मन्नू भंडरी - एक कहानी यह भी
लेखिका ने बचपन में अपने भाइयों के साथ गिल्ली डंडा तथा पतंग उड़ाने जैसे खेल भी खेले किंतु लड़की होने के कारण उनका दायरा घर की चारदीवारी तक सीमित था। क्या आज भी लड़कियों के लिए स्थितियाँ ऐसी ही हैं या बदल गई हैं, अपने परिवेश के आधार पर लिखिए?
अपने समय में लेखिका को खेलने तथा पढ़ने की आज़ादी तो थी, लेकिन अपने पिता द्वारा निर्धारित गाँव की सीमा तक ही, परन्तु आज स्थिति बदल गई है। आज लड़कियाँ एक शहर से दूसरे शहर शिक्षा ग्रहण करने तथा खेलने जाती हैं। ऐसा केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि आज भारतीय महिलाएँ विदेशों तक, अंतरिक्ष में जाकर दुनियॉं में अपने देश का नाम रोशन कर रही हैं। परन्तु इसके साथ दूसरा पहलू यह भी है, कि आज भी हमारे देश में कुछ लोग स्त्री स्वतंत्रता के पक्ष-धर नहीं हैं।
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इस आत्मकथा में मुहावरों का प्रयोग करके लेखिका ने रचना को रोचक बनाया है। रेखांकित मुहावरों को ध्यान में रखकर कुछ और वाक्य बनाएँ-
बस अब यही रह गया है कि लोग घर आकर थू -थू करके चले जाएँ?
इस आत्मकथा में मुहावरों का प्रयोग करके लेखिका ने रचना को रोचक बनाया है। रेखांकित मुहावरों को ध्यान में रखकर कुछ और वाक्य बनाएँ-
पत्र पड़ते ही पिता जी आग बबूला हो गए।
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए [2 × 4 = 8]
(क) पाठ के आधार पर मन्नू भंडारी की माँ के स्वभाव की विशेषताएँ लिखिए।
(ख) “नेताजी का चश्मा’ पाठ का संदेश क्या है? स्पष्ट कीजिए।
(ग) ‘लखनवी अंदाज’ के पात्र नवाब साहब के व्यवहार पर अपने विचार लिखिए।
(घ) फादर बुल्के को ‘करुणा की दिखा चमक’ क्यों कहा गया है।
(ङ) लेखक ने बिस्मिल्ला खाँ को वास्तविक अर्थों में सच्चा इंसान क्यों माना है?
निम्नलिखित में से किन्हीं चार के उत्तर संक्षेप में लिखिए [2 × 4 = 8]
(क) मन्नू भंडारी के पिता के दकियानूसी मित्र ने उन्हें क्या बताया कि वे भड़क उठे?
(ख) बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के आश्चर्य को कारण क्यों थी?
(ग) कैसे कह सकते हैं कि बिस्मिल्ला खां मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे?
(घ) ‘फादर बुल्के की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी लगती थी’- इस मान्यता का कारण समझाइए।
(ङ) ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के आधार पर आशय समझाइए क्या होगा उस कौम को जो अपने देश की
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