शारीरिक शिक्षा Chapter 10 मनोविज्ञान एवं खेल
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    NCERT Solution For Class 11 शारीरिक शिक्षा शारीरिक शिक्षा

    मनोविज्ञान एवं खेल Here is the CBSE शारीरिक शिक्षा Chapter 10 for Class 11 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 11 शारीरिक शिक्षा मनोविज्ञान एवं खेल Chapter 10 NCERT Solutions for Class 11 शारीरिक शिक्षा मनोविज्ञान एवं खेल Chapter 10 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 11 शारीरिक शिक्षा.

    Question 1
    CBSEHHIPEH11016088

    मनोविज्ञान को परिभाषित कीजिए।

    Solution

    पिल्सबरी के अनुसार ''मनो-विज्ञान मानवीय व्यवहार का विज्ञान है।''

    Question 2
    CBSEHHIPEH11016089

    खेल मनोविज्ञान की अवधारणा से आप क्या समझते हैं?

    Solution

    खेल मनोविज्ञान मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों का, कौशलों के सभी स्तरों पर खेलों तथा क्रियाओं पर लागू होने का अध्ययन है।

    Question 3
    CBSEHHIPEH11016090

    वृद्धि एवं विकास शब्द को परिभाषित कीजिए।

    Solution

    शारीरिक शिक्षा में 'वृद्धि' का अर्थ शारीरिक अंगों की वृद्धि से है वह चाहे आकार, वजन या लंबाई में हो। एक बच्चा जन्म से लेकर 25 वर्ष की अवस्था तक वृद्धि कर सकता है और उसके पश्चात् वृद्धि धीमी पड़ जाती है। दूसरी ओर विकास का अर्थ केवल पढ़ना ही नहीं, बल्कि वे व्यवस्थित तथा समानुपात परिवर्तन है, जो परिपक्वता की प्राप्ति में सहायक होता है।

    Question 4
    CBSEHHIPEH11016091

    किशोरावस्था से आप क्या समझते है?

    Solution

    किशोरावस्था जटिल परिवर्तनों की अवस्था है जो बाल्यावस्था से शुरू-होकर युवावस्था के पूर्व तक पहुँचती है।

    Question 5
    CBSEHHIPEH11016092

    बाल्यावस्था में कौन-कौन सी शारीरिक गतिविधियाँ की जा सकती है?

    Solution

    इस अवस्था में ज़्यादा मेहनत वाली शारीरिक क्रियाएँ नहीं करनी चाहिए क्योंकि इस दौरान शारीरिक क्षमताओं में वृद्धि धीमी दर से हो रही होती है। खेलों के मूल कौशल जो आसान हों उन्हें बच्चों को सिखाया जा सकता है।

    Question 6
    CBSEHHIPEH11016093

    किशोरावस्था के दौरान कौन-कौन सी शारीरिक क्रियाओं को शामिल किया जा सकता है ?

    Solution

    इस अवस्था में टीम खेलों, एकल खेलों दौड़ -भाग या एथलेटिक्स जिमनास्टिक, तैराकी व नृत्य आदि शारीरिक क्रियाओं को शामिल किया जा सकता है।

    Question 7
    CBSEHHIPEH11016094

    सीखना या अधिगम से आप क्या समझते हैं?

    Solution

    सीखना वास्तव में एक विस्तृत व्याख्या है। सीखने की प्रक्रिया जन्म से ही शुरू हो जाती हैं और जीवन भर निरंतर चलती रहती हैं। सीखने से आशय 'सीखना व्यवहार के परिणामस्वरूप व्यवहार में आनेवाला परिवर्तन' है।

    Question 8
    CBSEHHIPEH11016095

    सीखने के दो सिद्धान्तों या नियमों का उल्लेख करो।

    Solution

    थार्नडाइक नामक मनो- वैज्ञानिक ने सीखने के दो नियमों की चर्चा की है जो निम्नलिखित हैं:

    1. सीखने के प्राथमिक नियम
    2. सीखने के गौण नियम

    Question 9
    CBSEHHIPEH11016096

    प्रशिक्षण के स्थानांतरण को परिभाषित कीजिए।

    Solution

    एम. एल. बिग के अनुसार 'अधिगम का स्थानांतरण तब घटित होता है जब एक स्थिति में व्यक्ति का अधिगम दूसरी स्थितियों में उसके अधिगम और प्रदर्शन को प्रभावित करता है। ''

    Question 10
    CBSEHHIPEH11016097

    अधिगम का सकारात्मक स्थानांतरण क्या है?

    Solution

    सकारात्मक स्थानांतरण: जब एक क्षेत्र या परिस्थितियों में प्राप्त किया हुआ ज्ञान या कौशल दूसरी परिस्थिति में ज्ञान या कौशल अर्जित ज्ञान से संबंधित प्रदर्शन में सुधार होता है।

    Question 11
    CBSEHHIPEH11016098

    सीखने के नकारात्मक स्थानांतरण का अर्थ बताओं ?

    Solution

    सीखने के नकारात्मक स्थानांतरण: जब एक क्षेत्र या परिस्थिति में प्राप्त किया हुआ ज्ञान या कौशल दूसरी परिस्थिति में कौशलों को सीखने में सहायक की बजाय बाधक हो।

    Question 12
    CBSEHHIPEH11016099

    शैशयावस्था पर टिप्पणी करो।

    Solution

    बच्चे के जन्म से लेकर 5 वर्ष की आयु तक की अवस्था शैशयावस्था कहलाती है। इस अवस्था में स्मरण शक्ति में काफी वृद्धि हो जाती है, उसकी जिज्ञासा की प्रवृति में बढ़ोत्तरी हो जाती है। इस अवस्था में शिशु गामक कौशल से संबंधित क्रियाओं जैसे दौड़ना, कूदना, पकड़ना, फेंकना इत्यादि को सीखते है।

    Question 13
    CBSEHHIPEH11016100

    किशोरावस्था की समस्याओं का उल्लेख करो?

    Solution
    1. शारीरिक समस्याएँ
    2. स्थिरता और सामंजस्य की समस्याएँ
    3. आक्रामक व्यवहार की समस्याएँ
    4. दूसरे लिंग के प्रति आकर्षण की समस्या
    5. स्वालंबन की समस्याएँ
    Question 14
    CBSEHHIPEH11016101

    खेल मनोविज्ञान के महत्व को स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    प्रदर्शन में सुधार: खेल मनोविज्ञान एथलीटों या खिलाड़ियों को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए आत्मविश्वास में सुधार करने में सहायता करता है। खेल मनोविज्ञान का ज्ञान खिलाड़ियों वैज्ञानिक तरीकें से उनकें व्यवहार में परिवर्तन कर उनके प्रदर्शन और व्यक्तित्व में सुधार करता है।

    प्रेरणा और प्रतिक्रिया: उचित प्रेरणा और प्रतिक्रिया खिलाड़ियों कें प्रदर्शन को बढ़ाती है, यह खिलाड़ियों को परामर्श देती है कि वह प्रदर्शन में सुधार किस प्रकार ला सकते है। यह खेल मनोविज्ञान द्वारा निर्देशित किया जाता है।

    अच्छे खिलाड़ियों के चुनाव में सहायक: खेल मनोविइाान प्रशिक्षकों को अच्छे खिलाड़ियों के चुनाव में मदद करता है। इस ज्ञान के द्वारा उन्हें खिलाड़ियों के व्यवहार को समझाने में मदद मिलती है, इसके साथ वह उन्हें अच्छे तरीके से प्रशिक्षित कर सकते है।

    Question 15
    CBSEHHIPEH11016102

    'अभ्यास के नियम' का संक्षेप में वर्णन करो।

    Solution

    अभ्यास का नियम: यह नियम इस बात पर बल देता है कि सही अभ्यास ही एक व्यक्ति को पूर्ण बनाता है। एक व्यक्ति एक ही कौशल का बार-बार अभ्यास करने से कौशल में प्रवीन हो जाता है। यह नियम उपयोग एवं अनुपयोग के नियम जैसा है। इसमें अभ्यास तथा दोहराव के नियम समाहित है। हम सीखते हैं और उपयोग के द्वारा संजोते हैं तथा अनुप्रयोग के द्वारा भूल जाते हैं।

    Question 16
    CBSEHHIPEH11016103

    सीखने के गौण नियमों की सूची बनाइए और एक नियम की व्याख्या कीजिए।

    Solution

    सीखने के गौण नियम:

    1. निकटता का नियम
    2. समीकरण का नियम
    3. संबंध का नियम
    4. अभिवृति का नियम
    5. प्राथमिकता का नियम

    संबंध का नियम: हम जानते है कि उत्तेजना (Stimulus) और प्रतिक्रिया का आपसी संबंध प्राकृतिक हो तो सीखना अधिक प्रभावशाली होता है। उदाहरण के तौर पर दौड़ना कूदना और फेंकना आदि प्राकृतिक क्रियाएं है, इसलिए इनको सीखना आसान होता है। इसके अतिरिक्त इन क्रियाओं को जल्दी सीखा जा सकता है। जो क्रियाएँ अप्राकृतिक होती हैं उनको सीखना मुश्किल होता है जैसे हाथों और पैरों का अनुचित प्रयोग करते हुए पीछे की तरफ दौड़ना मुश्किल होता है।

    Question 17
    CBSEHHIPEH11016104

    किशोरावस्था की किन्हीं दो विकासात्मक विशेषताओं का वर्णन करो?

    Solution

    (क) शारीरिक विशेषताएँ:

    1. इस अवस्था में ऊँचाई, वजन और हड्डियों में वृद्धि लगभग पूरी हो जाती है।
    2. धैर्य काफी हद तक विकसित हो जाता है।
    3. मांसपेशियों में समन्वय चरम सीमा पर पहुँच जाता है।
    4. लड़कियों में मासिक धर्म तथा लड़कों में स्वप्न दोष शुरू हो जाता है।

    (ख) मानसिक विशेषताएँ:

    1. किशोरों में शारीरिक तथा मानसिक वृद्धि साथ-साथ होती है।
    2. इस अवस्था में, आलोचना करने की योग्यता, निर्णय लेने की योग्यता, नए-नए विचारों और आदर्शों को ढूँढने की योग्यता का विकास होता है।
    3. इस अवस्था में मानसिक तनाव, कुंठा तथा चिन्ता बढ़ने लगती है। उनकी उच्च आकांक्षाएं होती है।
    4.  कभी-कभी उनका व्यवहार आक्रामक हो जाता है।

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    Question 18
    CBSEHHIPEH11016105

    वृद्धि और विकास में क्या अंतर है?

    Solution

     

    वृद्धि विकास
    1. वृद्धि परिणात्मक है। 1. विकास परिणात्मक के साथ-साथ गुणात्मक भी है।
    2. वृद्धि के अंतर्गत शरीर के अंग, जैसे मस्तिष्क, वजन, लम्बाई, आकार, आकृति आते हैं। 2. विकास में शारीरिक परिवर्तनो के साथ-साथ सामाजिक तथा भावनात्मक परिवर्तन समाहित है।
    3. वृद्धि को देखा और महसूस किया जा सकता हैं। 3. विकास केवल परिपक्व व्यवहार के द्वारा मापा जा सकता है और वह अदृश्य है।
    4. वृद्धि के साथ-साथ यह आवश्यक नहीं कि विकास भी हो। 4. विकास बिना वृद्धि के भी संभव है।
    Question 19
    CBSEHHIPEH11016106

    बाल्यावस्था की किन्हीं दो विकासात्मक विशेषताओं का वर्णन करो?

    Solution

    शारीरिक विकास:

    1. इस अवस्था में एक बच्चे की वृद्धि धीमी, स्थिर और एक समान रहती है।
    2. बच्चा अपने आत्म-सम्मान के प्रति सचेत हो जाता हैं।
    3. दुध के दाँत गिरने शुरू हो जाते हैं और स्थायी दाँत आने शुरू हो जाते हैं।
    4. इस अवधि के दौरान लड़कों की अपेक्षा लड़कियों में वृद्धि अधिक होती हैं।

    बौद्धिक विकास:

    1. इस अवधि के दौरान बच्चे नए अनुभव प्राप्त करते हैं और उन्हें व्यवहार में लाते हैं।
    2. उनके मानसिक ज्ञान में बढ़ोतरी होती है।
    3. इस अवस्था में, उनकी गामक कौशलों को सीखने की योग्यता बहुत अच्छी हो जाती है।
    4. वे समान आयु के लड़के व लड़कियों के साथ खेलते हैं।

    Question 20
    CBSEHHIPEH11016107

    प्लैट्यू या स्थिरांक को काबू करने के तरीकों की चर्चा कीजिए।

    Solution
    1. रूचि विकसित करना: स्थिरांक को काबू करने के लिए प्रशिक्षण में रूचि एवं मनोरंजन को विकसित करना। यह गतिविधि प्रदर्शन के लिए आनन्द एवं खुशी प्रदान करती है।
    2. प्रतियोगिताओं में कमी: प्लैट्यू को रोकने के लिए ज्यादा प्रतिस्पर्धा करने से परहेज किया जाना चाहिए एवं बराबर स्तर के विरोधियों के साथ प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाना चाहिए।
    3. समुचित आराम एवं आरोग्य प्राप्ति: स्थिरांक पर काबू पाने के लिए समुचित आराम जरूरी है। इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि वह बहुत लंबा नहीं होना चाहिए।
    Question 21
    CBSEHHIPEH11016108

    भावनाओं की अवधारणाओं की व्याख्या कीजिए।

    Solution

    भावनाएं आतंरिक या बाहरी घटनाओं की प्रतिक्रिया करने की योग्यता है। यह जीव के लिए विशेष महत्व रखती है। यह प्रतिक्रियाएं मौखिक, शारीरिक, व्यवहारिक और प्राकृतिक तंत्र से जुड़ी हो सकती हैं। भावनाएं सकारात्मक या नकारात्मक हो सकती हैं जैसे खुशी बनाम उदासी, क्रोध बनाम डर, विश्वास बनाम अंधविश्वास, आश्चर्य बनाम अपेक्षा।

    Question 23
    CBSEHHIPEH11016110

    किशोरवस्था की समस्याओं का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।

    Solution

    किशोरावस्था की समस्याओं का वर्णन निम्न प्रकार से है:

    1. आक्रामक व्यवहार की समस्या: इस अवस्था में किशोर आक्रमक व्यवहार करना शुरू कर देते हैं। वे सभी बातों में आक्रामक व्यवहार करते है। वे जल्दी ही चिड़चिड़े हो जाते हैं। जब कोई कार्य करने के लिए कहा जाए तो वे उस कार्य को करने से इनकार कर देते हैं। इसके साथ-साथ नायक बनने की भी कोशिश करते हैं।
    2. सामंजस्य और स्थिरता में कमी: किशोरों में स्थिरता की कमी होती है, जिसके फलस्वरूप उनमें सामंजस्य करने की शक्ति नहीं होती। उनका व्यवहार स्थिर नहीं होता। वे जीवन में आने वाली समस्याओं से समझौता करना नहीं चाहते। कई बार ऐसी स्थिति आ जाती है कि वे अपने परिवार में भी सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाते। वे घर में एक स्वतंत्र वातावरण चाहते है।
    3. महत्व की अनुभूति: किशोर स्वयं को महत्वपूर्ण समझने लगता है। वह सोचता है उसे भी सम्मान मिलना चाहिए। लेकिन उसके माता-पिता उसे गंभीरता से नहीं लेते। वह किशोर की भावनाओं को समझने में विफल रहते हैं। यही कारण है यह खुद को महत्वहीन समझने लगता है।
    4. कैरियर के चयन की समस्या: किशोर के कैरियर का चयन माता-पिता के द्वारा किया जाता है, क्योंकि उन्हें लगता है कि किशोर अपने कैरियर के बारे में परिपक्व नहीं। वह अपने फैसलों का चुनाव स्वयं करना चाहता है और उसके व्यवहार में बड़ा परिवर्तन आता है।
    5. शारीरिक समस्याएँ: लड़की और लड़कियों को उनमें बाहरी और आंतरिक परिवर्तन के कारण कई बार अनावश्यक चिंता हो सकती है।

    Question 24
    CBSEHHIPEH11016111

    अधिगम के स्थानांतरण को प्रभावित करने वाले कारको की चर्चा कीजिए।

    Solution
    1. सीखने वाले की इच्छा: यदि सीखने वाले की इच्छा-शक्ति मजबूत है तो वह अपने अधिगम या प्रशिक्षण को नई परिस्थितियों में स्थानांतरण करने में अधिक सक्षम होता है।
    2. सीखने वाले की बुद्धि: अधिगम के स्थानांतरण में सीखने वाले की बुद्धि एक बहुत महत्वपूर्ण भुमिका अदा करती है। ऐसा देखा गया है कि जो विद्यार्थी अधिक बुद्धिमान है, वे सामान्य बुद्धि वाले विद्यार्थियों की तुलना में अधिगम के स्थानांतरण में बेहतर होते हैं।
    3. मौलिक समझ की गहनता: यदि एक विद्यार्थी के पास किसी कौशल की पर्याप्त समझ है तो वह कौशलों को सीखने में अधिक सक्षम होता है।
    4. सीखने वाले की व्यक्तिगत उपलब्धियाँ: शिक्षा के क्षेत्र में सीखने वाले की व्यक्तिगत उपलब्धियों का अधिगम के स्थानांतरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसी उपलब्धियाँ प्रशिक्षण के स्थानांतरण में बहुत सहायक सिद्ध होती है।
    5. स्थानांतरण में प्रशिक्षण: यदि विद्यार्थी ने स्थानांतरण में प्रशिक्षण लिया है तो वह बड़ी सरलता से नए कौशलों को सीखने में समर्थ होता है। यदि उसने इस प्रकार का प्रशिक्षण नहीं लिया है तो उसके लिए कौशलों को सीखने में कठिनाई होती हैं।
    Question 25
    CBSEHHIPEH11016112

    स्थिरांक या प्लैट्यू क्या है? उसके कारण बताइए।

    Solution

    प्लैट्यू या स्थिरांक: तेजी से शुरूआत की सामान्य प्रवृति जो कुछ समय के लिए जारी रहती है परन्तु कुछ समय के बाद यह धीमी हो जाती है और एक स्तर पर पहुँच जाती है जहाँ पर कोई सुधर नहीं होता। अधिगम की अवस्था लगभग एक क्षैतिज समतल दिशा को प्रदर्शित करती है। यह क्षैतिज समतल दिशा सूचित करता है कि कोई प्रगति नहीं हो रही।

    प्लैट्यू या स्थिरांक के कारण:

    1. उदासी: एक नियमित काम अकसर उदासी का कारण बनता है जो स्थिरांक का कारण बनता हैं। काम की विभिन्नता से इस दूर किया जा सकता है।
    2. अभ्यास में कमी: अभ्यास का दूषित, एवं स्थिर प्रदर्शन प्लैटयू का कारण बन जाता है।
    3. दूषित  वातारण: अभ्यास का दूषित, एवं असूरक्षित वातावरण स्थिरांक का कारण बन सकता है।
    4. प्रेरणा में कमी: प्रेरणा और कम प्रतिक्रिया की कमी अकसर लंबे समय तक सीखने की प्रक्रिया स्थिरांक चोट का कारण बन सकता है।
    5. चोट: कोई स्थायी चोट जो प्रशिक्षण के दौरान लगी हो या किसी प्रतियोगिता के कारण चोटिल होना स्थिरांक का कारण बन सकता है।

    Question 26
    CBSEHHIPEH11016113

    अधिगम को परिभाषित कीजिए और अधिगम के प्राथमिक नियमों की व्याख्या कीजिए।

    Solution

    गिलफोर्ड के अनुसार ''हम सीखने को विस्तृत रूप से इस प्रकार परिभाषित कर सकते है कि सीखना व्यवहार में आने वाला परिवर्तन है।'

    सीखने के प्राथमिक नियम:

    1. तत्परता का नियम: इस नियम के अनुसार जब सीखने वाला सीखने के लिए तत्पर होता है तब व्यक्ति का उस कार्य के लिए शारीरिक तथा मानसिक रूप से तैयार होना आवश्यक है।
    2. प्रभाव का नियम: इस नियम के अनुसार यदि किसी कार्य के लिए किया गया प्रयास सु:खद होता है तो व्यक्ति उस कार्य को शीघ्र सीखने का प्रयत्न करता है और सीख भी लेता है। उदाहरण के लिए यदि खेल क्रिया पुराने तरीके से सिखाई जाए तो प्राय: इसके परिणाम अच्छे नहीं निकलते। इसके विपरीत यदि नए वैज्ञानिक तरीके का प्रयोग किया जाए तो बच्चों को अधिक संतुष्टि मिलती है।
    3. अभ्यास का नियम: इस नियम के अनुसार 'जब एक परिवर्तनीय संबंध, एक स्थिति और प्रतिक्रिया के बीच बहुधा बनाया जाता तो इस संबंध की शक्ति बढ़ जाती है। इसके वितरीत जब एक परिवर्तनीय संबंध एक स्थिति और प्रक्रिया के बीच एक लम्बी अवधि तक नहीं बनाया जाता तब इस संबंध की शाक्ति कम हो जाती है। वास्तव में अभ्यास का नियम और प्रभाव का नियम दोनों साथ-साथ कार्य करते हैं। यह नियम सभी खेलों पर लागू होता है। जैसे हॉकी, फुटबॉल वॉलीबाल आदि।

    Question 27
    CBSEHHIPEH11016114

    भावना की व्याख्या कीजिए। हम भावनाओं को किस प्रकार नियंत्रित कर सकते हैं ?

    Solution

    मानसिक स्थिति जो सचेत प्रयासों के माध्यम से एवं शारीरिक परिवर्तन के साथ अनायस ही उठती है उसे भावनाएँ कहते हैं।
    यह व्यक्तिपरक, होश के अनुभवों का भाव, जैविक प्रतिक्रियाओं एवं चिकित्सा की स्थिति की विशेषता है। यह एक जटिल शारीरिक स्थिति है जिसमें तीन अलग-अलग घटक शामिल है:

    1. एक व्यक्तिपरक अनुभव
    2. एक शारीरिक प्रतिक्रिया
    3. एक व्यवहारिक प्रतिक्रिया

    भावनाओं को नियमित करने के तरीके:

    1. रूकों एवं मूल्यांकन करो: अगर व्यक्ति के विभाग में नकारात्मक, भावनाएं उठ रही हैं तो उन्हें रोकने का प्रयास करो और उसका मूल्यांकन करो। उन चीजों का विचार करो जो सकारात्मक विचारों को उत्पन्न करें।
    2. शारीरिक क्रियाएं: शारीरिक क्रियाएं हमारे मन को भटकने से बचाती है। शारीरिक क्रियाएं करने से भावनाओं में स्थिरता आने लगती है।
    3. ध्यान: ध्यान हमारे दिमाग एवं शरीर को स्थिरता प्रदान करता है, इसके साथ-साथ हमारी नकारात्मक भावनाओं को नियंत्रित करने में मदद करता है।
    4. धैर्य का विकास: आक्रामक की दिशा में अपने अन्दर धैर्य और सहिष्णुता का विकास करें।
    5. विराम लेना: अगर आप नकारात्मक भावनाओं को बदलना चाहते हैं तो अपने आप को अन्य कार्य में तल्लीन कर लेना चाहिए अर्थात् जो कार्य कर रहे है जिससे नकारात्मक भावनाएं उत्पन्न हो रही है तो उस कार्य से विराम लेकर स्वयं को अन्य कार्य मे लगाना।

    Question 28
    CBSEHHIPEH11016115

    किशोरावस्था में होने वाली समस्याओं के प्रबंधन के बारे में विचार करें।

    Solution

    किशोरों की समस्याओं के समाधान के उपाय:

    1. सहानुभूतिपुर्ण और स्वतंत्रापुर्ण व्यवहार: माता-पिता को किशोरों के बदलते व्यवहार के कारण चिंतित होने के बजाय उनके साथ सहानुभूति पुर्ण एवं स्वतंत्रतापुर्वक व्यवहार किया जाना चाहिए। माता-पिता को बच्चों के विकास और विकास के दौरान होने वाले बदलावों पर ध्यान देना चाहिए और किशोरों के प्रति अपना व्यवहार समायोजित करना चाहिए। माता-पिता का उदार और सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण बच्चों में आत्मविश्वास पैदा करता हैं।
    2. घर एवं विद्यालय का स्वस्थ वातावरण: अगर घर एवं विद्यालय का वातावरण स्वस्थ नहीं होगा तो किशोर अपने लक्ष्य से भटक सकते हैं, गलत आदतों का शिकार बन सकते है जैसे जुआ खेलना, नशा करना आदि। किशोरों के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए घर एवं विद्यालय का उचित वातावरण उपलब्ध कराया जाना चाहिए।किशोरों को विभिन्न प्रकार की मनोरंजन क्रियाओं जैसे नृत्य, योग और एरोबियस एवं जिम आदि में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
    3. नैतिक एवं धार्मिक शिक्षा: घर पर माता-पिता तथा परिवार के बड़े बुजुर्गों द्वारा किशोरों को नैतिक तथा धार्मिक शिक्षा दी जानी चाहिए। इससे उनकी व्यवहार संबंधी समस्याओं का निदान किया जा सकता है।
    4. मित्रता पूर्ण व्यवहार: जब बच्चा किशोरावस्था में पहुचता है तो माता एवं शिक्षकों को इनके साथ मित्रता पूर्ण व्यवहार रखना चाहिए ताकि वह स्वतंत्रता के साथ अपनी समस्याओं की चर्चा कर सके। अगर हम किशोरों से सख्त व्यवहार रखेगें तो वह अपने मार्ग से विचलित हो सकते हैं। मित्रतापूर्वक व्यवहार से दोनों के बीच मित्रता पूर्ण सम्बन्ध अच्छे बन सकते हैं।
    5. पर्याप्त स्वतंत्रता: किशोरों को अपनी भावनाएँ और सुझाव व्यक्त करने के लिए पर्याप्त स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। उन्हें अपने मित्रों का चुनाव तथा उनके साथ घुमने की स्वतंत्रता होनी चाहिए हालांकि माता-पिता को अपने बच्चों के मित्र के विषय में पूरी जानकारी होनी चाहिए।

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