विज्ञान Chapter 6 जैव प्रक्रम
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    NCERT Solution For Class 10 विज्ञान विज्ञान

    जैव प्रक्रम Here is the CBSE विज्ञान Chapter 6 for Class 10 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 10 विज्ञान जैव प्रक्रम Chapter 6 NCERT Solutions for Class 10 विज्ञान जैव प्रक्रम Chapter 6 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 10 विज्ञान.

    Question 1
    CBSEHHISCH10015080

    हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवों में ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने में विसरण क्यों अपर्याप्त है?

    Solution

    बहुकोशी जीवों में उनकी केवल बहरी त्वचा की कोशिकाएँ और रंध्र ही आस-पास के वातावरण से सीधे संबंधित होते हैं। बहुकोशीय जिव जैसे मनुष्य में शरीर का आकार बहुत बड़ा होता है तथा शरीर की संरचना जटिल होती है। बहुकोशीय जीवों में सभी कोशिकाएँ सीधे ही पर्यावरण के संपर्क में नहीं होती। अत: साधारण विसरण सभी कोशिकाओं की ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने के लिए अपर्याप्त है।

    Question 2
    CBSEHHISCH10015081

    कोई वस्तु सजीव है, इसका निर्धारण करने के लिए हम किस मापदंड का उपयोग करेंगे?

    Solution

    सभी जीवित वस्तुएँ सजीव कहलाती हैं। वे रूप-रंग, आकार आदि में समान भी होते हैं तथा भिन्न भी। अत: कोई वस्तु सजीव है, इसके निर्धारण के लिए निम्नलिखित मापदंड हैं:
    (i) सजीवों की संरचना सुसंगठित होती है।
    (ii) उनमें कोशिकाएँ और ऊतक होते हैं।
    (iii) सजीवों में वृद्धि तथा विकास होता है।
    (iv) साँस लेना तथा श्वसन।
    (v) सजीवों की निश्चित रूप से मृत्यु होती है।
    (vi) पौधों की कोपल तथा हरे नए पत्तों की वृद्धि आदि।
    (vii) उनके शरीर में रासायनिक क्रियाओं की श्रृंखला चलती है। उनमें उपचय-अपचय अभिक्रियाएँ होती हैं।

    Question 3
    CBSEHHISCH10015082

    किसी जिव द्वारा किन कच्ची सामग्रियों का उपयोग किया जाता है?

    Solution

    बाहर से जीवों को कच्ची सामग्री की आवश्यकता निम्नलिखित उदेश्यों की पूर्ति के लिए होती है-
    (i) भोजन- ऊर्जा प्राप्ति के के लिए उचित पोषण।
    (ii) ऑक्सीजन- श्वसन के लिए पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन।
    (iii) जल- शरीर को भोजन को पचने और शारीरिक क्रियाओं को पूरा करने के लिए पानी की आवश्यकता होती है।
    (iv) टीन, एंजाइम, न्यूक्लिक अम्लों के संश्लेषण के लिए।
    (v) कोशिकाओं, ऊतकों के बनने व रख-रखाव के लिए।

    Question 4
    CBSEHHISCH10015083

    जीवन के अनुरक्षण के लिए आप किन प्रक्रमों को आवश्यक मानेंगे?

    Solution

    जीवन के अनुरक्षण के लिए जो प्रक्रम आवश्यक मने जाने चाहिए, वे हैं-
    (i) पोषण, (ii) श्वसन, (iii) परिवहन, (iv) उत्सर्जन, (v) वृद्धि तथा विकास, (vi) जनन, (vii) गति, (viii) अनुकूलन, (xi) उद्दीपन के प्रति अनुक्रिया।

    Question 5
    CBSEHHISCH10015084

    श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जिव की अपेक्षा स्थलीय जिव किस प्रकार लाभप्रद हैं?

    Solution

    जलीय जिव जल में घुली हुई ऑक्सीजन का श्वसन के लिए उपयोग करते हैं। जल में घुली ऑक्सीजन की मात्रा वायु में उपस्थित ऑक्सीजन की मात्रा की तुलना में बहुत कम है। इसलिए जलीय जीवों के श्वसन की दर स्थलीय जीवों की अपेक्षा अधिक तेज़ होती है मछलियाँ अपने मुहँ के द्वारा जल लेती हैं और बल-पूर्वक इसे क्लोम तक पहुँचती हैं। वहाँ जल में घुली हुई ऑक्सीजन को रुधिर प्राप्त कर लेता है।
    दूसरी ओर स्थलीय जिव ऑक्सीजन (O2) के लिए वायु पर निर्भर करते हैं। वायु में O2 की मात्रा 12% होती है। उन जीवों में साँस लेने के लिए फुफ्फुस (फेफड़े) होते हैं, जिनकी क्षमता क्लोम की अपेक्षा बहुत अधिक होती है। इसलिए स्थलीय जीवों को ऑक्सीजन की पर्याप्त मिलती रहती है।

    Question 6
    CBSEHHISCH10015085

    ग्लूकोज़ के ऑक्सीकरण से भिन्न जीवों में ऊर्जा प्राप्त करने के विभिन्न पथ क्या हैं?

    Solution

    ग्लूकोज़ के ऑक्सीकरण से ऊर्जा प्राप्त होती है और यह श्वसन प्रक्रिया के लिए प्रमुख कच्ची सामग्री के रूप में कार्य करता है। यह ऑक्सीजन की उपलब्ध मात्रा तथा जीव के प्रकार पर निर्भर करता है।
    (i) सभी जीवों में ग्लाइकोलिसिस होती है जसिमें ग्लूकोज़ पाइरुवेट में बदलता है, जो तीन कार्बन वाला यौगिक है। यह प्रक्रिया जीवद्रव में होती है।

    (ii) अवायवीय (अनॉक्सी) श्वसन जो ईस्ट में होता है पायरूवेट एथेनॉल तथा CO2 में परिवर्तित होता है तथा कुछ मात्रा में ऊर्जा भी उतसर्जित होती है।
    (iii) जब हम व्यायाम करते हैं या दौड़ लगाते हैं, तो माँसपेशियों में पायरूवेट लैक्टिक अम्ल में परिवर्तित होता है तथा कुछ ऊर्जा उतसर्जित होती है।
    (iv) जब पाइरुवेट का ऑक्सीकरण, ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा में होता है तो इससे CO2 तथा H2O बनता है तथा प्रचुर मात्रा में ऊर्जा उत्सर्जित होती है।
    ग्लूकोज़ का पूर्ण ऑक्सीकरण माइटोकॉन्ड्रिया में होता है।

    Question 7
    CBSEHHISCH10015086

    मनुष्यों में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन कैसे होता है?

    Solution

    जब हम श्वास अंदर लेते हैं तब हमारी पसलियाँ ऊपर उठती हैं और डायाफ्राम चपटा हो जाता है। इस कारण वक्षगुहिका बढ़ी हो जाती है और वायु फुफ्फुस के भीतर चली जाती है। वह विस्तृत कुपिकाओं को भर लेती है। रुधिर सारे शरीर से CO2 को कुपिकाओं में छोड़ने के लिए लाता है। कुपिका रुधिर वाहिका का रुधिर कुपिका वायु से ऑक्सीजन लेकर शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुँचाता है। श्वास चक्र के समय जब वायु अंदर और बाहर होती है तब फुफ्फस वायु का अवशिष्ट आयतन रखते हैं। इससे ऑक्सीजन के अवशोषण और कार्बन डाइऑक्साइड के मोचन के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है।

    Question 8
    CBSEHHISCH10015087

    गैसों के विनियम के लिए मानव-फुफ्फस में अधिकतम क्षेत्रफल को कैसे अभिकल्पित किया है?

    Solution

    श्वसन मार्ग, श्वास नली तथा श्वसनी वक्षगुहा में स्थित एक जोड़ी फुफ्फुस में जाती हैं। फुफ्फुस के अंदर श्वसनी श्वसनिकाओं में विभक्त होती हैं जो अंत में गुब्बारे की तरह की संरचनाओं, जिन्हें कुपिकाएँ कहते हैं, के रूप में समाप्त होती हैं। कुप्पुकाओं की भित्ति में रक्त वाहिकाओं का जाल होता है। कुपिकाओं की सतह पर गैसीय विनियम होता है। यदि कुपिकाओं की सतह को बिछाया जाए तो ये लगभग 80 m2 स्थान घेरती हैं। इस वृहत सतह के कारण गैसों का विनियम दक्षतापूर्वक हो जाता है।

    Question 9
    CBSEHHISCH10015088

    मानव में वहन तंत्र के घटक कौन-से हैं? इन घटकों के क्या कार्य हैं?

    Solution

    मानव में वहन तंत्र के घटक मिम्नलिखित हैं-
    (a) ह्दय, (b) रक्त, (c) रक्त वाहिकाएँ- (i) धमनियां, (ii) शिराएँ, (iii) रक्त कोशिकाएँ, (d) लसिका, लसिका वाहिकाएँ।
    वाहन तंत्र के घटकों के कार्य-
    (a) ह्दय- ह्दय रक्त को पंप करने वाला मुख्य अंग है। यह रक्त को शरीर के विभिन्न भागों तक पंप करता है।
    (b) रक्त- यह तरल संयोजी ऊतक है, जो विभिन्न पदार्थों को शरीर के विभिन्न भागों में वितरित करता है।
    (c) रक्त वाहिकाएँ- धमनियाँ ऑक्सीजन युक्त रक्त को शरीर के विभिन्न भागों में लेकर जाती हैं। शिराएँ रक्त को शरीर के विभिन्न भागों से इकट्ठा करके ह्दय तक लेकर आती हैं। रक्त कोशिकाएँ विभिन्न ऊतकों को रक्त वितरित करती हैं तथा उनसे रक्त को एकत्रित करती हैं।
    (d) लसिका- लसिका दूसरा तरल संयोजी ऊतक है जो अंतर् कोशिका स्थानों में भरा होता है और अनेक प्रकार के संक्रमण से शरीर को बचाता है।

    Question 10
    CBSEHHISCH10015089

    स्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सिजनित तथा विऑक्सिजनित रुधिर को अलग करना क्यों आवश्यक हैं?

    Solution

    स्तनधारी तथा पक्षियों में उच्च तापमान को बनाए रखने के लिए अपेक्षाकृत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ऑक्सिजनित और विऑक्सिजनित रुधिर को ह्दय के दाएँ और बाएँ भाग से आपस में मिलने से रोकना परम आवश्यक है। इस प्रकार का बंटवारा शरीर को उच्च दक्षतापूर्ण ऑक्सीजन की पूर्ति करता है।

    Question 11
    CBSEHHISCH10015090

    उच्च संगठित पादप में वाहन तंत्र के घटक क्या हैं?

    Solution

    उच्च संगठित पादप में (टैरिडोफाइट्स, जिम्नोस्पर्म, एन्जियोस्पर्म) अच्छी प्रकार से विकसित वहन ऊतक होते हैं। वहन ऊतक दो प्रकार के हैं-
    (a) जाइलम ऊतक (दारू)- यह एक जटिल ऊतक है जो जड़ों द्वारा अवशोषित जल तथा खनिज लवणों को पौधे के विभिन्न भागों तक पहुँचाता है।
    (b) फ्लोयम (पाषवाह)- यह एक वहन ऊतक है जो खाद्य पदार्थों (शर्करा), जो पत्तों द्वारा संश्लेषित होती है तथा हार्मोन जो तने की चोटी में संश्लेषित होते हैं, को पौधे के उन भागों में स्थानांतरित करता है जहाँ उनकी आवश्यकता होती है।

    Question 12
    CBSEHHISCH10015091

    पादप में भोजन का स्थानांतरण कैसे होता है?

    Solution

    पादपों की पत्तियाँ प्रकाश संश्लेषण क्रिया से अपना भोजन तैयार करती हैं और वह वहाँ से पादप के अन्य भागों में भेजा जाता है। प्रकाश संश्लेषण के विलेय उत्पादों का वहन स्थानांतरण कहलाता है। यह कार्य संवहन ऊतक के फ्लोएम नामक भाग के द्वारा किया जाता है। फ्लोएम एक कार्य के अतिरिक्त अमीनो अम्ल तथा अन्य पदार्थों का परिवहन भी करता है। ये पदार्थ विशेष रूप से जड़ के भंडारण अंगों, फलों, बीजों और वृद्धि वाले अंगों में ले जाए जाते हैं। भोजन तथा अन्य पदार्थों का स्थानांतरण संलग्न साथी कोशिका की सहायता से चालनी नलिका में ुप्रिमुखी तथा अधोमुखी दोनों दिशाओं में होता है।
    फ्लोएम से स्थानांतरण का कार्य जाइलम के विपरीत होता है। यह ऊर्जा के उपयोग से पूरा होता है। सुक्रोज़ जैसे पदार्थ फ्लोएम ऊतक में ए टी पी से प्राप्त ऊर्जा से ही स्थानांतरित होते हैं। यह दाब पदार्थों को फ्लोएम से उस ऊतक तक ले जाता है जहाँ दाब कम होता है। यह पादप की आवश्यकतानुसार पदार्थों का स्थानांतरण कराता है। वसंत ऋतु में यही जड़ और तने के ऊतकों में भंडारित शर्करा का स्थानांतरण कलिकाओं में कराता है जिसे वृद्धि के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

    Question 13
    CBSEHHISCH10015092

    वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रियाविधि का वर्णन कीजिए।

    Solution

    वृक्काणु वृक्क की संरचनात्मक तथा क्रियात्मक इसके है।
    (i) वृक्काणु की संरचना- प्रत्येक वृक्काणु में एक कप की आकृति की संरचना होती है, जिसे बोमन संपुट कहते हैं। यह रक्त कोशिकाओं के जाल को घेरे रखती है। इसे कोशिकागुच्छ कहते हैं। बोमन सपूत से एक नलिकाकार संरचना निकलती है जिसे कुंडलित नलिका कहते हैं। यह नलिका फिर एक की आकृति की संरचना बनती है जिसे हेनले का लूप कहते हैं, जो एक और कुंडलित संरचना बनाती है, जिसे (DCT) कहते हैं। यह वाहिनी में जाकर मिलती है।

    (ii) वृक्काणु का कार्य- वृक्क धमनी रक्त को बोमन संपुट के कोशिकागुच्छ में लेकर जाती है और रक्त को छाना जाता है। प्रारंभिक निस्यंद में कुछ पदार्थ; जैसे ग्लूकोज़, अमीनो अम्ल, लवण आयन, प्रचुर मात्रा में जल रह जाता है। उसमें कुछ सुक्रोज़/ग्लूकोज़ तथा कुछ यूरिया भी होता है। जैसे-जैसे निस्यंद कुंडलित नलिका और हैनले के लूप में से गुज़रता है, इसमें से कुछ उपयोगी पदार्थों को दोबारा अवशोषित कर लिया जाता है तथा अधिक पानी, यूरिया और दूसरे व्यर्थ मूत्राशय में सूत्र के रुओ में एकत्रित कर लिए जाते हैं।

    Question 14
    CBSEHHISCH10015093

    उत्सर्जी उत्पाद से छुटकाता पाने के लिए पादप किन विधियों का उपयोग करते हैं।

    Solution

    पादप उत्सृजन के लिए जंतुओं से बिलकुल भिन्न युक्तियाँ प्रयुक्त करते हैं।
    (i) दिन के समय पौधों की कोशिकाओं में श्वसन कारण उतपन्न CO2 एक व्यर्थ पदार्थ नहीं है, क्योंकि इसे प्रकाश संश्लेषण के लिए प्रयुक्त कर लिया जाता है। दिन के समय अत्यधिक मात्रा में O2 उत्पादित होती है, जो उसके स्वयं के लिए एक व्यर्थ पदार्थ होता है। उसे वायुमंडल में मुक्त कर दिया जाता है।
    (ii) रात के समय पौधों के लिए O2 एक व्यर्थ पदार्थ नहीं है, जबकि CO2 एक व्यर्थ पदार्थ है।
    (iii) यहाँ तक कि पौधे फालतू पानी को वाष्पोतसर्जन द्वारा वायु में छोड़ देते हैं।
    (iv) अनेक पादप व्यर्थ पदार्थ कोशिकाओं में रिक्तिकाओं में संचित हो जाते हैं। व्यर्थ पदार्थ पत्तों में भी एकत्रित हो जाते तो फिर गिर जाते हैं।
    (v) व्यर्थ पदार्थों गोंद तथा रेजिन के रूप में पुराने जाइलम ऊतक में एकत्रित हो जाते हैं।
    (vi) पौधे कुछ पदार्थों को व्यर्थ के रूप में आस-पास की मृदा में उत्सर्जित कर देते हैं।

    Question 15
    CBSEHHISCH10015094

    मूत्र बनने की मात्रा का नियमन किस प्रकार होता है?

    Solution

    (i) गर्मी के दिनों में शरीर की सतह से बहुत सारा पानी पसीने के रूप में त्वचा से उतसर्जित होता है। इससे मूत्र में पानी को कम करने की आवश्यकता होती है ताकि शरीर में पानी का संरक्षण हो सके।
    इसलिए, वृक्काणु के विभिन्न भाग; जैसे हैनले का लूप पानी को दोबारा से अवशोषित कर लेते हैं। इससे मूत्र की मात्रा कम हो जाती है।
    (ii) सर्दियों के दिनों में जब शरीर की सतह से पानी की हानि न्यूनतम हो जाती है, तब यदि हम अधिक पानी पिटे हैं तो रक्त का सही संगठन बनाए रखने के लिए इसके अधिक उत्सर्जन की आवश्यकता पड़ती है। रक्त से पानी को दोबारा अवशोषित नहीं किया जाता है, बल्कि इसे वृक्क से मूत्र के रूप में उत्सर्जित कर दिया जाता है। इससे मूत्र की मात्रा बढ़ जाती है।

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    Question 20
    CBSEHHISCH10015099

    हमारे शरीर में वसा का पाचन कैसे होता है? यह प्रक्रम कहाँ होता है?

    Solution

    उदर से प्राप्त अम्लीय और अधपची वसा का पाचन क्षुद्रांत्र में होता है। यह भाग यकृत से पित्त रस प्राप्त करता है। इसे अग्नाशयी रस से लाइपेज़ प्राप्त हो जाता है। अग्नाशयिक ऐंज़ाइमों की क्रिया के लिए पित्त रस इसे क्षारीय बनाता है। क्षुद्रांत्र में वसा बड़ी गोलिकाओं के रूप में होता है जिस कारण उस पर ऐंजाइम का कार्य कठिन हो जाता है। पित्त लवण उन्हें छोटी-छोटी गोलिकाओं में खंडित कर देता है जिससे ऐंजाइम की क्रियाशीलता बढ़ जाती है। अग्नाशय से प्राप्त होने वाले अग्नाशयिक रस में इमल्सीकृत वसा का पाचन करने के लिए लाइपेज़ ऐंजाइम होता है। क्षुद्रांत्र की भित्ति में ग्रंथि होती है जो आंत रस स्त्रावित करती है जो वसा अम्ल तथा ग्लिसरॉल में बदल देती है।

    Question 21
    CBSEHHISCH10015100

    भोजन के पाचन में लार की क्या भूमिका है?

    Solution

    लार, पानी की तरह का एक तरल पदार्थ है जो मुखगुहा में लार ग्रंथियों के द्वारा स्त्रावित किया जाता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट्स का पाचन करने वाला एन्जाइम एमिलेज (टाएलिन) होता है। टाएलिन पर अधिक क्रियाशील होता है। यह मंड (स्टार्च) पर क्रिया करता है तथा इसे शर्करा; जैसे माल्टोज, आइसोमाल्टोज तथा डैक्सट्रिन में परिवर्तित कर देता है।
    स ् ट ा र ् च space rightwards arrow from pH space 6.8 to एम ि ल े ज space divided by space Cl to the power of minus of space म ा ल ् ट ो ज space plus space आइस ो म ा ल ् ट ो ज space plus space ड ै क ् सट ् र ि न
    लार प्रोटीन, वसा के पाचन में कोई भूमिका नहीं निभाती।

    Question 22
    CBSEHHISCH10015101

    स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ कौन-सी है उसके उपोत्पाद क्या हैं?

    Solution

    स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ निम्नलिखित हैं:
    (i) क्लोरोफिल की उपस्थिति, (ii) कार्बन डाइऑक्साइड की उपस्थिति, (iii) जल की उपस्थिति, (iv) प्रकाश संश्लेषी ऐंजाइम की उपस्थिति, (v) सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति।
    प्रकाश संश्लेषण के उत्पाद:
    (i) ऑक्सीजन, (ii) रासायनिक ऊर्जा।

    Question 23
    CBSEHHISCH10015102

    वायवीय तथा अवायवीय श्वसन में क्या अंतर है? कुछ जीवों के नाम लिखिए जिनमें अवायवीय श्वसन होता है।

    Solution
    वायवीय श्वसन अवायवीय श्वसन
    (i) इसमें ग्लूकोज़ के ऑक्सीकरण के लिए O2 का प्रयोग होता है। (i) इसमें O2 प्रयुक्त नहीं होती।
    (ii) इसमें ग्लूकोज़ के एक अणु के ऑक्सीकरण से 38 एoटीoपीo अणु बनते हैं। (ii) इसमें ग्लूकोज़ के एक अणु के ऑक्सीकरण से केवल 2 एoटीoपीo बनते हैं।
    (iii) इसके केवल आरंभिक चरण कोशिकाद्रव्य में होते हैं, लेकिन अधिकर माइटोकॉन्ड्रिया में होते हैं। (iii) यह केवल कोशिकाद्रव्य में होता हैं।
    (iv) इसके अंतिम उत्पाद CO2, H2O तथा ऊर्जा हैं। (iv) इसके अंतिम उत्पाद CO2, एथेनॉल या लैक्टिक अम्ल हैं और थोड़ी-सी ऊर्जा भी उत्सर्जित होती हैयह केवल कोशिकाद्रव्य।
    अवायवीय श्वसन यीस्ट में, आर्कीबैक्ट्रिया तथा कुछ जीवाणुओं (Bacteria) में होता है।
    Question 24
    CBSEHHISCH10015103

    गैसों के अधिकतम विनियम के लिए कूपिकाएँ किस प्रकार अभिकल्पित हैं?

    Solution

    श्वसन तंत्र में फुफ्फुस के अंदर अनेक छोटी-छोटी नालियों का विभाजित रूप होता है हो अंत में गुब्बारों जैसी रचना में अंतकृत हो जाता है, जिसे कूपिका कहते हैं। यह एक सतह उपलब्ध करती हैं जिस से गैसों का विनियम हो सके। यदि कूपिकाओं की सतह को फैला दिया जाए तो यह लगभग 80 वर्ग मीटर क्षेत्र को ढांप सकता है। कूपिकाओं की भित्ति में रुधिर वाहिकाओं का बहुत विस्तृत जाल होता है। जब हम साँस अंदर लेते हैं तो पसलियाँ ऊपर उठ जाती हैं और हमारा डायफ्राम चपटा हो जाता है जिससे वक्षगुहिका बड़ी हो जाती है। इस कारण वायु फिफ्फुस के भीतर चूस ली जाती है। रक्त शरीर से लाई गई CO2 कूपिकाओं को दे देता है। कूपिका रक्त वाहिका का रक्त कूपिका वायु से ऑक्सीजन लेकर शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुँचा देती हैं।

    Question 25
    CBSEHHISCH10015104

    हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के क्या परिणाम हो सकते हैं?

    Solution

    शरीर / रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी को अरक्तता कहा जाता है जिसके निम्नलिखित लक्षण हैं:
    (i) क्योंकि हीमोग्लोबिन शरीर के विभिन्न भागों में O2 का स्थानांतरण करता है जिससे भोजन का ऑक्सीकरण हो सके। इसलिए यदि हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है तो कोशिकाओं और ऊतकों तक पर्याप्त मात्रा में O2 नहीं पहुँच पाती और शरीर में उत्सर्जित ऊर्जा की मात्रा भी अपर्याप्त रहती है।
    (ii) ऐसी स्थिति में व्यक्ति हर समय थका हुआ अनुभव करता है और ज्यादा कार्य नहीं कर पाता
    (iii) उसकी त्वचा व आँखों का रंग पीला पद जाता है।

    Question 26
    CBSEHHISCH10015105

    मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या कीजिए। यह क्यों आवश्यक है?

    Solution

    दोहरा परिसंचरण- विऑक्सिजनित रक्त शरीर के विभिन्न भागों से महाशिराओं द्वारा दाएँ अलिंद में इकट्ठा किया जाता है। जब दायाँ अलिंद सिकुड़ता है तो यह दाएँ निलय में चला जाता है। जब दायाँ निलय सिकुड़ता है तो यह विऑक्सिजनित रक्त फुफ्फुस धमनी के माध्यम से फुस्फुस (फेफड़ों) में चला जाता है, जहाँ पर गैसों का विनिमय होता है। यह रक्त ऑक्सिजनित होकर फुफ्फुस शिराओं के द्वारा वापिस ह्दय में बाएँ अलिंद में आ जाता है। जब बायाँ अलिंद सिकुड़ता है तो यह ऑक्सिजनित रक्त बाएँ निलय में आता है। जब बायाँ निलय सिकुड़ता है तो यह रक्त शरीर के विभिन्न भागों में महाधमनी के माध्यम से वितरित किया जाता है।

    अत: वही रक्त ह्दय चक्र में ह्दय में से दो बार गुज़रता है, एक बार ऑक्सिजनित तथा दूसरी बार विऑक्सिजनित रक्त के रूप में। इसी को दोहरा परिसंचरण कहते हैं।
    महत्व- हमारा ह्दय चार कोष्ठकों से मिलकर बना है इसके ही कारण से हमारे शरीर के सभी भागों को ऑक्सिजनित रक्त वितरित किया जाता है। इसके कारण से ही कोशिकाओं व ऊतकों में ऑक्सीजन का वितरण सही आवश्यकता अनुसार बना रहता है।

    Question 27
    CBSEHHISCH10015106

    जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वाहन का अंतर है?

    Solution

    जाइलम- जाइलम निर्जीव ऊतक हैं। ये जड़ों से जल और घुले हुए लवणों को पत्तियों में पहुँचाते हैं। ये ऊपर की और गति कराते हैं।
    फ्लोएम- फ्लोएम सजीव ऊतक हैं। ये पत्तियों में तैयार शर्करा को पौधे के सभी भागों तक पहुँचाते हैं। यर नीचे की तरफ गति कराते हैं।

    Question 28
    CBSEHHISCH10015107

    फुफ्फुस में कूपिकाओं की तथा वृक्क में वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रिया विधि की तुलना कीजिए।

    Solution
    फुफ्फुस में कुपिकाएँ वृक्क में वृक्काणु
    1. मानव शरीर में विद्यमान दोनों फेफड़ों में बहुत अधिक संख्या में कुपिकाएँ होती हैं। 1. मानव शरीर में वृक्क संख्या में दो होते हैं। प्रत्येक वृक्क में लगभग 10 लाख वृक्काणु होते हैं।
    2. प्रत्येक कूपिका प्याले के आकार जैसी होती है। 2. पत्येक वृक्काणु महीन धागे की आकृति जैसा होता है।
    3. कूपिका दोहरी दीवार से निर्मित होती है। 3. वृक्काणु के एक सिरे पर प्याले के आकार की मैल्पीघीयन सम्पुट विद्यमान होती है।
    4. कूपिका की दोनों दीवारों के बीच रुधिर कोशिकाओं का सघन जान बिछा रहता है। 4. बोमैन सम्पुट में रुधिर कोशिकाओं का गुच्छ उपस्थित होता है जिसे कोशिका गुच्छ कहते हैं।
    5. कुपिकाएँ वायु भरने पर फैल जाती हैं। 5. वृक्काणु में ऐसी क्रिया नहीं होती।
    6. यहाँ रुधिर की लाल रुधिर कणिकाओं में हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन प्राप्त क्र लेती है तथा प्लाज्मा में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड कूपिका में चली जाती है। 6. कोशिका गुच्छ में रुधिर में उपस्थित वर्ज्य पदार्थ छन जाते हैं।
    7. कूपिकाओं में गैसीय आदान-प्रदान के बाद फेफड़े के संकुचन से कूपिकाओं में भरी वायु शरीर के बाहर निकल जाती है। 7. मूत्र निवाहिका से सूत्र बहकर मूत्राशय में इकट्ठा हो जाता है और वहाँ से मूत्रमार्ग द्वारा शरीर के बाहर निकाल दिया जाता है।
    Question 29
    CBSEHHISCH10015399

    स्वयंपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में क्या अंतर हैं?

    Solution
    स्वयंपोषी पोषण विषमपोषी पोषण

    वे जीव जो प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा सरल अकार्बनिक से जटिल कार्बनिक पदार्थों का निर्माण करके अपना स्वयं पोषण करते हैं, स्वयंपोषी जीव कहलाते हैं।
    उदाहरण- सभी हरे पौधे, युग्लीना।

    वे जीव जो कार्बनिक पदार्थ और ऊर्जा को अपने भोज्य पदार्थ के रूप में अन्य जीवित या मृत पौधों या जंतुओं से ग्रहण करते हैं, विषमपोषी जीव कहलाते हैं।
    उदाहरण- युग्लीना को छोड़कर सभी जंतु। अमरबेल, जीवाणु, कवक आदि।

    Question 30
    CBSEHHISCH10015400

    प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री पौधा कहाँ से प्राप्त करता है?

    Solution

    पौधों को प्रकाश संश्लेषण के लिए जल, खनिज लवण, कार्बन डाइऑक्साइड तथा ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
    (i) वे खनिज लवण तथा जल मृदा से प्राप्त करते हैं।
    (ii) वे वायु से CO2 प्राप्त करते हैं।
    (iii) वे ऊर्जा सूर्य से विकिरणों के रूप में ग्रह करते हैं।

    Question 31
    CBSEHHISCH10015401

    हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका क्या है?

    Solution

    आमाशयिक रस जो आमाशय की कोशिकाओं से स्त्रावित होता है, में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल होता है जिसका pH मान लगभग होता है। यह निम्नलिखित कार्य करता है:
    (i) यह अक्रियशील ऐंज़ाइमों को अम्लीय माध्यम प्रदान करता है जिससे वे क्रियाशील अवस्था में आ जाते हैं।
    (ii) यह भोजन में विद्यमान सूक्ष्मजीवों को मार देता है।
    (iii) यह भोजन को नरम कर देता है।

    Question 32
    CBSEHHISCH10015402

    पाचक ऐंजाइमों का क्या कार्य है?

    Solution

    ऐंजाइम वे जैव उत्प्रेरक होते हैं जो जटिल पदार्थों को सरल पदार्थों में खंडित करने में सहायता प्रदान करते हैं। ये पाचन क्रिया में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा के पाचन में सहायता बनते हैं। उदर में लाइपेज नामक ऐंजाइम वसा को वसीय अम्ल और ग्लिसरॉल में बदलता है। रेनिन नामक ऐंजाइम क्रिया कर पेप्सिन की सहायता करता है और इसमें दूध-प्रोटीन पर पेप्सिन की क्रिया अवधि बढ़ जाती है। पित्त रस भोजन के माध्यम को क्षारीय बनाकर वसा को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देता है और उनका इमल्सीकरण करता है। अग्न्याशय रस इमल्शन बने वसीय को वसा अम्ल और ग्लिसरॉल में बदल देता है। एमाइलेज भोजन के कार्बोहाइड्रेट को माल्टोज़ में बदल देता है। छोटी आंत की आंतरिक दीवारों से पैप्टिडेन, आंत्र लाइपेज, सुक्रेज, माल्टोज़ और लेक्टोज़ निकलकर भोजन को पचने में सहायक बनते हैं। ये एंजाइम प्रोटीन को अमीनों अम्ल, जटिल कार्बोहाइड्रेट को ग्लूकोज़ में तथा वसा को वसा अम्ल तथा ग्लिसरॉल में बदल देते है।

    Question 33
    CBSEHHISCH10015403

    पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए क्षुद्रांत्र को कैसे अभिकल्पित किया गया है?

    Solution

    क्षुद्रांत्र पाचित भोजन को अवशोषित करने का मुख स्थान है। क्षुद्रांत्र की आंतरिक भित्ति/अस्तर अंगुली जैसी संरचनाओं/प्रवर्ध में विकसित होते हैं जिन्हें दीर्घ रोम कहते हैं। ये अवशोषण का सतही क्षेत्रफल बढ़ा देते हैं। दीर्घ रोम में रुधिर वाहिकाओं की बहुतायत होती है, जो भोजन को अवशोषित करके शरीर की प्रत्येक कोशिका तक पहुँचाते हैं।

    Question 34
    CBSEHHISCH10015404

    पादप में जल और खनिज लवण का वहन कैसे होता है?

    Solution

    पादप में जल और खनिज लवण का वाहन जाइलम ऊतक द्वारा होता है। जड़, तना तथा पत्तों में उपस्थित वाहिनिकाएँ तथा वाहिकाएँ आपस में जुड़कर जल संवहन वाहिकाओं का एक जाल बनाती हैं जो पादप के सभी भागों से जुड़ा होता है। जड़ों की कोशिकाएँ मृदा के संपर्क में होती हैं तथा वे सक्रिय रूप से जल तथा खनिजों को (आयन के रूप में) प्राप्त करती हैं। यह जड़ और मृदा के मध्य आयन सांद्रण में एक अंतर उतपन्न करता है। इस अंतर को समाप्त करने के लिए मृदा से जल जड़ में प्रवेश कर जाता है। यह जल के स्तंभ का निर्माण करता है जो लगातार ऊपर की ओर धकेला जाता है।

    Question 36
    CBSEHHISCH10015447

    वनों को 'जैव विविधता का विशिष्ट स्थल' क्यों माना जाता हैं? ऐसे दो उपायों की सूची बनाइए जिसमे कोई व्यक्ति वन एवं वन्यजीवन के प्रबन्धन में प्रभावी योगदान कर सकता है।

    Solution

    वनों को 'जैव विविधता का गर्म स्थान (हॉट स्पॉट्स)' माना जाता है क्योंकि उनकी प्रजातियों में बहुत उच्च स्तर की समृद्धि होती है और एक उच्च स्तर की स्थानिकता है।
    एक व्यक्ति प्रभावी रूप से वनों और वन्य जीवों के प्रबंधन में योगदान कर सकता है:
    i) ऐसे कुछ उत्पादों का उपयोग करना जो सीधे जंगलों और वन्यजीवों जैसे लकड़ी, पशु त्वचा आदि से प्राप्त होते हैं।
    ii) औद्योगिक उद्देश्य के लिए वनों को नहीं काटना चाहिए।

    Question 38
    CBSEHHISCH10015482
    Question 39
    CBSEHHISCH10015489

    निम्नलिखित अन्त स्रावी ग्रंथियों द्वारा स्रावित हॉर्मोनों का नाम तथा प्रत्येक का एक प्रकार्य लिखिए ।

    (a) अवटु ग्रंथि
    (b)पीयूष संधि
    (c) अग्न्याशय

    Solution

    दिए गए अंतःस्रावी ग्रंथियों द्वारा स्रावित हार्मोन निम्नलिखित हैं:

    (a) थायराइड ग्रंथि थायरॉक्सिन हार्मोन को स्रावित करता है : कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वरना के उपापचय को नियमित / उपापचय को नियत्रित करके हमारे शरीर की वृद्धि का सतुलन करता है।

    (b) पिट्यूटरी ग्रंथि विकास हार्मोन को स्रावित करता है : यह शरीर के वृद्धि और विकास को नियंत्रित करता है।

    (c) अग्न्याशय ग्रंथि इंसुलिन हार्मोन को स्रावित करता है : यह शरीर में रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रित करता है।

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    Question 40
    CBSEHHISCH10015504

    शरीर में ऑक्सीजन-प्रचुर रुधिर के गमन का पथ लिखिए।

    Solution

    फुफ्फुस    हृदय में बाए स्थित कोष्ठ  महाधमनी शरीर के भाग  

    Question 41
    CBSEHHISCH10015505

    आलिन्द और निलय के बीच वाल्वों का कार्य लिखिए।

    Solution

    दिल में वाल्व रक्त के बैकफ्लो को रोकने के लिए होते हैं।

    Question 42
    CBSEHHISCH10015506

    धमनी और शिरा के संघटनों के बीच कोई एक संरचनात्मक अन्तर लिखिए।

    Solution

    (i)धमनी की भित्ति मोटी एव लचीली होती है जबकि शिराए पतली भित्ति की होती है।
    (ii) शिराओ मे वाल्व होते है, धमनियो मे वाल्व नही होते।

    Question 43
    CBSEHHISCH10015507

    उत्सर्जन की परिभाषा लिखिए ।

    Solution

    शरीर से उपापचय क्रियाओं में जनित नाइट्रोजन युक्त हानिकर पदार्थो (जैसे यूरिया और यूरिक एसिड) को निकालने की जैविक प्रक्रिया को उत्सर्जन कहा जाता है।

    Question 46
    CBSEHHISCH10015510

    मानव मादा जनन तंत्र के नीचे दिए गए प्रत्येक भाग का कार्य लिखिए :
    (i)अण्डाशय, (ii) अंडवाहिनी, (iii) गर्भाशय

    Solution

    (i)अण्डाशय: अंडाशय में शरीर में दो मुख्य प्रजनन कार्य होते हैं। वे निषेचन के लिए अंडे का उत्पादन करते हैं और वे प्रजनन हार्मोन, एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन करते हैं।

    (ii) अंडवाहिनी:अंडवाहिनी फलोपियन ट्यूब के रूप में जाना जाता है, अंडाशय से गर्भाशय तक अण्डाणु को सेगर्भाशय तक वहन और उर्वरक के लिए आवश्यक वातावरण प्रदान करना और अंडे या ज़ीगोट के प्रारंभिक विकास के लिए।

    (iii) गर्भाशय: गर्भाशय: गर्भाशय में अंडाशय को पोषित करने में मदद करता है।

    Question 47
    CBSEHHISCH10015511

    प्लेसेंटा की संरचना और कार्य का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

    Solution

    प्लेसेंटा मां से भ्रूण तक जाने के लिए ग्लूकोज और ऑक्सीजन के लिए एक बड़ा सतह क्षेत्र प्रदान करता है। भ्रूण द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट पदार्थों को प्लेसेंटा के माध्यम से उन्हें मां के खून में स्थानांतरित करके हटा दिया जाता है।

    Question 48
    CBSEHHISCH10015520

    किसी पत्ती के छिलके मे रंध्रों का प्रेक्षण करने के लिए अस्थायी आरोपण तैयार करने की प्रिक्रिया के चरणों की सूची बनाइए।

    Solution

    चार चरण इस प्रकार है-
    (i) झिल्ली को पत्ती सेहटाना (निकालना)
    (ii) सैफ्रेनिन द्वारा वर्णित करना ।
    (iii) वर्णित झिल्ली को स्वच्छ स्लाइड पर रखना
    (iv) ग्लिसरीन द्वारा झिल्ली को आरोपित करना और कवर स्लिप लगाना

    Question 49
    CBSEHHISCH10015521

    अमीबा के जनन की प्रक्रिया का नाम लिखिए। इसके जनन की प्रक्रिया के विभिन्न चरणों को उचित क्रम में चित्रित कीजिए।

    Solution

    अमीबा द्विखण्डन द्वारा पुनरुत्पादित करता है। अमीबा किसी भी विमान में दो बेटी कोशिकाओं में विभाजित होता है।

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