जनसुविधाएँ
आपको ऐसा क्यों लगता है कि दुनिया में निजी जलपूर्ति के उदाहरण कम है?
जल एक आवश्यक जनसुविधा है इसलिए यह जिम्मेदारी सरकार की बनती है कि वह इसे सफलतापूर्वक लोगों तक पहुँचाए। यह जनसुविधा सभी को मुहैया होनी चाहिए। इस कार्य के लिए नुकसान और फायदे को अलग करना आवश्यक होता है। निजी कंपनियां केवल अपने मुनाफे के बारे में सोचती है। उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं होता कि व्यक्ति तक वह वस्तु पहुँच रही है या नहीं। जलपूर्ति का निजीकरण करने का अर्थ है कि लोगों की जनसुविधा की उपलब्धता में अनियमितता, इससे देश में अराजकता फैल सकती है। यही कारण है कि निजी जलापूर्ति के उदाहरण कम देखने को मिलते हैं।
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जनगणना के साथ-साथ कुछ जनसुविधाओं के बारे में भी आँकड़े इकठ्ठा किए जाते हैं। अपने शिक्षक के साथ चर्चा करें कि जनगणना का काम कब और किस तरह किया जाता है।
हमारे देश में निजी शैक्षिणक संसथान- स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थान बड़े पैमाने पर खुलते जा रहे हैं। दूसरी तरफ सरकारी शिक्षा संस्थानों का महत्व कम होता जा रहा है। आपकी राय में इसका क्या असर हो सकता है? चर्चा कीजिए
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