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विभिन्न देशों के बीच परस्पर सम्बन्ध और तीव्र एकीकरण की प्रक्रिया को वैश्वीकरण कहते है। इसके अंतर्गत मुक्त व्यापार, पूँजी का मुक्त रूप से प्रवासन एवं श्रम की गतिशीलता (या मुक्त रूप में आवागमन आदि) आदि शामिल होती है।
स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने विदेशी व्यापार और विदेशी निवेश पर प्रतिबंध लगा रखा था।
(i) देश के उत्पादकों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से सरंक्षण प्रदान करने के लिए यह अनिवार्य माना गया ।
(ii) 1950 और 1960 के दशकों में उद्योगों का उदय हो रहा था और इस अवस्था में आयात से प्रतिस्पर्धा इन उद्योगों को बढ़ाने नहीं देती।
(iii) भारत में करीब सन् 1991 के प्रारम्भ से नीतियों में कुछ दूरगामी परिवर्तन किए गए। सरकार ने यह निश्चय किया कि भारतीय उत्पादकों के लिए विश्व के उत्पादकों से प्रतिस्पर्द्धा करने का समय आ गया हैं।
(iv) यह महसूस किया गया कि प्रतिस्पर्धा से देश में उत्पादकों के प्रदर्शन में सुधार होगा, क्योंकि उन्हें अपनी गुणवत्ता में सुधार करना होगा।
(v) इस निर्णय का प्रभावशाली अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने समर्थन किया ।
अतः विदेश व्यापार एवं विदेशी निवेश पर से अवरोधों को काफी हद तक हटा दिया गया।
सरकार ने विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए श्रम कानूनों में लचीलेपन की अनुमति दी हैं।
अब नियमित आधार पर श्रमिकों को रोज़गार देने के बजाए कंपनियों में जब काम का अधिक दवाब होता है, तो लोचदार ढंग से छोटी अवधि के लिए श्रमिकों को कार्य पर रखती हैं। जैसे कम्पनियाँ मज़दूरों को कम मज़दूरी देकर केवल उसी मौसम में रखती हैं जब उन्हें उनकी बहुत आवश्यकता होती हैं। कंपनी की श्रम लागत में कटौती करने के लिए ऐसा किया जाता है।
(i) बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ उसी स्थान पर उत्पादन इकाई स्थापित करती हैं जो बाज़ार के नज़दीक हो, जहाँ कम लागत पर कुशल और अकुशल श्रम उपलब्ध हो और जहाँ उत्पादन के अन्य कारकों की उपलब्धता सुनिचित हो।
(ii) साथ ही, बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ सरकारी नीतियों पर भी नज़र रखती हैं, जो उनके हितों का देखभाल करती हैं।
(iii) बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ इन देशों की स्थानीय कम्पनियों के साथ सयुंक्त रूप से उत्पादन करती हैं। लेकिन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निवेश का सबसे आम रास्ता स्थानीय कंपनियों को खरदीना और उसके बाद उत्पादन का प्रसार करना हैं।
(iv) विकसित देशों की बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ छोटे उत्पादकों को उत्पादन का ऑर्डर देती हैं। वस्त्र, जूते-चप्पल एवं खेल के सामान ऐसे उद्योग हैं, जहाँ विश्वभर में बड़ी संख्या में छोटे उत्पादकों द्वारा उत्पादन किया जाता हैं।
(v) बहुराष्ट्रीय कंपनियों को इन उत्पादों की आपूर्ति की जाती है। फिर इन्हें अपने ब्राण्ड नाम से ग्राहकों को बेचती हैं।
विकसित देशों चाहते हैं कि विकासशील देशों को अपने व्यापार और निवेश को उदार बनाना चाहिए क्योंकि सामान को आयात किया जा सकता है और आसानी से निर्यात किया जा सकता है और विदेशी कम्पनियाँ उनके देश में कारखानों और कार्यालय स्थापित कर सकते हैं।
विकासशील देशों को अपने श्रम के मुक्त और निष्पक्ष प्रवाह और विकसित देशों के कृषि क्षेत्र में सब्सिडी में कमी की मांग करनी चाहिए।
(i) वैश्वीकरण और उत्पादकों - स्थानीय एवं विदेशी दोनों, के बीच बेहतर प्रतिस्पर्धा से उपभोक्ताओं, विशेषकर शहरी क्षेत्र में धनी वर्ग के उपभोक्ताओं को लाभ हुआ हैं। इन उपभोक्ताओं के समक्ष पहले से अधिक विकल्प हैं और वे अब अनेक उत्पादों की उत्कृष्ट गुणवत्ता और काम कीमत से लाभान्वित्त हो रहे हैं। परिणामत: ये लोग पहले की तुलना में आज अपेक्षाकृत उच्चतर जीवन स्तर का आनंद ले रहे हैं।
(ii) विदेशी निवेश आकर्षित करने हेतु सरकार ने श्रम-कानूनों में लचीलापन लाने में अनुमति दे दी है। अब नियमित आधार पर श्रमिकों को रोज़गार देने के बजाए कंपनियों में जब काम का अधिक दवाब होता है, तो लोचदार ढंग से छोटी अवधि के लिए श्रमिकों को कार्य पर रखती हैं। कंपनी की श्रम लागत में कटौती करने के लिए ऐसा किया जाता हैं ।
व्यापार और निवेश नीतियों का उदारीकरण:
(i) विकसित देशों की बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ छोटे उत्पादकों को उत्पादन का ऑर्डर देती हैं । वस्त्र, जूते-चप्पल एवं खेल के सामान ऐसे उद्योग हैं, जहाँ विश्वभर में बड़ी संख्या में उत्पादन किया जाता हैं ।
(ii) बहुराष्ट्रीय कंपनियों को इन उत्पादों की आपूर्ति की जाती है। फिर इन्हें अपने ब्राण्ड नाम से ग्राहकों को बेचती हैं। इन बड़ी कंपनियों में दूरस्थ उत्पादकों के मूल्य, गुणवत्ता, आपूर्ति और शर्म-शर्तों का निर्धारण करने की प्रचण्ड क्षमता होती हैं।
(iii) बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निवेश का सबसे आम रास्ता स्थानीय कंपनियों को खरदीना और उसके बाद उत्पादन का प्रसार करना है। संयुक्त राज्य अमेरिका और पश्चिम के अन्य विकसित देशों ने उनके लिए पूर्ण समर्थन का विस्तार किया है।
देशों में बाजारों का एकीकरण:
(i) विदेश व्यापर घरेलु बाज़ारों अर्थात् अपने देश के बाज़ारों से बाहर के बाज़ारों में पहुँचने के लिए उत्पादकों को एक अवसर प्रदान करता हैं।
(ii) उत्पादक केवल अपने देश के बाज़ारों में ही अपने उत्पाद नहीं बेच सकते हैं, बल्कि विश्व के अन्य देशों के बाज़ारों में भी प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।
(iii) सामान्यत: व्यापार के खुलने से वस्तुओं का एक बाज़ार से दूसरे बाज़ार में आवागमन होता है। बाज़ार में वस्तुओं के विकल्प बढ़ जाते हैं। दो बाज़ारो में एक ही वस्तु का मूल्य एक सामान होने लगता है। अब दो देशों के उत्पादक एक दूसरे से हज़ारों मील दूर होकर भी एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।
(iv) उदाहरण के लिए, दीवाली के मौसम के दौरान, भारत के खरीदारों में भारतीय और चीनी सजावटी रोशनी और बल्ब के बीच चयन करने का विकल्प होता है। कई दुकानों ने भारतीय सजावटी रोशनी को चीनी रोशनी में बदल दिया है। चीनी प्रकाश निर्माताओं के लिए, यह अपने व्यापार का विस्तार करने का एक अवसर प्रदान करता है।
मेरे विचारानुसार निसंदेह भविष्य में भी वैश्वीकरण जारी रहेगा। मैं कल्पना कर सकता हूँ की आज के बाद सारी दुनिया सक्रिय बड़े बाजार के सामान दिखाई देगा। कारणों का उल्लेख नीचे दिया गया है:
(i) बहुराष्ट्रीय कंपनियां दुनिया भर के उन स्थानों पर माल और सेवाएं मुहैया कराएगी जो जो उनके उत्पादन के लिए सस्ता होगी।
(ii) बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा विदेशी निवेश तुलनात्मक रूप से बढ़ेगा। देशों के बीच विदेश व्यापार भी बढ़ेगा।
(iii) विदेशी व्यापार का एक बड़ा हिस्सा बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा नियंत्रित किया जाएगा।
(iv) अधिक से अधिक माल और सेवाएं, निवेश और प्रौद्योगिकी का अदान-प्रदान देशों के बीच होगा।
(v) अधिक विदेशी निवेश और विदेशी व्यापार के कारण देश भर में उत्पादन और बाज़ार का अधिक से अधिक एकीकरण होगा।
वैश्वीकरण से भारत के सामने नकारात्मक और सकारात्मक दोनों ही नतीजे आए हैं परन्तु लोगो ने सकारात्मक प्रभाव को कहीं अधिक महसूस किया हैं: इसके अलावा कुशल, शिक्षित और धनी उपभोक्ताओं और उत्पादकों को फायदा हुआ है।
(i) दूसरी तरफ, बढ़ती प्रतिस्पर्धा के परिणामस्वरूप कई छोटे उत्पादकों और श्रमिकों को नुकसान हुआ है। इसलिए उन्होंने वैश्वीकरण के लाभों को साझा नहीं किया है।
(ii) सरकार को वैश्वीकरण को अधिक निष्पक्ष बनाने की कोशिश करनी चाहिए। न्यायसंगत वैश्वीकरण सभी के लिए अवसर प्रदान करेगा और यह सुनिश्चित भी करेगा कि वैश्वीकरण के लाभों में सबकी बेहतर हिस्सेदारी हो।
वैश्वीकरण
,व्यापार
,वे सस्ता शर्म एवं अन्य संसाधन प्राप्त कर सकता हैं।
,दामों और स्तर
,प्रतिस्पर्धा
A. बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ छोटे उत्पादकों से सस्ते दरों पर खरीदती हैं। | (i) मोटर गाड़ियों |
B. आयात पर कर और कोटा का उपयोग, व्यापार नियमन | (ii) कपड़ा, जूते-चप्पल, खेल के सामान के लिए किया जाता है। |
C. विदेशों में निवेश करने वाली भारतीय कंपनियाँ | (iii) कॉल सेंटर |
D. आई.टी. ने सेवाओं के उत्पादन के प्रसार में सहायता की है। | (iv) टाटा मोटर्स, इंफोसिस, रैनबैक्सी |
E. अनेक बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ ने उत्पादन करने के लिए निवेश किया है। | (v) व्यापार अवरोधक |
A. बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ छोटे उत्पादकों से सस्ते दरों पर खरीदती हैं। | (i) कपड़ा, जूते-चप्पल, खेल के सामान के लिए किया जाता है। |
B. आयात पर कर और कोटा का उपयोग, व्यापार नियमन | (ii) व्यापार अवरोधक |
C. विदेशों में निवेश करने वाली भारतीय कंपनियाँ | (iii) टाटा मोटर्स, इंफोसिस, रैनबैक्सी |
D. आई.टी. ने सेवाओं के उत्पादन के प्रसार में सहायता की है। | (iv) कॉल सेंटर |
E. अनेक बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ ने उत्पादन करने के लिए निवेश किया है। | (v) मोटर गाड़ियों |
देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं और लोगों का
देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं और निवेशों का
B.
देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं और निवेशों का
सभी लोगों के
विकसित देशों के लोगों के
विकासशील देशों के श्रमिकों के
उपर्युक्त में से कोई नहीं
B.
विकसित देशों के लोगों के
वैश्वीकरण की प्रक्रिया को बढ़ावा देने में प्रौद्योगिकी के योगदान का वर्णन कीजिए।
वैश्वीकरण की प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी का योगदान -
(i) विगत पचास वर्षों में परिवहन प्रौद्योगिकी बहुत उन्नति हुई है।
(ii) इसने लम्बी दूरियों तक वस्तुओं की तीव्रतर आपूर्ति को कम लागत पर संभव किया है।
(iii) वर्तमान समय में दूरसंचार, कम्प्यूटर और इंटरनेट के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी द्रुत गति से परिवर्तित हो रही है।
(iv) प्रौद्योगिकी ने इन सुविधाओं को संचार उपग्रहों द्वारा सुगम बनाया है।
(v) दूरसंचार सुविधाऐं विश्व भर में एक दूसरे से संपर्क करने में प्रयोग की जाती हैं।
(vii) इंटरनेट से हम तत्काल इलेक्ट्रोनिक डाक (ई-मेल) भेज सकते हैं और अति कम मूल पर विश्व भर में बात (वायस मेल) कर सकते हैं।
कल्पना कीजिए कि आपको अपनी यात्रा के दौरान पीने के लिए पानी की पैक बोतल खरीदनी पड़ी है। इसकी गुणवत्ता के प्रति आश्वस्त होने के लिए आप कौन सा शब्द चिन्ह (लोगो) देखना चाहोगे?
हम अपनी यात्रा के दौरान पीने के लिए पानी की पैक बोतल खरीदनी पड़ती है। इसकी गुणवत्ता के प्रति आश्वस्त होने के लिए हम आई. एस. आई. शब्द चिन्ह (लोगो) देखना चाहते हैं।
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'भारत में 1991 से विदेश व्यापार और विदेशी निवेश पर से अवरोधों को काफी हद तक हटा दिया गया था।' इस कथन को न्यायसंगत ठहराइए।
विदेशी व्यापार और विदेशी निवेश पर से अवरोध को हटाया -
(i) विदेशी व्यापार और विदेशी निवेश पर से अवरोधों को अंशतः हटा दिया गया।
(ii) वस्तुओं का आयत और निर्यात सुगमता से किया जा सका।
(iii) वस्तुओं की गुणवत्ता में सुधार हो सका।
(iv) विदेशी कम्पनियाँ अपने यहाँ फैक्टरी और कार्यालय खोल सकीं।
(v) भारतीय उत्पादकों के लिए विश्व के उत्पादकों से प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिला।
वैश्वीकरण किसे कहते हैं? वैश्वीकरण की प्रिक्रिया को प्रोन्नत करने में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भूमिका का वर्णन कीजिए।
वैश्वीकरण और वैश्वीकरण की प्रक्रिया को प्रोन्नत करने में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भूमिका -
वैश्वीकरण विभिन्न देशों के बीच परस्पर सम्बन्ध और तीव्र एकीकरण की प्रक्रिया है।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भूमिका -
(i) मानव शक्ति का अधिकार प्रवाह
(ii) निवेश
(iii) प्रौद्योगिकी
(iv) वस्तुओं
(v) सेवाओं
(vi) अद्यतन शिक्षा
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