-सिहर, विहँस-विहँस आदि कविता को लयबद्ध बनाते हुए प्रभावी बनाने में सक्षम हैं। दूसरी ओर बिंब योजना भी सफल है। यह सर्वस्व समर्पण की भावना की ओर संकेत कर रहा है। आराध्य के प्रति प्रेम को प्रदर्शित कर रहा है।  

    Question 5
    CBSEENHN10002409

    निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
    कवयित्री किसका पथ आलोकित करना चाह रही हैं?

    Solution

    कवयित्री अपने मन के आस्था रुपी दीपक से अपने परमात्मा रूपी प्रियतम का पथ आलोकित करना चाहती हैं। उनका प्रियतम ईश्वर है। 

    Question 6
    CBSEENHN10002410

    कवयित्री को आकाश के तारे स्नेहहीन से क्यों प्रतीत हो रहे हैं?

    Solution

    कवयित्री को आकाश के तारे स्नेहहीन प्रतीत होते हैं। क्योंकि इनमे कोई भाव नहीं हैं, यह यंत्रवत होकर अपना कर्तव्य निभाते हैं। प्रेम और परोपकार की भावना समाप्त हो गई है। उनमें आपस में कोई स्नेह नहीं है। इसलिए उसे आकाश के तारे स्नेहहीन लगते हैं। 

    Question 7
    CBSEENHN10002411

    पतंगा अपने क्षोभ को किस प्रकार व्यक्त कर रहा है?

    Solution
    पतंगा अपना सिर धुनकर अपने क्षोभ को व्यक्त कर रहा है। जिस प्रकार पतंगा दीये की लौ में अपना सब कुछ समाप्त करना चाहता है पर कर नहीं पाता, उसी तरह मनुष्य भी परमात्मा रूपी लौ में जलकर अपना अस्तित्व विलीन करना चाहता है परन्तु अपने अहंकार को नहीं छोड़ पाता। इसलिए पछतावा करता है। 
    Question 8
    CBSEENHN10002412

    मधुर-मधुरपुलक-पुलकसिहर-सिहर और विहँस-विहँस', कवियत्री ने दीपक को हर बार अलग-अलग तरह से जलने को क्यों कहा हैं? स्पष्ट कीजिए 

    Solution

    कवयित्री अपने आत्मदीपक को तरह-तरह से जलने के लिए कहती हैं मीठी, प्रेममयी, खुशी के साथ, काँपते हुए, उत्साह और प्रसन्नता से। कवयित्री चाहती है कि हर परिस्थितियों में यह दीपक जलता रहे और प्रभु का पथ आलोकित करता रहे। इसलिए कवयित्री ने दीपक को हर बार अलग-अलग तरह से जलने को कहा है।

    Question 9
    CBSEENHN10002413

    नीचे दी गई काव्य-पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए −
    जलते नभ में देख असंख्यक,
    स्नेहहीन नित कितने दीपक;
    जलमय सागर का उर जलता,
    विद्युत ले घिरता है बादल!
    विहँस विहँस मेरे दीपक जल!

    'स्नेहहीन दीपक' से क्या तात्पर्य है?

    Solution

    स्नेहहीन दीपक से तात्पर्य बिना तेल का दीपक अर्थात प्रभु भक्ति से शून्य व्यक्ति। उसमें कोई भाव नहीं होता है, वह यंत्रवत होकर अपना कर्तव्य निभाता है। 

    Question 10
    CBSEENHN10002414

    नीचे दी गई काव्य-पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए −
    जलते नभ में देख असंख्यक,
    स्नेहहीन नित कितने दीपक;
    जलमय सागर का उर जलता,
    विद्युत ले घिरता है बादल!
    विहँस विहँस मेरे दीपक जल!

    सागर को जलमय कहने का क्या अभिप्राय है और उसका हृदय क्यों जलता है?

    Solution

    कवयित्री ने सागर को संसार कहा है और जलमय का अर्थ है सांसारिकता में लिप्त। अतः सागर को जलमय कहने से तात्पर्य है सांसारिकता से भरपूर संसार। सागर में अथाह पानी है परन्तु किसी के उपयोग में नहीं आता। इसी तरह बिना ईश्वर भक्ति के व्यक्ति बेकार है। बादल में परोपकार की भावना होती है। वे वर्षा करके संसार को हराभरा बनाते हैं तथा बिजली की चमक से संसार को आलोकित करते हैं, जिसे देखकर सागर का हृदय जलता है।

    Question 11
    CBSEENHN10002415

    नीचे दी गई काव्य-पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए −
    जलते नभ में देख असंख्यक,
    स्नेहहीन नित कितने दीपक;
    जलमय सागर का उर जलता,
    विद्युत ले घिरता है बादल!
    विहँस विहँस मेरे दीपक जल!

    बादलों की क्या विशेषता बताई गई है?

     

    Solution
    बादलों में जल भरा रहता है और वे वर्षा करके संसार को हराभरा बनाते हैं। बिजली की चमक से संसार को आलोकित करते हैं। इस प्रकार वह परोपकारी स्वभाव का होता है।
    Question 12
    CBSEENHN10002416

    नीचे दी गई काव्य-पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए −
    जलते नभ में देख असंख्यक,
    स्नेहहीन नित कितने दीपक;
    जलमय सागर का उर जलता,
    विद्युत ले घिरता है बादल!
    विहँस विहँस मेरे दीपक जल!

    कवयित्री दीपक को विहँस विहँस जलने के लिए क्यों कह रही हैं?

     

    Solution

    कवयित्री दीपक को उत्साह से तथा प्रसन्नता से जलने के लिए कहती हैं क्योंकि वे अपने आस्था रुपी दीपक की लौ से सभी के मन में आस्था जगाना चाहती हैं। उसे जलाना तो हर हाल में है ही इसलिए विहँस-विहँस कर जलते हुए दूसरों को भी सुख पहुँचाया जा सकता है।

    Question 13
    CBSEENHN10002417

    क्या मीराबाई और आधुनिक मीरा 'महादेवी वर्मा' इन दोनों ने अपने-अपने आराध्य देव से मिलने के लिए जो युक्तियाँ अपनाई हैं, उनमें आपको कुछ समानता या अतंर प्रतीत होता है? अपने विचार प्रकट कीजिए?

    Solution

    (1) महादेवी अपने आराध्य को निर्गुण मानती हैं और मीरा उनकी सगुण उपासक हैं। महादेवी वर्मा ने ईश्वर को निराकार ब्रह्म माना है। वे उसे प्रियतम मानती हैं। सर्वस्व समर्पण की चाह भी की है लेकिन उसके स्वरुप की चर्चा नहीं की।
    (2) मीराबाई श्री कृष्ण को आराध्य, प्रियतम मानती हैं और उनकी सेविका बनकर रहना चाहती हैं। उनके स्वरुप और सौंदर्य की रचना भी की है।
    (3) मीराबाई ने सहज एवं सरल भावों को जनभाषा के माध्यम से प्रस्तुत किया है जबकि महादेवी ने विभिन्न प्रकार के बिंबों का प्रयोग किया है।

    Question 14
    CBSEENHN10002418

    निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
    दे प्रकाश का सिंधु अपरिमित,
    तेरे जीवन का अणु गल गल!

    Solution

    कवयित्री अपने आस्था के दीपक से कहती है कि तू जल-जलकर अपने जीवन के एक-एक कण को गला दे और उस प्रकाश को सागर की भाँति विस्तृत रुप में फैला दे ताकि दूसरे लोग भी उसका लाभ उठा सके।

    Question 15
    CBSEENHN10002419

    निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
    युग-युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल,
    प्रियतम का पथ आलोकित कर!

    Solution

    इन पंक्तियों में कवयित्री का यह भाव है कि आस्था रुपी दीपक प्रतिदिन, प्रतिपल जलता रहे। युगों-युगों तक प्रकाश फैलाता रहे। अपने मन में व्याप्त अंधकार को नष्ट करता हुआ रहे और प्रियतम रुपी ईश्वर का मार्ग प्रकाशित करता रहे अर्थात् ईश्वर में आस्था बनी रहे। 

    Question 16
    CBSEENHN10002420

    निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
    मृदुल मोम सा घुल रे मृदु तन!

    Solution

    कवयित्री का मानना है कि इस कोमल तन को मोम की भाँति घुलना होगा तभी तो प्रियतम तक पहुँचना संभव हो पाएगा। अर्थात् ईश्वर की प्राप्ति के लिए कठिन साधना की आवश्यकता है। हमें प्रभु के चरणों में अपना सर्वस्व समर्पित करना होगा। 

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