अर्थशास्र Chapter 3 निर्धनता:एक चुनौती
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    NCERT Solution For Class 9 सामाजिक विज्ञान अर्थशास्र

    निर्धनता:एक चुनौती Here is the CBSE सामाजिक विज्ञान Chapter 3 for Class 9 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 9 सामाजिक विज्ञान निर्धनता:एक चुनौती Chapter 3 NCERT Solutions for Class 9 सामाजिक विज्ञान निर्धनता:एक चुनौती Chapter 3 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 9 सामाजिक विज्ञान.

    Question 1
    CBSEHHISSH9009473

    भारत में निर्धनता रेखा का आकलन कैसे किया जाता है ?

    Solution

    (i) निर्धनता के आकलन के लिए एक सर्वमान्य सामान्य विधि आय अथवा उपभोग स्तरों पर आधारित है। किसी व्यक्ति को निर्धन माना जाता है, यदि उसकी आय या उपभोग स्तर किसी को 'न्यूनतम स्तर' से नीचे गिर जाये जो मूल आवश्यकताओं के एक दिए हुए समूह को पूर्ण करने के लिए आवश्यक है।
    (2) भारत में निर्धनता रेखा का निर्धारण करते समय जीवन निर्वाह के लिए खाद्य आवश्यकता, कपड़ों, जूतों, ईंधन और प्रकाश, शैक्षिक एवं चिकित्सा सम्बन्धी आवश्यकताओं आदि पर विचार किया जाता है।
    (3) निर्धनता रेखा का आकलन करते समय खाद्य आवश्यकता के लिए वर्तमान सूत्र वांछित कैलोरी आवश्यकताओं पर भी आधारित है। भारत में सवीकृत कैलोरी आवश्यकता ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी प्रतिव्यक्ति प्रति दिन एवं नगरीय क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रतिव्यक्ति प्रति दिन है।
    उदाहरण स्वरुप वर्ष 2000 में किसी व्यक्ति के लिए निर्धनता रेखा का निर्धारण ग्रामीण क्षेत्रों में ₹ 454 प्रतिमाह किया गया था।

    Question 2
    CBSEHHISSH9009474

    क्या आप समझते हैं कि निर्धनता आकलन का वर्तमान तरीका सही है?

    Solution

    नहीं, गरीबी के आकलन की वर्तमान पद्धति उपयुक्त नहीं है।
    यह केवल एक मात्रात्मक अवधारणा है । लोगों के लिए निर्धनता की आधिकारिक परिभाषा उनके केवल एक सीमित भाग पर लागू होती है। यह न्यूनतम जीवन निर्वाह के 'उचित' स्तर की अपेक्षा जीवन निर्वाह के 'न्यूनतम' स्तर के विषय में है।

    Question 3
    CBSEHHISSH9009475

    भारत में 1973 से निर्धनता की प्रवृत्तियों की चर्चा करें ।   

    Solution
    निर्धनता अनुपात (प्रतिशत) निर्धनों की संख्या (करोड़)  
    वर्ष  ग्रामीण  शहरी   योग  ग्रामीण  शहरी संयुक्त योग    
    1973-74 56.4 49.0 54.9 26.1 6.0 32.1
    1993-94 37.3 32.4 36.0 24.4 7.6 32.0
    1999-2000 27.1 23.6 26.1 19.3 6.7 26.0

    (i) भारत में निर्धनता अनुपात में वर्ष 1973 में लगभग 55 प्रतिशत से वर्ष 1993 में 36 प्रतिशत तक महत्वपूर्ण गिरावट आयी है।  

    (ii) गरीबी रेखा से नीचे के लोगों का अनुपात 2000 में करीब 26 प्रतिशत नीचे आ गया।

    (iii) यदि प्रवृत्ति जारी है, तो गरीबी रेखा के नीचे वाले लोग अगले कुछ वर्षों में 20 प्रतिशत से भी कम कर सकते हैं।

    Question 4
    CBSEHHISSH9009476

    भारत में निर्धनता में अंतर-राज्य असमानताओं का एक विवरण प्रस्तुत करें। 

    Solution

    भारत में गरीबी के प्रमुख कारण नीचे दिए गए है: 

    (i) एक ऐतिहासिक कारण ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन के दौरान आर्थिक विकास का निम्न स्तर हैं।
    (ii) औपनिवेशिक सरकार की नीतियों ने पारम्परिक हस्तशिल्प्कारी को नष्ट कर दिया और वस्त्र जैसे उद्योगों के विकास को हतोत्साहित किया।
    (iii) सिंचाई और हरित क्रांति के प्रसार से कृषि क्षेत्रक में रोज़गार के अनेक अवसर सृजित हुए। लेकिन इनका प्रभाव भारत के कुछ स्थानों तक ही सीमित रहा।
    (iv) उच्च निर्धनता दर की एक और विशेषता आय असमानता रही है। इसका एक प्रमुख कारण भूमि और अन्य संसाधनों का असमान वितरण है

    Question 5
    CBSEHHISSH9009477

    उन सामाजिक और आर्थिक समूहों की पहचान करें जो भारत में निर्धनता के समक्ष निरुपाय हैं।  

    Solution
    सामाजिक समूह: 
    (i) अनुसूचित जाति के परिवार 
    (ii) अनुसूचित जनजाति के परिवार

    आर्थिक समूह: ग्रामीण कृषि श्रमिक परिवार तथा नगरीय अनियत मजदूर परिवार ।

    Question 6
    CBSEHHISSH9009478

    भारत में अन्तर्राजीय निर्धनता में विभिन्नता के कारण बताइए ।

    Solution
    भारत में निर्धनता का एक और पहलू या आयाम है। प्रेत्यक राज्य में निर्धन लोगों का अनुपात एक सामान नहीं है। आजादी के बाद गरीबी में महत्वपूर्ण गिरावट आई है। हालाँकि अनुमान दर्शाते हैं कि निर्धनता अनुपात राष्ट्रीय औसत से काम है। निर्धनता कम करने में सफलता कि दर विभिन्न राज्यों में अलग-अलग हैं।

    (i) असम, बिहार, उड़ीसा, यू.पी. और त्रिपुरा भारत के सबसे गरीबी से ग्रस्त राज्य हैं इन राज्यों में गरीबी अनुपात राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है। बिहार और उड़ीसा क्रमशः 43 और 47 के गरीबी अनुपात वाले सबसे गरीब राज्य हैं।

    (ii) कम निर्धनता औसत वाले राज्य: हरियाणा, पंजाब, गोवा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की जनसंख्या का अनुपात बहुत कम है।
    (iii) 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में निर्धनता अनुपात राष्ट्रीय औसत से कम है। केरल और जम्मू -कश्मीर में निर्धनता में उल्लेखनीय गिरावट आई है।

     

    Question 7
    CBSEHHISSH9009479

    वैश्विक निर्धनता की  प्रवृत्तियों की चर्चा करें।      

    Solution
    वैश्विक निर्धनता पर आकँड़े निम्न प्रवृत्तियों को दर्शा रहे हैं - 

    (i) विश्व बैंक की परिभाषा के अनुसार प्रतिदिन 1 डॉलर से कम पर जीवन निर्वाह करने वाले लोग अत्यंत आर्थिक निर्धनता के दयारे में आतें हैं। 1 डॉलर से कम पर जीवन निर्वाह में रहने वाले लोगों का अनुपात 1990 के 28 प्रतिशत से गिरकर 2001 में 21 प्रतिशत हो गया है।
    (ii) यद्यपि वैश्विक निर्धनता में उल्लेखनीय गिरावट आई है, लेकिन इसमें बृहत क्षेत्रीय भिन्नताएँ पायी जाती। तीव्र आर्थिक प्रगति और मानव संसाधन विकास में बृहत निवेश के कारण चीन और दक्षिण-पूर्ण एशिया के देशों में निर्धनता में विशेष कमी आई है।
    (iii) भारत में भारत में गरीबी भी कम हो गई है, लेकिन कमी की गति बहुत धीमी है। विश्व बैंक की परिभाषा के अनुसार, कुल आबादी का 35.3% अभी भी गरीबी रेखा से नीचे रह रहा है।गरीबी कम हो गई है, लेकिन कमी की गति बहुत धीमी है। विश्व बैंक की परिभाषा के अनुसार, कुल आबादी का 35.3% अभी भी गरीबी रेखा से नीचे रह रहा है।
    (iv) सब-सहारा अफ्रीका में निर्धनता 1981में ४१% से बढ़कर 2001 में 46% हो गयी।
    (v) रूस जैसे पूर्व समाजवादी देशों में भी निर्धनता पुन: व्यापत हो गयी है।

     

     

     
    Question 8
    CBSEHHISSH9009480

    निर्धनता उन्मूलन की वर्तमान सरकारी रणनीति की चर्चा करें।

    Solution

    सरकार की वर्तमान निर्धनता - निरोधी रणनीति मोटे तौर पर दो कारकों आर्थिक संवृद्धि को प्रोत्साहन और लक्षित निर्धनता-निरोधी कार्यक्रमों पर निर्भर है।
    यह कई योजनाओं और कार्यक्रमों पर भी आधारित है। उनमें से कुछ का उल्लेख नीचे दिया गया है:

    (i) राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम: यह कार्यक्रम 2004 में देश के सबसे पिछड़े 150 ज़िलों में लागू किया गया था। यह कार्यक्रम उन सभी ग्रामीण निर्धनों के लिए है, जिन्हें मज़दूरी पर रोज़गार की आवश्यकता है और जो अकुशल शारीरिक काम करने के इच्छुक हैं।

    (ii) प्रधानमंत्री रोज़गार योजना: इस कार्यक्रम को 1993 में आरम्भ किया गया। इसका उद्देश्य ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में शिक्षित बेरोज़गार युवाओं के लिए स्वरोज़गार के अवसर सृजित करना है।

    (ii) ग्रामीण रोज़गार सृजन कार्यक्रम: इस कार्यक्रम को 1995 में आरम्भ किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में स्वरोज़गार के अवसर सृजित करना है। दसवीं पंचवर्षीय योजना में इस कार्यक्रम के अंतर्गत २५ लाख नए रोज़गार के अवसर सृजित करने का लक्ष्य रखा गया।

    (iv) प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना: इस कार्यक्रम को 2000 में आरम्भ किया गया। इस योजना के अंतर्गत गाँवों में मूलभूत सुविधाओं के लिए राज्यों को अतिरिक्त केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है।
    (v) राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, 2005: इस अधिनियम को सितम्बर 2005 में पारित किया गया। इस अधिनियम का नाम बदलकर महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम कर दिया गया है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत अगर आवेदक को 15 दिन के अंदर रोज़गार उपलब्ध नहीं कराया गया तो वह दैनिक बेरोज़गारी भत्ते का हक़दार होगा।    

    Question 9
    CBSEHHISSH9009481

    मानव निर्धनता से आप क्या समझते हैं? 

    Solution

    किसी व्यक्ति को निर्धन माना जाता है, यदि उसकी आय या उपभोग स्तर किसी ऐसे 'न्यूनतम स्तर' से नीचे गिर जाए जो मूल आवश्यकताओं जैसे भोजन, कपड़ा और आवास को पुराण करने के लिए आवश्यक है।   

    Question 10
    CBSEHHISSH9009482

    निर्धनों में भी सबसे निर्धन कोन हैं? 

    Solution

    महिलाएँ, शिशु (विशेषकर बच्चियाँ) और वृद्ध निर्धनों में भी निर्धन होते हैं। 

    Question 11
    CBSEHHISSH9009483

    राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, 2005 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?    

    Solution
    राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 की मुख्य विशेषताएं नीचे दी गई हैं:

    (i) इस अधिनियम को सितम्बर 2005 में पारित किया गया।
    (ii) इस अधिनियम का नाम बदलकर महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम कर दिया गया हैं।
    (iii) यह अधिनियम प्रत्येक वर्ष देश के 200 जिलों में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिन के सुनिश्चित रोज़गार का प्रावधान करता है। बाद में इस योजना का विस्तार 600 जिलों में कर दिया जायेगा।
    (iv) इस कार्यक्रम के अंतर्गत अगर आवेदक को 15 दिन के अन्दर रोज़गार उपलब्ध नहीं कराया गया तो वह (स्त्री/परुष) दैनिक बेरोज़गारी भत्ते का हकदार होगा ।

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