सर्वेश्वर दयाल सक्सेना - मानवीय करुणा की दिव्या चमक
फादर बुल्के का जन्म बेलियम के रेम्स चैपल में हुआ था परंतु उन्होंने अपनी कर्मभूमि के लिए भारत को चुना। उन्होंने अपनी आयु का लगभग एक-तिहाई भाग भारत में बिताया था। उन्हें भारत, भारत की भाषा हिंदी तथा यहां के लोगों से बहुत प्यार था, परंतु वे अपनी जन्मभूमि रेम्स चैपल को कभी भूल नहीं पाए थे। रैम्स चैपल शहर उनकी आत्मा के एक कोने में बसा हुआ था। वे अपनी जन्मभूमि से गहरे रूप से जुड़े हुए थे। जिस मिट्टी में पल कर वे बड़े हुए थे उसकी महक वे अपने अंदर अनुभव करते थे। इसीलिए लेखक यह पूंछने पर कि कैसी है आपकी जन्मभूमि? फादर बुल्के ने तत्परता से जबाव दिया-उनकी जन्मभूमि बहुत सुंदर है। यह उत्तर उनकी आत्मा की आवाज थी।
हमें अपनी जन्मभूमि प्राणों से बढ्कर है। जन्मभूमि में ही मनुष्य का उचित विकास होता है। उसकी आत्मा में अपनी जन्मभूमि की मिट्टी की महक होती है। जन्मभूमि से रिश्ता उसके जन्म से शुरु होकर उसके मरणोपरांत तक रहता है। जन्मभूमि ही हमें हमारी पहचान, संस्कृति तथा सभ्यता से अवगत कराती है। हमें अपनी जन्मभूमि के लिए कृतज्ञ होना चाहिए और उसकी रक्षा और सम्मान पर कभी आंच नहीं आने देनी चाहिए।
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आपके विचार से बुल्के ने भारत आने का मन क्यों बनाया होगा?
‘मेरा देश भारत’ विषय पर 200 शब्दों का निबंध लिखिए?
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