समानता
किसानों की समस्या से संबंधित एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार छोटे और सीमांत किसानों को बाज़ार से अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिलता। रिपोर्ट में सलाह दी गई कि सरकार को बेहतर मूल्य सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए। लेकिन यह प्रयास केवल लघु और सीमांत किसानों तक ही सीमित रहना चाहिए। क्या यह सलाह समानता के सिद्धांत से संभव है ?
हाँ, ये सलाह समानता के सिद्धांत के अनुसार ही हैं, क्योंकि सर्व्रप्रथम रिपोर्ट केवल छोटे और सीमांत-किसानों से ही सम्बन्धित हैं। दूसरा छोटे और सीमांत किसानों को बाज़ार से अपनी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए सरकारी हस्तक्षेप इसलिए अनिवार्य हो जाता है क्योंकि उनके पास बिना खेती वाले समय में गुजारे के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं होते। ऐसे में उन्हें उनके उत्पादन के लिए बेहतर मुआवजे देने की आवश्यकता होती हैं। लघु और सीमांत किसानों की कुछ स्वीकृत कार्यों यथा-उच्च रियासत और निम्न ब्याज वाले ऋण देकर उनकी सहायता की जा सकती हैं, ताकि वह भी एक उचित और न्यायसंगत जीवन व्यतीत कर सकें अथवा सरकार से कुछ आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकें।
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