मन्नू भंडरी - एक कहानी यह भी
जब पहली बार लेखिका के कॉलेज से उनके पिता के पास शिकायत आई तो लेखिका बहुत डरी हुई थी। उनका अनुमान था कि उनके पिता गुस्से में उनका बुरा हाल करेंगे। लेकिन ठीक इसके उलट उनके पिता ने उन्हें शाबाशी दी। यह सुनकर लेखिका को न अपनी आँखों पर विश्वास हुआ और न अपने कानों पर।
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इस आत्मकथा में मुहावरों का प्रयोग करके लेखिका ने रचना को रोचक बनाया है। रेखांकित मुहावरों को ध्यान में रखकर कुछ और वाक्य बनाएँ-
बस अब यही रह गया है कि लोग घर आकर थू -थू करके चले जाएँ?
इस आत्मकथा में मुहावरों का प्रयोग करके लेखिका ने रचना को रोचक बनाया है। रेखांकित मुहावरों को ध्यान में रखकर कुछ और वाक्य बनाएँ-
पत्र पड़ते ही पिता जी आग बबूला हो गए।
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए [2 × 4 = 8]
(क) पाठ के आधार पर मन्नू भंडारी की माँ के स्वभाव की विशेषताएँ लिखिए।
(ख) “नेताजी का चश्मा’ पाठ का संदेश क्या है? स्पष्ट कीजिए।
(ग) ‘लखनवी अंदाज’ के पात्र नवाब साहब के व्यवहार पर अपने विचार लिखिए।
(घ) फादर बुल्के को ‘करुणा की दिखा चमक’ क्यों कहा गया है।
(ङ) लेखक ने बिस्मिल्ला खाँ को वास्तविक अर्थों में सच्चा इंसान क्यों माना है?
निम्नलिखित में से किन्हीं चार के उत्तर संक्षेप में लिखिए [2 × 4 = 8]
(क) मन्नू भंडारी के पिता के दकियानूसी मित्र ने उन्हें क्या बताया कि वे भड़क उठे?
(ख) बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के आश्चर्य को कारण क्यों थी?
(ग) कैसे कह सकते हैं कि बिस्मिल्ला खां मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे?
(घ) ‘फादर बुल्के की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी लगती थी’- इस मान्यता का कारण समझाइए।
(ङ) ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के आधार पर आशय समझाइए क्या होगा उस कौम को जो अपने देश की
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