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सत्रहवीं सदी से पहले होने वाले आदान-प्रदान के दो उदहारण दीजिये। एक उदहारण एशिया से और एक उदहारण अमेरिका महाद्वीपों के बारे में चुनें।
सत्रहवीं सदी से पहले एशिया और अमेरिका में होने वाले आदान-प्रदान निम्न थे:
(i) सिल्क मार्ग के रास्ते चीन में रेशम व भारत से मसालों का पश्चिमी देशों का निर्यात किया जाता था और पश्चिमी देशों में सोना, चाँदी जैसी कीमती धातुएँ चीन तथा भारत आयी थीं।
(ii) आलू, सोया, मूंगफली, मक्का, टमाटर, मिर्च, सकरकंद, आदि खाद्य पदार्थ अमेरिका में पैदा होते थे जिन्हें आज सारे विश्व में खाया जाता है।
बताएँ की पूर्व-आधुनिक विश्व में बीमारियों के वैश्विक प्रसार ने अमेरिकी भूभागों के उपनिवेशीकरण में किस प्रकार मदद दी।
सोलहवीं सदी के मध्य तक आते-आते पुर्तगाली और स्पेनिश सेनाओं की विजय का सिलसिला शुरू हो चूका था।
(i) स्पेनिश विजेताओं के सबसे शक्तिशाली हथियारों में परंपरागत क़िस्म का सैनिक हथियार तो कोई था ही नहीं। यह हथियार तो चेचक जैसे कीटाणु थे जो स्पेनिश सैनिकों और अफ़सरों के साथ वहाँ जा पहुँचे थे।
(ii) लाखों साल से दुनिया से अलग-थलग रहने के कारण अमेरिका के लोगों के शरीर में यूरोप से आने वाली इन बीमारियों से बचने की रोग-प्रतिरोधी क्षमता नहीं थीं।
(iii) फलस्वरूप, इस नए स्थान पर चेचक बहुत मारक साबित हुआ। एक बार शंक्रमण शुरू होने के बाद तो यह बीमारी पुरे महाद्वीप में फैल गई।
(iv) इसने पूरे के पूरे समुदायों को खत्म कर डाला। इस तरह घुसपैठियों की जीत का रास्ता आसान होता चला गया।
(v) बंदूकों को तो खरीद कर या छीन कर हमलावरों के ख़िलाफ़ भी इस्तेमाल किया जा सकता था। पर चेचक जैसी बीमारियों के मामले में तो ऐसा नहीं किया जा सकता था क्योंकि हमलावरों के पास उससे बचाव का तरीका भी था और उनके शरीर में रोग प्रतिरोधी क्षमता भी विकसित हो चुकी थीं।
निम्नलिखित के प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखें:
कॉर्न लॉ के समाप्त करने के बारे में ब्रिटिश सरकार का फ़ैसला।
कॉर्न लॉ को समाप्त करने के ब्रिटिश सरकार के फैसले के प्रभाव:
(i) कॉर्न लॉ के निरस्त हो जाने के बाद बहुत कम कीमत पर खाद्य पदार्थों का आयत किया जाने लगा। आयातित खाद्य पदार्थों की लागत ब्रिटेन में पैदा होने वाले खाद्य पदार्थों से कम थी।
(ii) ब्रिटिश किसानों की हालत बिगड़ने लगी क्योंकि वे आयातित माल की क़ीमत का मुक़ाबला नहीं कर सकते थे। विशाल भू-भागों पर खेती बंद हो गई। हज़ारो लोग बेरोज़गार हो गए।
(iii) गाँवों से उजड़ कर वे या तो शहरों में या दूसरे देशों में जाने लगे। जब खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट आई तो ब्रिटेन में उपभोग का स्तर बढ़ गया।
अफ़्रीका में रिंडरपेस्ट का आना:
(i) अफ्रीका के पूर्वी हिस्से में महाद्वीप में दाखिल होने वाली यह बीमारी 'जंगल की आग' की तरह पश्चिमी अफ्रीका की तरफ़ बढ़ने लगी। 1892 में यह अफ़्रीका के अटलांटिक तक जा पहुँची। पाँच साल बाद यह केप (अफ़्रीका का धुर दक्षिणी हिस्सा) तक भी पहुँच गई। रिंडरपेस्ट ने अपने रास्ते में आने वाले 90 प्रतिशत मवेशियों को मौत की नींद सुला दिया।
(ii) पशुओं के खत्म हो जाने से तो अफ्रीका के रोज़ी- रोटी के साधन ही खत्म हो गए। अपनी सत्ता को और मज़बूत करने तथा अफ़्रीकियों को श्रम बाज़ार में ढकेलने के लिए वहाँ के बागान मालिकों, खान मालिकों और औपनिवेशिक सरकारों ने बचे-खुचे पशु भी अपने क़ब्ज़े में ले लिए।
(iii) बचे-खुचे पशु संसाधनों पर क़ब्ज़े से यूरोपीय उपनिवेशकारों को पूरे अफ़्रीका को जीतने व गुलाम बना लेने का बेहतरीन मौक़ा हाथ लग गया था।
प्रभाव:
(i) मृतक और घायलों में से ज्यादातर कामकाजी उम्र के लोग थे। इस महाविनाश के कारण यूरोप में कामकाज के लायक लोगों की संख्या बहुत कम रह गई।
(ii) परिवार के सदस्य घट जाने से युद्ध के बाद परिवारों की आय भी गिर गई।
(iii) युद्ध की ज़रूरतों के मद्देनजर पूरे के पूरे समाजों को बदल दिया गया। मर्द मोर्चे पर जाने लगे तो उन कामों को सँभालने के लिए घर की औरतों को बाहर आना पड़ा जिन्हे अब तक केवल मर्दों का ही काम करना पड़ा काम माना जाता था।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी के प्रभाव:
(i) महामंदी ने भारतीय व्यापार को काफी प्रभावित किया। 1928 से 1934 के बीच देश के आयात-निर्यात घट कर लगभग आधे रह गए थे। जब अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कीमतें गिरने लगीं तो यहाँ भी कीमतें नीचे आ गईं। 1928 से 1934 के बीच भारत में गेहूँ की कीमत 50% गिर गई।
(ii) शरीर निवासियों के मुक़ाबले किसानों और काश्तकारों को ज़्यादा नुकसान हुआ। यद्धपि कृषि उत्पादों की कीमत तेजी से नीचे गिरी लेकिन सरकार ने लगान वसूली में छूट देने से साफ़ इंकार कर दिया। सबसे बुरी मार उन काश्तकारों पर पड़ीं जो विश्व बाज़ार के लिए उपज पैदा करते थे।
(iii) पूरे देश में काश्तकार पहले से भी ज़्यादा क़र्ज़ में डूब गए। खर्चे पूरे करने के चक्कर में उनके बचत खत्म हो चुकी थी, ज़मीन सूदखोरों के पास गिरवी पड़ी थी, घर में जो भी गहने-ज़ेवर थे बिक चुके थे।
चीन जैसे देशों में वेतन तुलनात्मक रूप से कम थे। फलस्वरूप विश्व बाज़ारों पर अपना प्रभुत्व कायम करने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने वहाँ जमकर निवेश शुरू कर दिया। यहाँ पर नए उद्योगों की स्थापना हुई, रोज़गार के अवसर बढ़े और लोगों को आधुनिक जरूरत की वस्तुएँ टेलीविज़न, मोबाइल फ़ोन, कंप्यूटर और खिलौने आदि तुलनात्मक रूप से कम मूल्यों में प्राप्त होने लगे।
उद्योगों को कम वेतन वाले देशों में ले जाने से वैश्विक व्यापर और पूँजी प्रवाहों पर भी असर पड़ा।
खाद्य उपलब्ध्ता पर तकनीक के प्रभाव को दर्शाने के लिए इतिहास से दो उदहारण दें।
तकनीकी विकास ने खाद्य उपलब्धता को सुगम और अति प्रभावी बना दिया। इसके दो उदहारण इस प्रकार हैं:-
(i) यातायात और परिवहन साधनों में काफी सुधार किए गए। तेज़ चलने वाली रेलगाड़ियाँ बनाई गई है एवं बोगियों का भार भी कम किया गया। जलपोतों का आकार बढ़ाया गया जिससे किसी भी उत्पाद को खेतों से दूर-दूर के बाजारों में कम लागत पर और अधिक आसानी से पँहुचाया जा सके।
(ii) 1870 के दशक तक अमेरिका से यूरोप को मांस का निर्यात नहीं किया जाता था। उस समय तक अमेरिका से यूरोप को मांस का निर्यात नहीं किया जाता था। उस समय केवल ज़िंदा जानवर बहुत ज़्यादा घेरते थे। बहुत सारे तो लंबे सफ़र में मर जाते थे या बीमार पड़ जाते थे। बहुतों का वज़न गिर जाता था या वे खाने के लायक नहीं रह जाते थे। इसी वजह से मांस खाना एक महँगा सौदा था और यूरोप के ग़रीबो की पहुँच से बाहर था। दूसरी तरफ ऊँची कीमतों के कारण मांस उत्पादों की माँग और उत्पादन भी कम रहता था। नई तकनीक के आने पर यह स्थिति बदल गई। पानी के जहाज़ों में रेफ्रिजरेशन की तकनीक स्थापित कर दी गई जिससे जल्दी खराब होने वाली चीज़ों को भी लंबी यात्रा पर ले जाया जा सकता था।
ब्रेटन वुड्स समझौते का क्या अर्थ है।
दितीय विश्वयुद्ध के पश्चात विश्व के औद्योगिक राष्ट्र के सामने विश्व अर्थव्यवस्था को स्थिरता प्रदान करने की एक चुनौती थी। इस चुनौती के लिए जुलाई 1944 में अमेरिका के न्यू हैंपशर के ब्रेटन वुड्स में एक सम्मेलन का आयोजन किया गया। सदस्य देशों के विदेशी व्यापार में लाभ और घाटे से निपटने के लिए ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना की गई युद्धोत्तर पुनर्निर्माण के लिए पैसे का प्रबंध करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय पुनःनिर्माण एवं विकास बैंक (विश्व बैंक)का गठन किया गया। इसी कारण से विश्व बैंक और आई. एम. एफ. को ब्रेटन वुड्स संस्थान व्यवस्था या ब्रेटन वुड्स ट्विन भी कहा जाता है। इसी के आधार पर युद्धोत्तर अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था को अक्सर ब्रेटन वुड्स व्यवस्था भी कहा जाता है।
कल्पना कीजिए कि आप कैरीबियाई क्षेत्र में काम करने वाले गिरमिटिया मज़दूर हैं। इस अध्याय में दिए गए विवरणों के आधार पर अपने हालात और अपनी भावनाओं का वर्णन करते हुए अपने परिवार के नाम एक पत्र लिखें।
उत्तम नगर
01 मई, 2017
आदरणीय पिता जी,
मैं यहाँ पर सकुशल हूँ और आशा करता हूँ कि आप भी परिवार सहित सकुशल होंगे। मैं यहाँ पर एक अनुबंधित श्रमिक के रूप में इसलिए आया था ताकि मैं अपने घर की आर्थिक स्थिति सुधार सकूँ। लेकिन जो हमें भारत में वायदे किए गए थे यहाँ ऐसा कुछ नहीं है, यहाँ का जीवन तो कुछ और ही है।
यहाँ भोजन, स्वास्थ्य और सोने के लिए मकान आदि का कोई प्रबंध नहीं है। यहाँ मुझे क्षमता से अधिक काम करना पड़ता है, वेतन भी बहुत कम मिलता है। अगर कोई गलती हो जाती है तो जुर्माना देना पड़ता है। कभी-कभी सज़ा भी सेहन करनी पड़ती है। यहाँ मेरा जीवन कष्टमय और नारकीय है। अनुबंध खत्म होते ही मैं घर लौटने को उत्सुक हूँ। आप अपना, माताजी व बहन का ख़याल रखना।
प्रणाम!
आपका पुत्र
राहुल कुमार
अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन तरह की गतियों या प्रभावों की व्याख्या करें। तीनों प्रकार की गतियों के भारत और भारतीयों से संबंधित एक-एक उदाहरण दे और उनके बारे में संक्षेप में लिखें।
अर्थशास्त्रीयों ने अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमय में तीन तरह की गतियों या 'प्रवाहों' का वर्णन किया है। इनका वर्णन इस प्रकार है-
(i) व्यापार का प्रवाह
(ii)श्रम का प्रवाह
(iii) पूँजी प्रवाह
व्यापार का प्रवाह: 18 वी शताब्दी के अंतिम दशकों में ब्रिटेन की जनसंख्या तेज़ी से बढ़ने लगी थी । नतीजा, देश में भोजन की माँग भी बढ़ी। जैसे-जैसे शहर फैले और उद्योग बढ़ने लगे, कृषि उत्पादों की माँग भी बढ़ने लगी। कृषि उत्पाद भी महँगे होने लगे। अंग्रेजों ने अपनी कृषि उत्पादों की माँग को पूरा करने के लिए व्यापार प्रवाह के माध्यम से भारत से इंग्लैंड में खाद्यान्नों और कपास का आयत किया। बहुत छोटे पैमाने पर ही सही लेकिन इस तरह के नाटकीय बदलाव हम अपने यहाँ पंजाब में भी देख सकते हैं। ब्रिटिश सरकार ने अर्द्ध-रेगिस्तानी परती भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए नहरों का जाल बिछा दिया ताकि निर्यात के लिए गेहूँ और कपास की कृषि की जा सके। नई नहरों की सिंचाई वाले क्षेत्रों में पंजाब के अन्य स्थानों के लोगों को लाकर बसाया गया। उनकी बस्तियों को केनाल कॉलोनी(नहर बस्ती) कहा जाता था।
श्रम का प्रवाह: 19 वीं सदी में भारत और चीन के लाखों मज़दूरों के खदानों बगानों और सड़क व रेलवे निर्माण परियोजनाओं में कार्य करने के लिए दूर-दूर के देशों में ले जाया जाता था। भारतीय अनुबंदित श्रमिकों को विशेष प्रकार के अनुबंध के अंतर्गत ले जाया जाता था। इन अनुबंधों में यह शर्त होती थी कि यदि मज़दूर अपने मालिक के बागानों से 5 साल काम कर लेंगे तो वह स्वदेश लौट सकते हैं। भारत के अधिकतर अनुबंधित श्रमिक पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य भारत और तमिलनाडु के सूखे लाखों से जाते थे।
पूंजी का प्रवाह: विश्व बाजार के लिए खाद्य पदार्थ व फसलें उगाने के लिए पूँजी की आवश्यकता थी। इसके लिए छोटे किसान महाजनों एवं सूदखोरों से कर्ज लेते थे। इसके लिए ये लोग या तो अपनी पूँजी लगाते थे या यूरोपीय बैंकों से क़र्ज़ लेते थे। उनके पास दूर-दूर तक पहुँचाने की एक व्यवस्थित पद्धति होती थी। यहाँ तक कि उन्होंने व्यवसायिक संगठनों और क्रियाकलापों के देशी स्वरुप भी विकसित कर लिए थे।
महामंदी के कारणों की व्याख्या करें।
आर्थिक महामंदी के कई कारण थे:
(i) पहला कारण यह था कि कृषि क्षेत्र में अधिक उत्पादन की समस्या बनी हुई थी। कृषि उत्पादों की गिरती कीमतों के कारण स्थिति और खराब हो गई थी। कीमतें गिरीं और किसानों की आय घटने लगी तो आमदनी बढ़ाने के लिए किसान उत्पादन बढ़ाने का प्रयास करने लगे ताकि कम कीमत पर ही सही लेकिन ज्यादा माल पैदा करके वे अपना आय स्तर बनाए रख सकें।फलस्वरुप बाजार में कृषि उत्पादों की आमद और भी बढ़ गई। किमते और नीचे चली गई, खरीदारों के आभाव में कृषि उपज पड़ी-पड़ी सड़ने लगी।
(ii) दूसरा कारण 1920 के दशक के मध्य में बहुत सारे देशों ने अमेरिका से क़र्ज़े लेकर अपनी निवेशी संबंधी जरूरतों को पूरा किया था। जब हालात अच्छे थे तो अमेरिका से क़र्ज़ा जुटाना बहुत आसान था लेकिन संकट का संकेत मिलते ही अमेरिकी उद्यमियों के होश उड़ गए।
(iii) 1928 के पहले छह माह तक विदेशों में अमेरिका का क़र्ज़ा एक अरब डॉलर था। साल भर के भीतर यह क़र्ज़ा घटकर केवल चौथाई रह गया था। जो देश अमेरिकी क़र्ज़े पर सबसे ज़्यादा निर्भर थे उनके सामने गहरा संकट आ खड़ा हुआ।
जी-77 देशों से आप क्या समझते हैं? जी -77 को किस आधार पर ब्रेटन वुड्स की जुड़वाँ संतानों की प्रतिक्रिया कहा जा सकता हैं? व्याख्या करें।
जी-77 विश्व के 77 विकासशील देशों का एक समूह में जो अपनी अर्थव्यवस्था को तेज गति प्रदान करने के उद्देश्य से संगठित हुए हैं। इन 77 देशों ने एक नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली के लिए आवाज उठाई है। इस नई आर्थिक प्रणाली से उनका आशय एक ऐसी व्यवस्था से था जिसमें उन्हें अपने संसाधनों पर सही अर्थ में नियंत्रण मिल सके, जिसमें उन्हें विकास के लिए अधिक सहायता मिले, कच्चे माल के सही दाम मिलें और अपने तैयार मालों को विकसित देशों के बाजारों में बेचने के लिए बेहतर पहुँच मिले।
जी-77 को ब्रेटन वुड्स की संतानों की प्रतिक्रिया के रूप में देखा जाता है क्योंकि पश्चिम के विकसित राष्ट्रों ने अपनी अर्थव्यवस्थाओं को मजबूती और स्थायित्व प्रदान करने के लिए ब्रेटन वुड्स व्यवस्था का निर्माण किया था और इस व्यवस्था का संचालन और एकाधिकार अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, रूस जैसी बड़ी शक्तियों के हाथों में थे। इससे विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं को कोई विशेष लाभ नहीं हुआ था। अत: इस व्यवस्था की प्रतिक्रियास्वरुप इन 77 विकासशील देशों ने जी-77 का गठन किया।
'वियतनाम में अमेरिका के युध्द में कूद पड़ने से एक न्य दौर प्रारम्भ हुआ जो वियतनामियों के साथ-साथ अमरीकियों के लिए बहुत महँगा साबित हुआ।' इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
वियतनाम में अमेरिका के युध्द में कूद पड़ने से एक नया दौर -
(i) 1965 से 1972 के बीच बड़ी संख्या में अमेरीकी (3403100) सैनिक ने काम किया, उनमें महिलाएं (7484) शामिल थीं।
(ii) उसके बहुत सारे सैनिक (लगभग 47244) युध्द में मारे गए और (303704) घायल हुए।
(iii) घायलों में से बहुत से सैनिक (23014) स्थायी रूप से अपंग घोषित क्र दिए गए।
(iv) इस युध्द में बड़े-बड़े हथियारों और टैंकों से लैस अमेरिकी सैनिक वियतनाम में झोंक दिए गए। उनके पास बमवर्षक विमान थे।
(v) अनेक गाँव नष्ट हो गए और विशाल जंगल तहस-नहस कर दिए गए।
(vi) इस युध्द में असंख्य साधारण नागरिक मारे गए।
तीन उदाहरण देकर दर्शायें कि अमेरिका जाने वाले नये समुद्री रास्तों की खोज के बाद विश्व में बदलाव आया ?
19वीं सदी में लोगों द्वारा यूरोप से भागकर अमेरिका जाने के क्या कारण थे ?
रिंडरपेस्ट क्या था ? इसने अफ़्रीकी लोगों को किस तरह प्रभावित किया ?
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सूती वस्त्र उद्योगों के औद्योगिकरण का ब्रिटेन में क्या प्रभाव पडा ?
यूरोपीय लोगों के अफ़्रीका की और आकर्षित होने के मुख्य कारण क्या थे ?
कार्न-ला क्या था ? उसे क्यों समाप्त किया गया उसकी समाप्ती के क्या परिणाम हुए ?
आर्थिक महामंदी के कारण बताइए?
प्रथम विश्वयुद्ध के प्रभावों को स्पष्ट करों ?
भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी के क्या प्रभाव पड़े ?
19वीं शताब्दी में अनुबधों की नई गुलामी प्रथा का वर्णन कीजिए ?
ब्रिटिश सरकार कॉर्न लाज के समाप्त करने के निर्णय का क्या प्रभाव पड़ा ।
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