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TextBook Solutions for Rajasthan Board of Secondary Education Class 10 Hindi क्षितिज भाग २ Chapter 3 देव - सवैया

Question 1
CBSEENHN10001490

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर प्रसंग सहित व्याख्या कीजिये:
पाँयनि नूपुर मंजु बजैं, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।
साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।
माथे किरीट बड़े दृग चंचल, मंद हँसी मुखचंद जुन्हाई
जै जग-मंदिर-दीपक सुंदर, श्रीब्रजदूलह ‘देव’ सहाई।।

Solution

प्रसंग- प्रस्तुत सवैया रीतिकालीन कवि देव के द्वारा रचित है और इसे हमारी पाठ्‌य-पुस्तक क्षितिज (भाग- 2) में संकलित किया गया है। कवि ने श्री कृष्ण, के बालरूप र्को अद्‌भुत सुंदरता का वर्णन किया है।

व्याख्या- कवि कहता है कि श्री कृष्ण के पाँव में पाजेब है जो उन के चलने पर बजने के कारण अत्यंत सुंदर ध्वनि उत्पन्न करती है। उनकी कमर में करघनी है जो मीठी धुन पैदा करती है। उनके साँवले-सलोने अंगों पर पीले रंग के वस्त्र शोभा देते हैं। उनकी छाती पर शोभा देती हुई फूलों की माला मन में प्रसन्नता उत्पन्न करती है। उनके माथे पर अट है और उन की बड़ी-बड़ी आँखें हैं जो चंचलता से भरी हैं। उनकी मंद-मंद हँसी उनके चांद जैसे सुंदर चेहरे पर चांदनी की तरह फैली हुई है। संसार रूपी इस मंदिर में दीपक के समान जगमगाते हुए अति सुंदर श्रीकृष्ण की जयजयकार हो। देव कवि कहता है कि जीवन में सदा श्रीकृष्ण सहायता करते रहें।

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