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ज्वारीय ऊर्जा निम्नलिखित में से किस प्रकार का संसाधन है?
पुनः पूर्ति योग्य
अजैव
मानवकृत
अचक्रीय
A.
पुनः पूर्ति योग्य
तीन राज्यों के नाम बताएँ जहाँ काली मृदा पाई जाती है। इस पर मुख्य रूप से कौन सी फसल उगाई जाती है?
ऐसे तीन राज्य जहाँ काली मृदा पाई जाती है निम्नलिखित है:
i) महाराष्ट्र
ii) गुजरात
iii) मध्य प्रदेश
कपास प्रमुख रुप से काली मृदा में उगाई जाती है।
पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं पर किपूर्वी तट के नदी डेल्टाओं पर किस प्रकार की मृदा पाई जाती है? इस प्रकार की मृदा की तीन मुख्य विशेषताएँ क्या है?स प्रकार की मृदा पाई जाती है? इस प्रकार की मृदा की तीन मुख्य विशेषताएँ क्या है?
पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं (कृष्णा, कावेरी, महानदी, गोदावरी) नदियों में जलोढ़ मृदा पाई जाती है।
जलोढ़ मृदा की विशेषताएँ-
(i) जलोढ़ मृदा नदियों द्वारा लाये गए अवसाद(रेत,सिल्ट, मृतिका) से निर्मित होती है। अतः यह बहुत उपजाऊ होती है।
(ii) मृदाओं की पहचान उनकी आयु से भी होती है। आयु के आधार पर जलोढ़ मृदा दो प्रकार की होती है- नवीन जलोढ़ तथा प्राचीन जलोढ़। नवीन जलोढ़ प्राचीन जलोढ़ की अपेक्षा अधिक उपजाऊ होती है।
(iii) जलोढ़ मृदा पोषक तत्वों से भरपूर होती है। अधिकतर जलोढ़ मृदा मृदाएँ पोटाश ,फास्फोरस और चूनायुक्त होती है। जो इनको गन्ने, चावल, गेहूँ और अन्य अनाजों और दलहन फसलों की खेती के लिए उपयुक्त बनाती है। अधिक उपजाऊपन के कारण जलोढ़ मृदा वाले क्षेत्रों में गहन कृषि की जाती है।
पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए निम्लिखित कदम उठाने चाहिए-
(i) पर्वतीय ढालो पर वृक्षारोपण द्वारा जल प्रवाह को रोक कर या धीमा करके।
(ii) समोच्य जुताई द्वारा जल ऊपर से नीचे नहीं प्रवाहित होगा।
(iii) पर्वतों पर सीढियाँ बनाकर, सीढ़ीदार कृषि कर।
(iv) बड़े खेतों को पट्टियों में विभाजित करके इनपर घास उगा कर। इससे पवनों के वेग में कमी आती है।
जैव और अजैव संसाधन क्या होते हैं कुछ उदाहरण दें।
जैव संसाधन- इन संसाधनों की प्राप्ति जीवमंडल से होती है और इनमे जीवन व्याप्त होता है, उदाहरण- मनुष्य, वनस्पतिजात, मत्स्य जीवन, पशुधन आदि।
अजैव संसाधन- वे सारे संसाधन जो निर्जीव वस्तुओं से बने है। ये दो प्रकार के होते है समाप्य और असमाप्य l उदाहरण- चट्टानें और धातुएँ।
(iv) परती भूमि
(i) भारत की जनसंख्या बहुत तीव्र गति से बढ़ रही है। इस जनसंख्या के लिए भूमि का उपयोग भवन निर्माण आदि के लिए हो रहा है। भारत विकासशील देश है तथा संपूर्ण देश में उद्योग, मिल तथा अन्य व्यापारिक स्थल बन रहे हैं।
(ii) स्वतंत्रता के पश्चात हमने बेकार भूमि को वनों के अंतर्गत लाने का प्रयास नहीं किया। वास्तव में मनुष्य ही बंजर भूमि को बढ़ा रहा है।
(iii) स्थानीय लोग वनों का सही उपयोग नहीं कर रहे हैं। वृक्षों की कटाई सही योजना के बिना ही हो रही है। लोग नए वृक्ष नहीं लगाते हैं और ना ही क्षेत्र का विस्तार करते हैं।
(iv) भूमि की आवश्यकता उद्योगों के विस्तार के लिए हो रही है।
(v) जल संसाधन सीमित है और देश में वर्षा का वितरण समान नहीं है।
(vi) आवासीय भूमि की मांग निरंतर बढ़ रही है।
प्रौद्योगिक और आर्थिक विकास के कारण संसाधनों का अधिक उपयोग कैसे हुआ है?
किसी भी प्रदेश के आर्थिक विकास के लिए संसाधनों की उपलब्धता आवश्यक है। प्रौद्योगिक और आर्थिक विकास संसाधनों के उपयोग को बढ़ावा देते हैं। लेकिन प्रौद्योगिकी की कमी इस विकास में बाधक उत्प्न्न करती है। आर्थिक विकास के लिए तकनीक की आवश्यकता होती है। इसके बाद विकास कार्यों के लिए भूमि की आवश्यकता होती है। वनों, खनिजों का उपयोग होता है तथा जल की भी आवश्यकता होती है।
अगस्त 1947 से पहले इग्लैंड का उपनिवेश था। विदेशी आक्रमणकर्ताओं का मुख्य आकर्षण धनी संसाधन थे। उपनिवेशों का विकास प्रद्योगिकी के उच्च स्तर के कारण हुआ तथा औपनिवेशिक शक्तियों ने अपना शासन स्थापित किया। औपनिवेशीकरण को भारत ने कई रूपों में अनुभव किया। इसलिए भारत में विकास सामान्य और संसाधन पर निर्भर रहा बल्कि प्रौद्योगिकी और मानव संसाधन की गुणवत्ता का अनुभव किया।
स्वतंत्रता के बाद भारत में औद्योगिकरण हुआ। इससे विस्तृत अवसर उत्पन्न हुए। आज औद्योगिक संस्थान आदि समान्य हो गई है। उद्योगो की बढ़ती संख्या ने और भी दवाब बढ़ा दिया, जैसे जल संसाधन आदि।
आवश्यकताओं के दोहरे संयोग में छुपी समस्या को उजागर कीजिए।
दोनों पक्ष एक दुसरे से वस्तुएं खरीदने और बेचने पर सहमति रखते हों, उसे आवश्यकताओं का दुहरा संयोग कहा जाता है।
वस्तुओं तथा सेवाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने-ले जाने के लिए परिवहन के तीव्र एवं सक्षम साधन क्यों आवश्यक हैं? उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।
परिवहन के तीव्र एवं सक्षम साधनों की आवश्यकता -
(i) हम अपने दैनिक जीवन में विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं का प्रयोग करते हैं। इनमें से कुछ हमारे आसपास उपलब्ध होती हैं; जबकि कुछ अन्य वस्तुओं की आवश्यकता दूसरे स्थानों से लाकर की जाती है।
(ii) वस्तुएं और सेवाएं मांग स्थल से आपूर्ति स्थल पर अपने आप नहीं पहुंच जाती। वस्तुओं तथा सेवाओं के आपूर्ति स्थानों से मांग स्थानों तक ले जाने हेतु परिवहन की आवश्यकता होती है।
(iii) परिवहन के माध्यम से वस्तुएं उपभोक्ता तक पहुँचती हैं।
(iv) किसी देश का विकास वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के साथ-साथ उनके स्थानिक गतिशीलता पर निर्भर करता है।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपनी उत्पादन इकाइयों को स्थापित करने के लिए, ध्यान में रखने योग्य किन्हीं तीन परिस्थितियों की परख कीजिए।
राष्ट्रीय कंपनियों द्वारा उत्पादन इकाइयों के स्थापित करने की परिस्थितियां -
(i) सरकारी अनुकूल नीति।
(ii) बाजार की निकटता का होना।
(iii) कम लागत पर कुशल और अकुशल श्रम की उपलब्धता।
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