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सीएनजी और एलपीजी का ईंधन के रूप में उपयोग करने के क्या लाभ हैं?
सीएनजी और एलपीजी का उपयोग परिवहन वाहनों में ईंधन के रूप में किया जा रहा हैं क्योंकि ये ईंधन कम प्रदुषण करते हैं। इन ईंधनों का रख रखाव आसान है। स्वच्छ ईंधन होने के साथ-साथ ये सस्ते ईंधन भी हैं।
पेट्रोलियम का कौन सा उत्पाद सड़क निर्माण हेतु उपयोग में लाया जाता है?
पेट्रोलियम के उत्पाद का स्रोत हमारी धरती है, जिसके तल से यह प्राप्त किया जाता है। आजकल पक्की सड़कों के निर्माण में कोलतार के स्थान पर पेट्रोलियम के उत्पाद बिटुमिन का प्रयोग होता है। बिटुमिन का उपयोग पेन्ट बनाने में भी किया जाता है।
वर्णन कीजिए, मृत वनस्पति से कोयला किस प्रकार बनता है? यह प्रक्रम क्या कहलाता है?
लगभग 30 करोड़ वर्ष पूर्व पृथ्वी घने जंगल, कच्छ क्षेत्रों और जलधाराओं से तर थी। वनस्पति समूहों की जल में गिरकर मृत्यु हो गई जो बाद में मिट्टी के तहो के नीचे दबते चले गए। उनके ऊपर अधिक मृदा होने के कारण वे संपीडित हो गए और गहरे होते गए, जिससे उनके ऊपर ताप और दाब ज्यादा हो गया और वो धीरे-धीरे कोयले में बदल गए। कोयले में मुख्य रूप से कार्बन पाया जाता है। इस प्रक्रम को कार्बनीकरण कहते है।
समझाइए, जीवाश्म ईंधन समाप्त होने वाले प्राकृतिक संसाधन क्यों हैं?
जीवाश्म ईंधन समाप्त होने वाले प्राकृतिक संसाधन हैं क्योंकि एक बार इसका उपयोग करने के पश्चात इसे दोबारा प्राप्त नहीं किया जा सकता है। ये मृत जीवों से बनते हैं और मृत जीवों को ईंधन में परिवर्तित होने में लाखों वर्षों का समय लगता हैं। हमारे पास जो जीवाश्म ईंधनों का भंडार है वह कुछ सालों के लिए पर्याप्त हैं। इसलिए हमें इनका न्यायोचित प्रयोग करना चाहिए।
कोक के अभिलक्षणों और उपयोगों का वर्णन कीजिए।
यह एक कठोर, सरंघ्र और कला पदार्थ है। कोक में मुख्य रूप से कार्बन पाया जाता है। यह कार्बन का लगभग शुद्ध रूप है। कोक का उपयोग इस्पात के औद्योगिक निर्माण में और बहुत से धातुओं के निष्कर्षण में किया जाता है।
पेट्रोलियम निर्माण के प्रक्रम को समझाइए।
पेट्रोलियम का निर्माण समुद्र में रहने वाले जीवों के संपीड़न से हुआ है। जब ये जिव मृत हुए तो इनका शरीर समुद्र के निचे की सतह पर जम गए और धीरे-धीरे रेत एवं मिट्टी की तहों द्वारा ढक गए। लाखों वर्षों में, वायु की अनुपस्थिति, उच्च ताप और उच्च दाब से इनके शरीर संपीडित हो गए। उच्च ताप और उच्च दाब के कारण मृत जिव पेट्रोलियम में परिवर्तित हो गए।
निम्नलिखित सारणी में 1991 से 1997 तक भारत में विद्युत की कुल कमी को दिखाया गया है। इन ऑंकड़ों को ग्राफ द्वारा आलेखित करिए। वर्ष में कमी-प्रतिशतता को Y-अक्ष तथा वर्ष को X-अक्ष पर आलेखित करिए।
क्र.सं. | वर्ष | कमी (%) |
1 | 1991 | 7.9 |
2 | 1992 | 7.8 |
3 | 1993 | 8.3 |
4 | 1994 | 7.4 |
5 | 1995 | 7.1 |
6 | 1996 | 9.2 |
7 | 1997 | 11.5 |
क्या प्रयोगशाला में मृत जीवों से कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक जैसे बनाई जा सकती है?
नहीं, इनका बनना एक बहुत धीमा प्रक्रम है और इनके बनने की परिस्थितियाँ प्रयोगशाला में उत्पन्न नहीं की जा सकती।
कोयला हमें कहाँ से प्राप्त होता है और यह कैसे बनता है?
लगभग 300 मिलियन वर्ष पूर्व पृथ्वी पर निचले जलीय क्षेत्रों में घने वन थे। बाढ़ जैसे प्राकृतिक प्रक्रमों के कारण, ये वन मृदा के नीचे दब गए। जैसे-जैसे वे गहरे होते गए उनका ताप भी बढ़ता गया। उच्च दाब और ताप पर ये मृत पेड़-पौधे धीरे-धीरे कोयले में परिवर्तित हो गए।
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क्या हम अपने सभी प्राकृतिक संसाधनों का निरंतर उपयोग कर सकते हैं?
प्राकृतिक संसाधन दो प्रकार के होते हैं:
(i) अक्षय प्राकृतक (ii) संसाधन समाप्त होने वाले प्राकृतक संसाधन
(i) अक्षय प्राकृतिक संसाधन: ये संसाधन प्रकृति में असीमित मात्रा में उपस्थित है। जैसे: सूर्य का प्रकाश, वायु, जल।
(ii) समाप्त होने वाले प्राकृतिक संसाधन: प्रकृति में इन स्त्रोतों की मात्रा सिमित है। जैसे: वन, वन्यजीव, खनिज, कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि।
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