क्षितिज भाग २ Chapter 15 महावीरप्रसाद द्विवेदी - स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन
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    NCERT Solution For Class 10 Hindi क्षितिज भाग २

    महावीरप्रसाद द्विवेदी - स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन Here is the CBSE Hindi Chapter 15 for Class 10 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 10 Hindi महावीरप्रसाद द्विवेदी - स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन Chapter 15 NCERT Solutions for Class 10 Hindi महावीरप्रसाद द्विवेदी - स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन Chapter 15 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 10 Hindi.

    Question 1
    CBSEHIHN10002785

    कुछ पुरातन पंथी लोग स्त्रियों की शिक्षा के विरोधी थे। द्विवेदी जी ने क्या-क्या तर्क देकर स्त्री-शिक्षा का समर्थन किया?

    Solution

    कुछ पुरातन पंथी लोग स्त्रियों की शिक्षा के विरोधी थे। द्विवेदी जी ने अनेक तर्कों के द्वारा उनके विचारों का खंडन किया है-
    1. प्राचीन काल में भी स्त्रियॉं शिक्षा ग्रहण कर सकती थीं। सीता,शकुंतला,रुकमणी,आदि महिलायें इसका उदहारण हैं। वेदों,पुराणों में इसका प्रमाण भी मिलता है।
    2. प्राचीन युग में अनेक पदों की रचना भी स्त्रियों ने की है।
    3. यदि गृह कलह स्त्रियों की शिक्षा का ही परिणाम है, तो मर्दों की शिक्षा पर भी प्रतिबन्ध लगाना चाहिए। क्योंकि चोरी,डकैती,रिश्वत लेना,हत्या जैसे दंडनीय अपराध भी मर्दों की शिक्षा का ही परिणाम है।
    4.जो लोग यह कहते हैं, कि पुराने ज़माने में स्त्रियॉं नहीं पड़ती थीं। वे या तो इतिहास से अनभिज्ञ हैं या फिर समाज के लोगों को धोखा देते हैं।
    5. अगर ऐसा था भी की पुराने ज़माने की स्त्रियों की शिक्षा पर रोक थी। तो उस नियम को हमें तोड़ देना चाहिए। क्योंकि ये समाज की उन्नति में बाधक है।

    Question 2
    CBSEHIHN10002786

    'स्त्रियों को पढ़ाने से अनर्थ होते हैं’ – कुतर्कवादियों की इस दलील का खंडन द्विवेदी जी ने कैसे किया है, अपने शब्दों में लिखिए?

    Solution

    1. द्विवेदी जी ने कुतर्कवादियों की स्त्री शिक्षा विरोधी दलीलों का जोरदार खंडन किया है, अनर्थ स्त्रियों द्वारा होते हैं, तो पुरुष भी इसमें पीछे नहीं हैं, अतः पुरुषों के लिए भी विद्यालय बंद कर दिए जाने चाहिए।
    2. दूसरा तर्क यह है कि शंकुतला का दुष्यंत को कुवचन कहना या अपने परित्याग पर सीता का राम के प्रति क्रोध दर्शाना उनकी शिक्षा का परिणाम न हो कर उनकी स्वाभाविकता थी।
    3. तीसरा तर्क व्यंग पूर्ण तर्क है – ‘स्त्रियों के लिए पढ़ना कालकूट और पुरूषों के लिए पीयूष का घूँट! ऐसी दलीलों और दृष्टान्तों के आधार पर कुछ लोग स्त्रियों को अशिक्षित रखकर भारतवर्ष का गौरव बढ़ाना चाहते हैं।

    Question 3
    CBSEHIHN10002787

    द्विवेदी जी ने स्त्री-शिक्षा विरोघी कुतर्कों का खंडन करने के लिए व्यंग्य का सहारा लिया है – जैसे ‘यह सब पापी पढ़ने का अपराध है। न वे पढ़तीं, न वेपूजनीय पुरूषों का मुकाबला करतीं।’ आप ऐसे अन्य अंशों को निबंध में से छाँटकर समझिए और लिखिए?

    Solution

    स्त्री शिक्षा से सम्बन्धित कुछ व्यंग्य जो द्विवेदी जी द्वारा दिए गए हैं –
    (1) स्त्रियों के लिए पढ़ना कालकूट(जहर पीने जैसा ) और पुरुषों के लिए पीयूष का घूँट!(अमृत पीने जैसा) ऐसी ही दलीलों और दृष्टांतो के आधार पर कुछ लोग स्त्रियों को अपढ़(अशिक्षित) रखकर भारतवर्ष का गौरव बढ़ाना चाहते हैं।
    (2) स्त्रियों का किया हुआ अनर्थ यदि पढ़ाने ही का परिणाम है तो पुरुषों का किया हुआ अनर्थ भी उनकी विद्या और शिक्षा का ही परिणाम समझना चाहिए।
    (3) “आर्य पुत्र, शाबाश! बड़ा अच्छा काम किया जो मेरे साथ गांधर्व-विवाह करके मुकर गए। नीति, न्याय, सदाचार और धर्म की आप प्रत्यक्ष मूर्ति हैं!”
    (4) अत्रि की पत्नी, पत्नी-धर्म पर व्याख्यान देते समय घंटो पांडित्य प्रकट करे, गार्गी बड़े-बड़े ब्रह्मवादियों को हरा दे, मंडन मिश्र की सहधर्मचारिणी शंकराचार्य के छक्के छुड़ा दे !गज़ब! इससे अधिक भयंकर बात और क्या हो सकेगी!
    (5) जिन पंडितों ने गाथा-सप्तशती, सेतुबंध-महाकाव्य और कुमारपालचरित आदि ग्रंथ प्राकृत में बनाए हैं, वे यदि अपढ़ और गँवार थे तो हिंदी के प्रसिद्ध से भी प्रसिद्ध अख़बार का संपादक को इस ज़माने में अपढ़ और गँवार कहा जा सकता है; क्योंकि वह अपने ज़माने की प्रचलित भाषा में अख़बार लिखता है।

    Question 4
    CBSEHIHN10002788

     पुराने समय में स्त्रियों द्वारा प्राकृत भाषा में बोलना क्या उनके अपढ़ होने का सबूत है – पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए?

    Solution

    1. पुराने समय में स्त्रियों द्वारा प्राकृत भाषा में बोलने को उनके अनपढ़ होने का सुबूत नहीं माना जा सकता।
    2. उस समय बहुत कम लोग ही संस्कृत बोलते थे, अतः संस्कृत न बोल पाने को अनपढ़ नहीं कहा जा सकता।
    3. प्राकृत उस समय की प्रचलित भाषा थी। बौध्दों तथा जैनियों के हजारों ग्रन्थ प्राकृत में ही लिखे गए हैं।
    4. उनकी रचना प्राकृत में हुई, इसका एकमात्र कारण यही हैं। कि उस समय प्राकृत सर्वसाधारण की भाषा थी।
    5. अतः प्राकृत बोलना और लिखना, अनपढ़ और अशिक्षित होने का चिन्ह नहीं माना जा सकता।

    Question 5
    CBSEHIHN10002789

    परंपरा के उन्हीं पक्षों को स्वीकार किया जाना चाहिए जो स्त्री-पुरुष समानता को बढ़ाते हों – तर्क सहित उत्तर दीजिए?

    Solution

    हमारी परम्परा वैसे भी काफ़ी पुरानी है, ज़रूरी नहीं कि हमें सारी बातें अपनानी ही चाहिए जो अपनाने योग्य बातें हैं, हमें वही अपनानी चाहिए। जहाँ तक परंपरा का प्रश्न है, परंपराओं का स्वरुप पहले से बदल गया है। प्राचीन परम्पराएँ कहीं-कहीं पर स्त्री-पुरूषों में अंतर करती थी(जैसे-शिक्षा) परन्तु आज स्त्री तथा पुरुष दोनों ही एक समान हैं। समाज की उन्नति के लिए दोनों का सहयोग ज़रुरी है। ऐसे में स्त्रियों का कम महत्व समझना गलत है, इसे रोकना चाहिए। अत: स्त्री तथा पुरुष की असमानता की परंपरा को भी बदलना ज़रुरी है।

    Question 6
    CBSEHIHN10002790

    तब की शिक्षा प्रणाली और अब की शिक्षा प्रणाली में क्या अंतर है? स्पष्ट करें।

    Solution

    पहले की शिक्षा प्रणाली और आज की शिक्षा प्रणाली में बहुत परिवर्तन आया है। तब की शिक्षा प्रणाली में स्त्रियों को शिक्षा से वंचित रखा जाता था, पहले शिक्षा प्राप्त करने के लिए विद्यार्थियों को गुरुकुल में रहना ज़रूरी था। परन्तु आज शिक्षा प्राप्त करने के लिए विद्यालय है। पहले शिक्षा एक वर्ग तक सीमित थी। लेकिन आज किसी भी जाति के तथा किसी भी वर्ग के लोग शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। आज की शिक्षा प्रणाली में स्त्री-पुरूषों की शिक्षा में अंतर नहीं किया जाता है। पहले की शिक्षा में जहाँ जीवन-मूल्यों की शिक्षा पर बल दिया जाता था, वहीँ आज व्यवसायिक तथा व्यावहारिक शिक्षा पर बल दिया जाता है। गुरु-परम्परा भी लगभग समाप्त ही हो गयी है।

    Question 7
    CBSEHIHN10002791

    महावीरप्रसाद द्विवेदी का निबंध उनकी दूरगामी और खुली सोच का परिचायक है, कैसे?

    Solution

    महावीर प्रसाद द्विवेदी जी ने निबंध के माध्यम से अपनी सोच को व्यक्त किया है। उस समय समाज में स्त्री शिक्षा पर प्रतिबंध था। उन्होंने स्त्री शिक्षा के महत्व को समाज के सामने रखा। आज समाज में, स्त्रियों में बहुत बदलाव आया है। आज की स्त्रियाँ पुरुषों के समान हैं। इससे द्विवेदी जी की दूरगामी सोच का प्रमाण मिलता है। स्त्रियों की शिक्षा को लेकर उनकी सोच खुली थी। वे स्त्रियों को समाज की उन्नति के लिए महत्वपूर्ण मानते थे।
    उस समय समाज में स्त्री शिक्षा पर प्रतिबंध था। उन्होंने स्त्री शिक्षा के महत्व को समाज के सामने रखा। वे जानते थे कि घर की स्त्री के शिक्षित होने पर पूरा समाज शिक्षित हो सकेगा और राष्ट्र उन्नति करेगा, आज समाज में, स्त्रियों में बहुत बदलाव आया है। आज की स्त्रियाँ पुरुषों के समान हैं। ये सारे परिवर्तन ऐसी ही सोच का परिणाम है।

     

    Question 8
    CBSEHIHN10002792

    द्विवेदी जी की भाषा-शैली पर एक अनुच्छेद लिखिए?

    Solution

    द्विवेदी जी अपने समय के भाषा सुधारक थे। अतः इन्होंने व्याकरण तथा वर्तनी की अशुद्धियों पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने व्यंग्यात्मक शैली का भी प्रयोग किया है। उन्होंने अपने निबंध में संस्कृत निष्ठ तत्सम शब्दों, के साथ साथ देशज, तद्भव तथा उर्दू और अंग्रेजी शब्दों का भी प्रयोग किया है।

    Question 9
    CBSEHIHN10002793

    निम्नलिखित अनेकार्थी शब्दों को ऐसे वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए, जिनमें उनके एकाधिक अर्थ स्पष्ट हों ?– चाल, दल, पत्र, हरा, पर, फल, कुल।

    Solution

    चाल – यदि दुनियाँ की चाल बदलना चाहते हो तो पहले लोगों की चालों से बचों।
    दल – इस बार के लोकसभा चुनाव में मोदीजी के दल ने सभी राजनीतिक दलों के इरादे दल दिए।
    पत्र – आज के समाचार पत्र में नेहरूजी द्वारा इंदिराजी को लिखा पत्र छपा है।
    हरा – भारत के खिलाडियों ने इंग्लैंड के हरे मैदानों में हर प्रतिद्वंद्वी टीम को हरा दिया।
    पर – उस डाल पर बैठे पक्षी के पर कितने सुन्दर हैं।
    फल – सावधान! अधिक फल खाने का फल भी अच्छा नहीं होता है।
    कुल – हमारे कुल के छात्रों के कुल अंक 75% रहे हैं।

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