मन्नू भंडरी - एक कहानी यह भी

Question

मनुष्य के जीवन में आस-पड़ोस का बहुत महत्व होता है। परंतु महानगरों में रहने वाले लोग प्राय: ‘पड़ोस कल्चर’ से वंचित रह जाते हैं। इस बारे में अपने विचार लिखिए?

Answer

आज मनुष्य के सम्बन्धों का क्षेत्र सीमित होता जा रहा है, मनुष्य आत्मकेन्द्रित होता जा रहा है। उसे अपने सगे सम्बन्धियों तक के बारे में अधिक जानकारी नहीं होती है। यही कारण है कि आज के समाज में पड़ोस कल्चर लगभग लुप्त होता जा रहा है। लोगों के पास समय का अभाव होता जा रहा है। मनुष्य के पास इतना समय नहीं है कि वो अपने पड़ोसियों से मिलकर उनसे बात-चीत करें।

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Some More Questions From मन्नू भंडरी - एक कहानी यह भी Chapter

लेखिका के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का किस रूप में प्रभाव पड़ा?

इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को ‘भटियारखाना’ कहकर क्यों संबोधित किया है?

 वह कौन-सी घटना थी जिसके बारे में सुनने पर लेखिका को न अपनी आँखों पर विश्वास हो पाया और न अपने कानों पर?

लेखिका की अपने पिता से वैचारिक टकराहट को अपने शब्दों में लिखिए?

इस आत्मकथ्य के आधार पर स्वाधीनता आंदोलन के परिदृश्य का चित्रण करते हुए उसमें मन्नू जी की भूमिका को रेखांकित कीजिए?

लेखिका ने बचपन में अपने भाइयों के साथ गिल्ली डंडा तथा पतंग उड़ाने जैसे खेल भी खेले किंतु लड़की होने के कारण उनका दायरा घर की चारदीवारी तक सीमित था। क्या आज भी लड़कियों के लिए स्थितियाँ ऐसी ही हैं या बदल गई हैं, अपने परिवेश के आधार पर लिखिए?

मनुष्य के जीवन में आस-पड़ोस का बहुत महत्व होता है। परंतु महानगरों में रहने वाले लोग प्राय: ‘पड़ोस कल्चर’ से वंचित रह जाते हैं। इस बारे में अपने विचार लिखिए?

इस आत्मकथ्य में मुहावरों का प्रयोग करके लेखिका ने रचना को रोचक बनाया है। रेखांकित मुहावरों को ध्यान में रखकर कुछ और वाक्य बनाएँ –
 इस बीच पिता जी के एक निहायत दकियानूसी मित्र ने घर आकर अच्छी तरह पिता जी की लू उतारी

इस आत्मकथ्य में मुहावरों का प्रयोग करके लेखिका ने रचना को रोचक बनाया है। रेखांकित मुहावरों को ध्यान में रखकर कुछ और वाक्य बनाएँ –
वे तो आग लगाकर चले गए और पिता जी सारे दिन भभकते रहे?

इस आत्मकथा में मुहावरों का प्रयोग करके लेखिका ने रचना को रोचक बनाया है। रेखांकित मुहावरों को ध्यान में रखकर कुछ और वाक्य बनाएँ-
बस अब यही रह गया है कि लोग घर आकर थू -थू करके चले जाएँ?